ए बारिश ;
इस बार केवल,
भविष्यवाणी तक सीमित मत रहना !
टकटकी लगाकर लाखों निगाहें
आसमान की आग को
महसूस कर रहीं हैं !
ए बारिश ;
इस बार इतना बरसना,
कोई कोना धरती का,
न प्यासा रह जाए !
धरती की सारी दरारें
दर्द से बिलख रही हैं
ए बारिश ;
तालाब सारे सूख चुके हैं,
कुऐं से बाल्टी भी,
खाली लौटती है !
नावें कागज की,
इंतज़ार कर रही हैं
ए बारिश ;
पिछले साल,फसल को,
सूखा निगल गया,
पिछले साल से चूल्हे पर
झूठा दिलासा पक रहा है!
ए बारिश ; ए बारिश ;
इस बार केवल
भविष्यवाणी तक सीमित मत रहना !