सुनो…सुनो… सुनो… कान खोलकर सुनो…. राहुल गांधी…..देश के सबसे बुद्धिमान नेता हैं…. कांग्रेस का एकमात्र तारणहार हैं…..राहुल गांधी के बिना देश का लोकतंत्र खतरे में है…. इसे ही मुनादी कहते हैं। जो किसी समय में राजा के आने की सूचना देते समय उनके मातहतो द्वारा दी जाती थी। देश में मीडिया का एक तबका खासकर लुटियन मीडिया राहुल गांधी की मुनादी करने के लिए ढोलकिया बन गया है। भारतीय मीडिया हो या विदेशी मीडिया आज एक मृतक शरीर को चलाने के प्रयास में जुटा है। और वह मृतक शरीर कोई और नहीं है बल्कि राहुल गांधी के नेत्वृत्व वाली कांग्रेस पार्टी है। कांग्रेस को फिर से जिंदा करने के लिए वीर सांघवी जैसे चुके हुए पुराने लुटियन पत्रकारों की फौज इकट्ठी की जा रही है।
वीर सांघवी राडिया टेप लीक के बाद हिंदुस्तान टाइम्स के संपादकीय पेज से बाहर कर दिए गए थे। लेकिन 2019 में होने वाले आम चुनाव को देखते हुए रणनीतिक तौर पर उन्हें एक बार फिर संपादकीय पेज पर लाया गया है। आते ही भाजपा को चेताना शुरू कर दिया है उन्होंने लिखा है कि राहुल गांधी अपने आत्मविश्वास के साथ बढ़ रहे हैं। इसे राहुल के लिए मुनादी नहीं तो और क्या कह सकते हैं। जुम्मा-जुम्मा चार दिन नहीं हुआ है पूरे देश के सामने संसद में अपनी और पार्टी की जगहंसाई कराए हुए। राहुल गांधी की इस बेवकूफाना हरकत पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन जैसी सभ्य महिला को संज्ञान लेना पड़ा, और उन्हें हिदायत देनी पड़ी। क्या इतने कम दिनों में राहुल गांधी में फिर से आत्मविश्वास आ गया?
मुख्य बिंदु
* निर्धारित आदेश के तहत पीड़ी पत्रकार अपने-अपने हिसाब से राहुल गांधी की मुनादी करने में जुटे हैं
* करीब दस साल बाद संपादकीय पेज पर लौटे वीर सांघवी ने भाजपा को दी है चेतावनी
राहुल गांधी के लिए दूसरी मुनादी की है शेखर गुप्ता ने! राफेल डील को भाजपा के लिए बोफोर्स मानने वाले शेखर गुप्ता अपने अनुभव का भी लिहाज नहीं करते। कई बार उनकी एक्सक्लूसिव स्टोरी फेक साबित हुई है। वह चाहे सेना के तख्ता पलटने वाली स्टोरी हो या कठुआ रेप कांड की स्टोरी। सारी की सारी फेक निकली। फिर भी वे राहुल की मुनादी करने में जुटे हैं। उन्होंने कहा है कि राहुल गांधी ने विपक्ष के पूर्व महत्वपूर्ण नेताओं के रूप में अपना कद बढ़ा लिया है। शेखर गुप्ता को पता ही नहीं है कि राहुल गांधी ने अभी तक नेता प्रतिपक्ष की भी भूमिका नहीं संभाली है। आज भी वे संसद में दूसरी पंक्ति में बैठते हैं।
बरखा दत्त जैसे लुटियन पत्रकारों का क्या कहना? उनकी उपस्थिति ही संकट को बुला लाती है। चाहे कारगिल हो या मुंबई में आतंकी हमला। सेना तक को संकट में डालने की कूबत रखती हैं। अभी तक कांग्रेस कैसे बची है भगवान जाने? उन्होंने संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गले लगाने की घटना को प्रचारित करते हुए राहुल गांधी को विजयी घोषित कर दिया था और इसकी मुनादी तो वांशिगटन पोस्ट तक में कर दी। ये लोग खुद को राहुल गांधी के मातहत उनका ढोलकिया नहीं साबित कर रहे हैं तो और क्या कर रहे हैं? मालूम हो कि बरखा दत्त भी वीर सांघवी के साथ नीरा राडिया टेप लीक की सहभागी मानी जाती रही हैं।
राहुल की मुनादी करने में सागरिका घोष भी कभी पीछे नहीं रहती, बल्कि किसी से चार कदम आगे रहती हैं। रहेंगी भी क्यों नहीं उन्हें गाधी परिवार का वफादार जो माना जाता है। तभी तो राहुल गांधी द्वारा संसद में की गई हरकत पर उन्होनें टाइम्स ऑफ इंडिया में जो पहला वाक्य लिखा वह यह कि उन्होंने तो सभी को चकित कर दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो हक्का-बक्का होकर देखते रह गए।
लेकिन इन लुटियन पत्रकारों में किसी ने भी यह नहीं महसूस किया है कि अगर किसी एक निश्चित घटना ने देश की नजरों में राहुल गांधी के भाग्य को सील कर दिया है तो वह है “मोदी से गले लगने की घटना” है। ऐसा नहीं है कि ये लोग इस हकीकत से वाकिफ नहीं हैं, लेकिन चाकरी करने वालों को न अपने मन की बात कहने की आजादी होती है न ही सुनने की, बस उसे तो वही करना होता है जो आदेश दिया जाता है।
URL: congress media nexus- Shekhar Gupta, Veer Sanghvi, Sagarika Ghose
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