अर्चना कुमारी। भारत व कनाडा के बीच राजनयिक विवाद का असर कनाडा की सेना के साथ संबंधों पर नहीं पड़ेगा और कनाडा अगले सप्ताह हिंद-प्रशांत देशों के सेना प्रमुखों की दिल्ली में होने वाली बैठक में हिस्सा लेगी। भारतीय सेना 26 और 27 सितंबर को इस संगोष्ठी की मेजबानी कर रही है, जिसका उद्देश्य चीन की इलाके में बढती सैन्य आक्रामकता की पृष्ठभूमि में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए साझा रणनीति बनाना है।
थलसेना मुख्यालय में रणनीतिक योजना के अतिरिक्त महानिदेशक मेजर जनरल अभिन्य राय का कहना है, दोनो देशों के बीच इसका असर नहीं पड़ेगा। कनाडा के सेना प्रमुख यहां आ रहे हैं, उनका प्रतिनिधिमंडल यहां आ रहा है।
उन्होंने कहा, जब हम अपने कुछ पड़ोसी देशों के साथ ऐसे संबंधों को देखते हैं..जहां पर गतिरोध बने रहने की आशंका होती है, वहां प्रत्येक स्तर पर संपर्क बना रहता है, फिर चाहे सैन्य स्तर पर हो या राजनयिक स्तर पर और मैं यहां प्रत्यक्ष रूप से चीन का संदर्भ दे रहा हूं।भारत के कनाड़ा के साथ राजनयिक और सैन्य संबंध प्रभावित नहीं होंगे। कनाडा के सैन्य अधिकारियों ने भी जोर दिया है कि राजनयिक विवाद का असर कनाडा और भारत के रक्षा संबंधों पर नहीं पड़ेगा।
सूत्रों ने बताया कि 22 देशों के 15 सेनाध्यक्ष और प्रतिनिधिमंडल 26 और 27 सितंबर को दिल्ली में होने वाले कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस सम्मेलन की सह मेजबानी अमेरिकी सेना कर रही है।ज्ञात हो कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो खालिस्तानी अलगावादी नेता हरदीपं सिंह निज्जर की जून में हुई हत्या में ‘संभावित’तौर पर भारतीय एजेंट के शामिल होने के आरोप के बाद दोनों देशों के राजनयिक संबंधों में और तनाव पैदा हो गया है।
भारत ने कनाडा के आरोपों को खारिज किया लेकिन भारतीय राजनयिक को निष्कासित कर दिया गया और इसके जवाब में कनाड़ा के भी एक वरिष्ठ राजनयिक को देश से निष्कासित कर दिया था।