Archana Kumari. दिल्ली के आरकेपुरम थाने में बच्चों का भविष्य संवारा जाता है । कोई भी बच्चा यहां आकर पढ़ाई कर सकता है तथा किसी विषय पर कुछ समझना हो तो पुलिसकर्मी की मदद पा सकता है।
इस लाइब्रेरी की स्थापना एसएचओ राजेश शर्मा ने की थी और उन्हें गोवा में एशिया पैसिफिक चैंबर ऑफ कॉमर्स की तरफ से इनोवेशन एजुकेशन की कैटेगरी में एप्रिसिएशन प्रमाण पत्र दिया गया है।
यह वही एसएचओ है, जिन्होंने पिछलेे दिनों मानवाधिकार कार्यकर्ता तथा कश्मीरी पंडितों की आवाज उठाने वाले सुशील पंडित की हत्या की साजिश रचने वाले को बेनकाब किया था।
आमतौर पर पुलिस और थाने का नाम जेहन में आते ही लोग डर जाते हैं। लेकिन दिल्ली में एक ऐसा भी थाना है,जहां लोग जाने से नहीं घबराते। खासकर बच्चों को तो थाने में आने -जाने के लिए पूरी आजादी मिली हुई है।
यहां पुलिस ने बच्चों के लिए एक लाइब्रेरी खोल रखी है, जहां आर्थिक तौर पर कमजोर बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। बच्चे लाइब्रेरी में बैठ पढ़ाई करते हैं, उन्हें किसी विषय पर कुछ समझना हो तो पुलिसकर्मी खुद उनकी मदद करते है।
जो जितना देर चाहे लाइब्रेरी में बैठ कर पढ़ाई कर सकता है, यदि किसी बच्चे को पुस्तक समझने में कोई दिक्कत हो तो वह अपनी जिज्ञासा को भी शांत कर सकता है।
यहां पर करीब100 छात्रों के बैठने की व्यवस्था की गई है जबकि हाल में ही इस लाइब्रेरी की वजह से गोवा में एशिया पैसिफिक चैंबर ऑफ कॉमर्स की तरफ से इनोवेशन एजुकेशन की कैटेगरी में एप्रिसिएशन सर्टिफिकेट से एसएचओ राजेश शर्मा को नवाजा भी गया ।
लाइब्रेरी को और अधिक बेहतर बनाए जाने के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयास से यहां पढ़ने के लिए आने वाले बच्चे बेहद खुश हैं। थानाध्यक्ष राजेश शर्मा का कहना है कि इस लाइब्रेरी में एक साथ 100 छात्रों के बैठने की व्यवस्था है लेकिन कुछ और छात्रों की बैठने की व्यवस्था की जा रही है।
लाइब्रेरी में सभी प्रतियोगिता वाली परीक्षाओं से सम्बंधित 2300 किताबें और 1900 से ज्यादा पुरानी मैगजीन हैं। इसके अलावा रोजाना दस से 15 अखबार आते हैे। न केवल लाइब्रेरी में स्मार्ट क्लास की सुविधा है बल्कि इंटरनेट के साथ कम्पयूटर भी मौजूद हैं।
थाना प्रभारी राजेश शर्मा ने कहा हमारी कोशिश यही है कि खासकर निम्न वर्ग के बच्चे पढ़ाई से वंचित ना रह सकें। जिन लोगों के घर में पढ़ाई के लिए जगह ही कमी है, वे यहां आकर पढ सकें और यही सोचकर लाइब्रेरी बनायी गई।
उनका मानना है कोई भी अपराधी नहीं बनना चाहता। छोटी उम्र में ही अगर बच्चों को सही दिशा दिखायी जाए तो उनके रास्ता भटकने की संभावना कम होती है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए इस लाइब्रेरी को बनाया गया।
उनका कहना है कि इस लाइब्रेरी में केवल इलाके के रहने वाले बच्चे ही नहीं आते हैं बल्कि आस पड़ोस के इलाकों जैसे मालवीय नगर, दिल्ली कैंट, सरोजनी नगर आदि जगहों से भी पढने के लिए आते हैं।
प्रतिदिन लाइब्रेरी सुबह दस से शाम छह बजे तक सातों दिन खुलती है। जबकि रोजाना 70 से 80 बच्चे लाइब्रेरी में आते हैं। लाइब्रेरी के संचालन में बकायदा, एक संस्था के सहयोग से बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी यहां निशुल्क कोचिंग दी जाती है।
कोई भी इच्छुक छात्र यहां आकर अपना एडमिशन ले सकता है। आरके पुरम थाना पुलिस के इस पहल का अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी स्वागत किया है और खुद पुलिस कमिश्नर इस लाइब्रेरी की तारीफ कर चुके हैं।
लाइब्रेरी में पुलिस द्वारा पढ़ने के लिए अनुकूल वातावरण, करियर काउंसलिंग, एफआईआर और पुलिस प्रणाली आदि के बारे में सामान्य लोगों को बुनियादी प्रशिक्षण, रोजगार क्षमता को लेकर प्रशिक्षण, सूचना केन्द्र, महिला सुरक्षा कार्यक्रम, पुलिस और जनता के बीच बातचीत, पुलिस कर्मियों द्वारा लेक्चर , खेल और युवा विकास कार्यक्रम आदि कराए जाते हैं।
इसके अलावा लाइब्रेरी में पुलिस विभाग द्वारा कानूनी जागरूकता कार्यक्रम, सांस्कृतिक कार्यक्रम और विभिन्न कोर्स में दाखिले और नौकरियों के लिए नि: शुल्क कोचिंग भी कराई जाती है। यह लाइब्रेरी एक मिसाल की तरह उभर रही है।