अर्चना कुमारी। पिछले साल नागरिक संशोधन कानून के विरोध में मुस्लिम समुदाय द्वारा दिल्ली को ठप्प करने की रणनीति तैयार की गई थी और जगह-जगह जब सड़क जाम होने लगा तब रास्ता खुलवाने को लेकर हुए तकरार के बाद भीषण दंगे हुए ,जिसमें 55 लोग मारे गए थे । इस मामले में दिल्ली हिंसा पर दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी की है कि यह एक सुनियोजित साजिश का परिणाम थी।
अदालत ने टिप्पणी दिल्ली दंगों के आरोपी मोहम्मद इब्राहिम की जमानत याचिका पर की जबकि कोर्ट की टिप्पणी पर बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि अब कोर्ट ने भी कह दिया कि हिंसा एक साजिश थी लेकिन इन आतंकियों को बचाने वाला गैंग मेरे खिलाफ आरोप लगाता रहा था। दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के एक आरोपी मोहम्मद इब्राहिम की जमानत याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की कि दिल्ली हिंसा एक सोची-समझी साजिश थी और हवलदार रतनलाल की हत्या के आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी करते हुए कहा कि हिंसा की योजना सरकार और आम जनजीवन को प्रभावित करने के लिए बनाई गई थी।
अदालत का कहना था कि जिस तरह सीसीटीवी कैमरे नष्ट किए गए और उन्हें हटाया गया। इससे साफ पता चलता है कि इसके लिए एक सोची-समझी योजना बनाई गई । हिंसा के दौरान कई उपद्रवी डंडे, बल्ले और हथियारों के साथ घूमते रहे, जिनके सामने पुलिस बल निरीह साबित हुई। अदालत ने आगे कहा कि निजी स्वतंत्रता का ये मतलब नहीं है कि वह सामाजिक ताने-बाने को नष्ट कर दें। अदालत ने आरोपी मोहम्मद इब्राहिम की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह कई कैमरों के फुटेज में जालीदार टोपी और नेहरू जैकेट पहने हुए देखा गया। मोहम्मद इब्राहिम को भले ही घटनास्थल पर नहीं देखा गया, लेकिन वह दंगाइयों की भीड़ का हिस्सा जरूर था और इस वजह से उसे जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता। अदालत के इस टिप्पणी पर
बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने कहा कि वो पहले से यह कहते रहे हैं कि दिल्ली हिंसा के लिए साजिश रची गई थी जबकि जानबूझकर इसके लिए हथियार जुटाए गए। उन्होंने कहा कि दिल्ली के दंगों का सच अब सामने आने लगा है। गौरतलब है कि बीजेपी नेता कपिल मिश्रा को इस दंगे के भड़काने को लेकर अक्सर टारगेट किया जाता है क्योंकि वह उत्तर पूर्वी दिल्ली में जाम को खुलवाने मौके पर गए थे और ऐसा कहा जाता है कि उनकी इस टिप्पणी के बाद से ही दंगे की शुरुआत हो गई थी।
ज्ञात हो कि मामले में कोर्ट में कुल 11 आरोपियों ने जमानत याचिका दायर की थी, जिनमें से आठ को जमानत दी गई है जबकि तीन आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी गई । इससे पहले 14 सितंबर को कोर्ट ने इसी मामले में दो आरोपियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था जबकि दो की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने आरोपियों सादिक और इरशाद अली की जमानत याचिका खारिज कर दी, जबकि शाहनवाज और मोहम्मद अयूब को जमानत दे दी और इससे पहले तीन सितंबर को कोर्ट ने इस मामले में पांच आरोपियों को जमानत दे दी थी।
तीन सितंबर को कोर्ट ने जिन पांच आरोपियों को जमानत दी है, उनमें मोहम्मद आरिफ, शादाब अहमद, फुरकान, सुवालीन और तबस्सुम शामिल है। अदालत कहा था कि अस्पष्ट साक्ष्यों और आम किस्म के आरोपों के आधार पर धारा 149 और 302 नहीं लगाई जा सकती है और साथ ही टिप्पणी की थी कि अगर भीड़ की बात आती है तो जमानत देते समय कोर्ट के लिए ये विचार करना महत्वपूर्ण है कि हर सदस्य गैरकानूनी भीड़ का हिस्सा है ?।
आपको बता दें आठ जून 2020 को क्राइम ब्रांच हवलदार रतनलाल की हत्या के मामले में चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें कहा गया कि दंगाई बच्चों और बुजुर्गों को घर में रहने की नसीहत देकर सड़कों पर निकले थे। 23 फरवरी 2020 को हंगामे के बाद वह वापस लौट गए, लेकिन फिर 24 फरवरी 2020 को एक बार उपद्रवी सड़कों पर निकलकर उत्पात मचाने लगे और इस हमले में शाहदरा के डीसीपी तथा गोकुलपुरी एसीपी समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। आरोप पत्र में कहा गया है कि हिंसक भीड़ ने पास के मोहन नर्सिंग होम पर भी हमला किया और इस अस्पताल में पुलिसकर्मी भर्ती थे।
इसी हिंसा में हेड कांस्टेबल रतनलाल की मौत हो गई थी। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्थित रूप से तोड़फोड़ भी शहर में कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए पहले से प्लान की गई और यह सुनियोजित साजिश को कन्फर्म करता है।नोट- क्राइम की आने वाली देशव्यापी ताजा तरीन खबरें को यूट्यूब पर देखने और सुनने के लिए बादल ISD क्राइम स्टोरी का हिस्सा जरूर बने, और निवेदन है कि तुरंत ही सब्सक्राइब करें और बेल आइकन दबाएं।https://youtube.com/channel/UCEta4qTrhS6DwcYD7quoUGg