दिल्ली दंगे के प्रमुख चेहरे और जामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने जेल में बंद ‘पिंजरा तोड़’ की देवांगन कलीता को पच्चीस हजार के निजी मुचलके पर जमानत दे दी है जबकि जेएनयू के छात्र रहे शरजील इमाम को जेल भेज दिया है।
इसी साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी में हुई सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े एक मामले में गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार जामिया छात्र आसिफ इकबाल तन्हा की जमानत याचिका खारिज करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने कहा कि मामले में प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों से प्रदर्शन स्थलों पर तन्हा समेत कई आरोपियों की भूमिका का पता चला है। साथ ही, यह भी पता चला है कि किस तरह से हर चीज की साजिश रची गई थी।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि बयानों से साफ पता चलता है कि आरोपी तन्हा और अन्य सह आरोपियों ने साजिश के मुताबिक विभिन्न गतिविधियां की। अदालत ने कहा कि वह चक्का जाम किए जाने की साजिश का हिस्सा था, जो दंगों का मुख्य कारण बना।प्रत्यक्षदर्शियों ने अपने बयानों में उसका नाम मुख्य षड्यंत्रकारियों में से एक के तौर पर लिया है। इस वजह से उसे जमानत नहीं दी जा सकती।
अदालत ने कहा कि मामले की जांच चल रही है, इसलिए गवाहों के बयानों के विवरण नहीं दिए जा सकते। न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि आसिफ इकबाल तन्हा और अन्य आरोपियों की भूमिका के बारे में गवाहों के बयानों को संज्ञान में लेते हुए मुझे यह मानने में कोई हिचक नहीं है कि आरोपियों के विरुद्ध लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया सही है।
सुनवाई के दौरान तन्हा की ओर से वकील ने दलील दी और कहा कि आरोपी की उम्र महज 24 साल की है। इस मामले में उमर खालिद को भी आरोपी बनाया गया है, लेकिन उसकी गिरफ्तारी नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि आरोपी के खिलाफ यूएपीए के तहत आरोप नहीं बनता है, क्योंकि वह किसी भी आतंकी संगठन का सदस्य नहीं है। उन्होंने कहा कि 13 और 15 दिसंबर 2019 को जामिया हिंसा के मामले में दो मामले दर्ज किए गए थे और एक एफआईआर में उसे जमानत मिल चुकी है।
गौरतलब हो कि तन्हा को 19 मई को गिरफ्तार किया गया था जबकि वह 26 मई से न्यायिक हिरासत में है। इस पर दिल्ली पुलिस की तरफ से वकील ने कहा तन्हा के खिलाफ यूएपीए लगाकर सही किया गया है और कोर्ट ने भी पिछले 4 जून को कहा था कि आरोपी के खिलाफ यूएपीए लगाकर सही किया गया। इस वजह से इस आरोपी को जमानत देना सही नहीं होगा, जिस पर अदालत में अपनी मंजूरी दे दी। दूसरी तरफ हिंसा के मामले में जेल में बंद ‘पिंजरा तोड़’ संगठन की देवांगन कलीता को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी। जस्टिस सुरेश कैत की बेंच ने देवांगन कलीता को 25 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत देने का आदेश दिया। इससे पहले देवांगन कलीता की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कलीता को एक केस में जमानत दे दी गई थी। जिस केस में जमानत दी गई थी उसमें ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि कलीता केवल नागरिकता संशोधन विरोधी कानून के खिलाफ प्रदर्शनों में शामिल थी और हिंसा से उनका कोई संबंध नहीं था। वकील ने कहा कि कलीता के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है और जांच के लिए अब उनकी कोई जरुरत नहीं है जबकि अभी तक कोई ऐसा साक्ष्य नहीं मिला है जिससे साबित हो सके कि वह गवाहों को प्रभावित कर सकती है या कहीं भाग सकती है।
सिब्बल ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने खुद कहा है कि कलीता किसी भी सीसीटीवी फुटेज में नहीं दिखी है और उनके पास कलीता के भाषण की भी कोई प्रति नहीं है जबकि कलीता का एकेडमिक ट्रैक रिकॉर्ड काफी अच्छा रहा है और उसे किसी विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने का हक है।
इस पर जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस की ओर से एएसजी एसवी राजू ने कहा कि कलीता एक केस में जमानत मिलने के आधार पर बराबरी का दावा नहीं कर सकती है और उस पर दूसरे एफआईआर में गंभीर आरोप हैं।
ज्ञात हो कि पिछले 2 जून को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने कलीता को एक मामले में जमानत दे दी थी लेकिन उसके बाद क्राइम ब्रांच ने उसे दूसरे एफआईआर के मामले में गिरफ्तार कर लिया था। अदालत ने कलीता को सीधे या परोक्ष रुप से गवाहों को प्रभावित करने या साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं करने का निर्देश दिया जबकि कोर्ट ने कलीता को ट्रायल कोर्ट की अनुमति के बिना देश छोड़कर जाने पर रोक लगा दिया है।
ज्ञात हो कि कोर्ट ने पिछले 21 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। उधर, दिल्ली दंगे के एक और मास्टरमाइंड कहे जाने वाले शरजील इमाम को कड़कड़डूमा कोर्ट ने हिंसा के मामले में दर्ज यूएपीए के तहत 1 अक्टूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने यह आदेश दिया।
गौरतलब है कि यूएपीए के तहत शरजील इमाम को 25 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने शरजील इमाम के खिलाफ यूएपीए के तहत दाखिल चार्जशीट में कहा कि शरजील इमाम ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को अखिल भारतीय स्तर पर ले जाना चाहता था। उसने भड़काऊ भाषण दिए जबकि चार्जशीट में कहा गया है कि शरजील पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के संपर्क में था। शरजील ने न सिर्फ एक समुदाय को जुटाया, बल्कि दिल्ली और देश के दूसरे हिस्सों में चक्का जाम कराने की भी कोशिश की।
सनद रहे कि पिछले दिनों शरजील इमाम को दिल्ली पुलिस असम से दिल्ली लेकर आई थी और उस पर दिल्ली हिंसा में साजिश रचने के चलते UAPA लगाया गया था। दरअसल जेल में बंद दंगे करने के आरोपी बाहर आने के लिए छटपटा रहे हैं और इसी क्रम में शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में नताशा नरवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई होगी। पिंजरा तोड़ की कार्यकर्ता नताशा नरवाल भी दिल्ली हिंसा के आरोप में जेल में बंद है।