१) ज्ञानवापी किया गया सील।
२) ज्ञानवापी में हिंदू प्रतीकों को देखकर भी, शिवलिंग की उपस्थिति समझ कर भी सदियों से नमाज पढ़कर हिंदुओं को अपमानित करने वाले मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक।
३) केवल २० मुस्लिमों को अभी भी वहां जाकर नमाज पढ़ने की अनुमति।
४) उन २० मुस्लिमों को भी वजू वाले तालाब पर जाने की अनुमति नहीं, जहां महादेव का शिवलिंग मिला। वजू पर पूरी तरह से प्रतिबंध।
निष्कर्ष:-
१) मुस्लिम समुदाय वजू के तलाब में जानबूझकर शिवलिंग को रखकर अपमानित कर रही थी, इसका प्रमाण यह है कि सर्वे टीम को तालाब के सर्वे से रोकने का भरपूर प्रयास किया गया। मछलियों का बहाना तक बनाया गया।
२) स्वतंत्र भारत में मुस्लिम समाज का यह आचरण बेहद निंदनीय है कि वह भाईचारे की बात तो करते हैं लेकिन जानबूझकर हिंदू देवी देवताओं को अपमानित करते रहे हैं।
३) उनके अल्लाह, पैगंबर, कुरान पर कोई कुछ नहीं बोल सकता, लेकिन वह वजू के तालाब में महादेव पर हाथ-पैर धोते, कुल्ला करते रहे, जो उनकी हिंदुओं के प्रति नीयत को प्रदर्शित करता है।
४) यदि अभी भी मुस्लिम समुदाय शिवलिंग के अपमान की निंदा करने की जगह मेरा मस्जिद-मेरा मस्जिद चिल्लाते रहे तो समझिए कि उनके भाईचारे में हिंदुओं के लिए तभी तक स्थान है जब तक मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं। उनके बहुसंख्यक होते ही हिंदुओं के लिए कोई स्थान नहीं है।
५) हिंदू या तो सचेत हो जाएं, या खतना कराने के लिए तैयार रहें।