मोदी और योगी से चारों खाने चित होने वाले राजनीतिक दल भारत की सियासत में तहलका मचाने के लिए हाथरस कार्ड खेल रहे है जबकि इस कांड के पीछे बड़ी साजिश दिख रही है। इस बीच हाथरस कांड सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर पहुंच चुका है। जहां पीड़ित परिवार को इंसाफ दिलाने के लिए जनहित याचिका लगाई गई है । याचिका में पहली मांग है, मामले की सीबीआई जांच हो और दूसरी मांग है कि सुनवाई यूपी से दिल्ली ट्रांसफर की जाए । इस पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस कांड को भयानक बता यूपी सरकार से जवाब मांगा है कि पीड़ित परिवार और गवाहों की कैसे सुरक्षा की जा रही है। साथ ही कोर्ट ने 12 अक्टूबर तक मामले को स्थगित कर दिया है।
जबकि उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है और कहा है कि अदालत को स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई जांच का निर्देश देना चाहिए तथा सुप्रीम कोर्ट को सीबीआई जांच की निगरानी करनी चाहिए। इसके अलावा सरकार ने दलील दी है कि किसी भी प्रकार की हिंसा से बचने के लिए हमने मृतका का अंतिम संस्कार रात में ही कर दिया था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि इस घटना की सच्चाई सामने लाने के लिए सरकार निष्पक्ष जांच के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है जबकि हलफनामे में राजनीतिक दलों और नागरिक समाज संगठनों को जाति विभाजन के प्रयास के लिए दोषी ठहराया गया है। योगी सरकार ने कोर्ट में ऐफिडेविट देकर कहा है कि कथित गैंगरेप मामले में जांच को पटरी से उतारने की कोशिश की जा रही है। इस बीच उत्तर प्रदेश में हाथरस कांड के पीछे जातीय हिंसा की साजिश का खुलासा होने के बाद मथुरा जिले से चार युवकों को गिरफ्तार किया गया।
उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बताया कि दिल्ली से हाथरस जा रहे चार युवक सोमवार को मथुरा से पकड़े गए । इन लोगों के संबंध पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से मिले हैं। यमुना एक्सप्रेस वे पर सोमवार की देर रात टोल प्लाजा के पास चार पकड़े गए लोगों के पास से एक पुस्तक, लैपटॉप और कुछ मोबाइल भी बरामद किए गए हैं और बताया जा रहा है कि ये सभी कथित पत्रकार बनकर चोरी-छिपे हाथरस जा रहे थे। इनमें एक युवक केरल का रहने वाला है।
पुलिस सभी से पूछताछ कर रही है। जो पकड़े गए उनके नाम हैं, अतीक उर रहमान पुत्र रौनक अली निवासी नगला थाना रतनपुरी जिला मुजफ्फरनगर, कप्पन सिद्दीकी पुत्र मोहम्मद चैरूर निवासी बेंगारा थाना मल्लपुरम, केरल , मसूद अहमद निवासी कस्बा और थाना जरवल जिला बहराइच और आलम पुत्र लईक पहलवान निवासी घेर फतेह खान थाना कोतवाली, जिला रामपुर। पुलिस सूत्रों ने दावा किया है कि हाथरस कांड को भुनाने के लिए जिस वेबसाइट का सहारा लेकर प्रदेश भर में जातीय दंगा फैलाने की कोशिश की गई गई थी। अब उसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय भी करने में जुट गया है । इस वेबसाइट के जरिए पीड़िता के परिजनों के नाम पर काफी धन एकत्र करने का अंदेशा है। ऐसे में जो पैसे आए वह कहां-कहां गए, इसका पता प्रवर्तन निदेशालय लगा रहा है।
इस मामले में धारा153 ए के तहत जो मुकदमा कायम किया गया है जो प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के अंतर्गत अधिसूचित अपराध है। इसके तहत अपराध करने के उद्देश्य से जितना पैसा एकत्र किया गया है उसे जब्त किया जा सकता है। आरोपी को गिरफ्तार किया जा सकता है, उस पर केस चल सकता है और सात साल की सजा हो सकी है। जांच एजेंसियां इस बात का पता लगाने में जुटी है कि वेबसाइट का डोमेन किसने खरीदा, किस मेल आईडी, फोन नंबर का इस्तेमाल किया गया,कितना पैसा इस वेबसाइट के माध्यम से आया और कहां-कहां गया इसकी पूरी पड़ताल की जा रही है। इस डोमेन के लिए विदेशी सर्वर का इस्तेमाल किया गया है तो उक्त सर्वर व सर्विस प्रोवाइडर से भी पूरी जानकारी ली जाएगी।
डोमेन के आईपी ट्रैफिक का भी पता लगाया जाएगा ताकि पता चल सके कि इस वेबसाइट को कहां-कहां से ऑपरेट किया गया है। इस वेबसाइट के माध्यम से जो धन आया उसे अपराध के लिए इस्तेमाल किया गया है या नहीं। ऐसे में प्रवर्तन निदेशालय इस मामले में जांच के बाद पीएमएलए के तहत एफआईआर दर्ज करेगा और फिर ऐसे लोगों की गिरफ्तारियां की जाएंगी जो इसमें शामिल रहे हैं।
पुलिस सूत्रों ने दावा किया कि हाथरस कांड एक दुखद संयोग के साथ किया गया जहरीला प्रयोग है और इस घटना को जानबूझकर बढ़ा चढ़ा कर मीडिया में पेश किया जा रहा है जबकि उत्तर प्रदेश पुलिस की जांच में यह पाया गया कि जिला हाथरस, थाना क्षेत्र- चंदपा से एक किलोमीटर दूर के गांव बुलगढी के संदीप नाम के कथित मुख्य अभियुक्त का पीड़िता और दुखद मृत्यु की शिकार हुई लड़की से प्रेम संबन्ध था। दोनों परिवारों को इस बात की जानकारी थी और लड़के ने मृतका को मोबाइल भी दिया था, जिससे दोनों संपर्क में रहते थे।
दोनो परिवार इस संबन्ध के खिलाफ हुए जिसके बाद दोनों परिवारों के बीच कहासुनी और झगड़ा तक हुई लेकिन मामला पुलिस तक नहीं पहुंचा । हालांकि इस झगड़े के बाद कथित अभियुक्त सन्दीप को उसका परिवार दिल्ली उसके चाचा के पास भेज दिया और इस बीच पीड़ित लड़की का परिवार लड़के द्वारा लड़की को दिए मोबाइल को तोड़ दिया ताकि दोनों में कोई संपर्क न हो। तीन-चार महीनों के बाद घटना के 4-5 दिनों पहले संदीप दिल्ली से गांव लौटता है।
जहां प्रारंभिक पूछताछ के बाद यह दावा किया गया कि घटना वाले दिन 14 सितंबर को लड़की अपनी मां के साथ लेकिन कुछ दूरी पर खेत में घास काट रही थी इस दौरान संदीप पीड़ित लड़की के पास पहुंच कर बात करने लगता है और आगे संपर्क के लिए दूसरा मोबाइल देता है। इस दौरान लड़की का भाई यह सब कुछ देख लेता है। दोनों में कहासुनी होती है। आरोप है कि कुछ देर बाद पीड़िता के साथ खेत में गंभीर मारपीट की जाती है । मारपीट के दौरान लड़की के मुंह, गर्दन की हड्डी में गंभीर चोटें आती हैं और वह खेत में ही बेहोश हो जाती है। बाद में उसकी उपचार के दौरान दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई थी।
इसमें यही पेच फंसा है कि लड़की के साथ हुई मारपीट को लेकर उसके कथित जानकार संदीप को आरोपी बनाया गया है जबकि आरोपी पक्ष का कहना है कि लड़की की पिटाई उसके भाई जिसका नाम भी संदीप है उसने की थी। आरोपी पक्ष का कहना है कि पिटाई के बाद लड़की को जिसने पानी पिलाया उसे भी कथित अभियुक्त तो बना दिया गया जबकि पीड़ित पक्ष का कहना है कि वह आरोपी संदीप के साथ मारपीट में शामिल रहा है ।
सूत्रों ने दावा किया हाथरस घटना की पीड़ित लड़की के भाई द्वारा दर्ज एफआईआर में किसी बलात्कार की कोई शिकायत नहीं की गई। शुरुआती मेडिकल रिपोर्ट और दुखद मौत के बाद अंतिम मेडिकल रिपोर्ट में साफ कहा गया कि मृतका से बलात्कार नहीं हुआ है। लेकिन अचानक इस घटना को धीरे-धीरे इसे दलित उत्पीड़न का रंग दिया गया और सनसनीखेज ढंग से पीड़िता की जीभ काटने, रीढ़ की हड्डी तोड़ देने और सामूहिक बलात्कार की खबरों की श्रृंखला शुरू करते हुए मीडिया और नेताओं के लिए राजनीति का अखाड़ा बना दिया गया ।