आईएसडी नेटवर्क। कोरोना के कारण दो वर्ष से अपने तीज-त्योहारों से दूर दिल्ली के नागरिक इस वर्ष भी दीपावली और छठ पूजा उल्लास से नहीं मना सकेंगे। कोरोना संक्रमण की आशंकाओं को देखते हुए दिल्ली में दीपावली पर आतिशबाज़ी पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया गया है और छठ पूजा की अनुमति नहीं दी गई है। इस घोषणा को लेकर नागरिकों में रोष की स्थिति है।
मंगलवार को दिल्ली भाजपा की ओर से दिल्ली सरकार के विरुद्ध ज़ोरदार ज़मीनी प्रदर्शन किया गया। भाजपा नेता मनोज तिवारी ने सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा के आयोजन पर रोक के विरोध में अपने समर्थकों के साथ मुख्यमंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में तिवारी को चोट आई और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा।
दरअसल 28 सितंबर को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक आदेश दिया है, जिसके तहत आने वाले त्योहारों को सार्वजानिक रुप से मनाने पर पाबन्दी की बात कही गई है। भाजपा और दिल्ली की छठ पूजन समितियों ने इस निर्णय का कड़ा विरोध किया है। उल्लेखनीय है कि मंगलवार को ही दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग ने बताया है कि दिल्ली में कोरोना से कोई नई मौत नहीं दर्ज की गई है, वहीं एक्टिव केस भी घटे हैं।

पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 34 नए मामले सामने आए। इस दौरान 38 रिकवरी हुई और कोरोना से किसी मरीज की मौत नहीं हुई। जब दिल्ली में कोरोना के केस लगातार कम होते जा रहे हैं तो ये नया आदेश नागरिकों की समझ से परे हैं। यदि दिल्ली में लॉकडाउन की स्थिति होती तो इस आदेश की गंभीरता समझी जा सकती थी। अब तो कोविड के केस संपूर्ण देश में ही कम होते जा रहे हैं।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने दिल्ली में आगामी 1 जनवरी 2022 तक पटाखों की बिक्री और चलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि भाजपा ने अपना विरोध प्रदर्शन छठ पूजा की अनुमति को लेकर किया। पार्टी ने पटाखे चलाने पर प्रतिबंध का विरोध नहीं किया है।
उल्लेखनीय है कि विगत दो वर्ष से सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के चलते पटाखा व्यवसाय की कमर टूट गई है। दूसरी ओर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के कड़े नियमों के चलते त्योहारों की रौनक कम होती जा रही है। बोर्ड अपने आदेश को लागू करने के लिए तथाकथित विषेशज्ञों की राय का हवाला दे रहा है। जबकि वह ये नहीं देख रहा कि कोरोना के केस कम होते जा रहे हैं और राजधानी की दीपावली की रौनक कम होती जा रही है।