श्वेता पुरोहित। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद दिल्ली-एनसीआर सहित पूरे उत्तर भारत में सोमवार रात को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. झटके इतने तेज थे कि हर किसी ने इसे महसूस किया. पंजाब, हरियाणा, हिमाचल में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने के अनुसार इसका सेंटर चीन के दक्षिणी शिनजियांग क्षेत्र में 80 किलोमीटर की गहराई में था.रिक्टर स्केल पर तीव्रता 7.2 मांपी गई. इन झटकों ने लोगों की नींद उड़ा दी और लोग घबराकर अपने घरों से बाहर आ गए. कुछ लोगों ने बताया कि उन्होंने अपने बेड को हिलते हुए महसूस किया। राम मंदिर उद्घाटन के बाद मानो ऐसा लगता है जैसे , प्रकृति ने कुछ अनहोनी का संदेश दिया है!
आशा है आप सभी सुरक्षित होंगे. कल रात को 7.2 magnitude का भूकंप आया है जिसके झटके उत्तर भारत में मेहसूस किए गए. यही होता है जब हम अपने धर्म गुरुओं की बात नहीं मानते और शास्त्रों की उपेक्षा करते हैं. बहुत से ज्योतिषी कहते रहे हैं कि राम मंदिर प्रतिष्ठा का मुहूर्त जीवनकाल में एक बार होने वाला मुहूर्त था। ऐसे ज्योतिषी, ज्योतिष विद्या को बदनाम करते हैं.
मैं कहती रही हूँ कि यह मुहूर्त अशुभ है क्योंकि यह मृत्युदा योग और दग्ध संज्ञक योग बना रहा है जो मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए अशुभ हैं। अधूरे मंदिर को तो छोड़ ही दें, फिर भी मुहूर्त में ही इतनी दिक्कतें थीं जो अपने आप में एक बड़ी समस्या थी। लग्न स्थिर राशि में नहीं था. अभिजीत मुहूर्त हर रोज आता, इसमें ऐसी कोई विशेष बात नहीं थी जो हजारों वर्ष बाद आए. 84 second में कोई प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती.
श्रीमद्भागवत गीता के १७ अध्याय में भगवान ने स्वयं कहा है:
विधिहीनमसृष्टान्नं मन्त्रहीनमदक्षिणम्।
श्रद्धाविरहितं यज्ञं तामसं परिचक्षते ॥ १३ ॥
अर्थात्:
शास्त्रविधिसे हीन, अन्नदानसे रहित, बिना मन्त्रोंके, बिना दक्षिणाके और बिना श्रद्धाके किये जानेवाले यज्ञको तामस यज्ञ कहते हैं ॥ १३ ॥
मूढग्राहेणात्मनो यत्पीडया क्रियते तपः ।
परस्योत्सादनार्थं वा तत्तामसमुदाहृतम् ॥ १९॥
अर्थात्:
जो तप मूढ़तापूर्वक हठसे, मन, वाणी और योज शरीरकी पीड़ाके सहित अथवा दूसरेका अनिष्ट करनेके लिये किया जाता है-वह तप तामस कहा गया है ॥ १९॥
अश्रद्धया हुतं दत्तं तपस्तप्तं कृतं च यत् |
असदित्युच्यते पार्थ न च तत्प्रेत्य नो इह || २८||
अर्थात्:
हे अर्जुन! बिना श्रद्धाके किया हुआ हवन, दिया हुआ दान एवं तपा हुआ तप और जो कुछ भी किया हुआ शुभ कर्म है-वह समस्त ‘असत्’- इस प्रकार कहा जाता है; इसलिये वह न तो इस लोकमें लाभदायक है और न मरनेके बाद ही ॥ २८ ॥
ऐसे तामसिक वृत्ति से किए गए आयोजन किसी का उपकार नहीं करते. गौ भक्षकों और कार सेवकों के ऊपर गोली चलाने वालों को आमंत्रित कर के भक्तों की भावनाओं को आहत करके, शंकराचार्यों को अपमानित करके, शास्त्रों की अवहेलना करके पोलिटिकल इवेंट किया गया. शास्त्र विरुद्ध आचरण की सूची तो बहुत लम्बी है लेकिन उदाहरण के तौर पर विवाहित होते हुए बिना पत्नी के पूजा में दो जन बैठे.
हमारे शास्त्र कभी गलत बात नहीं बताते. वेद स्वयं प्रकट हुए हैं. ये किसी ऋषि मुनि की रचना नहीं हैं कि उन्हें हम अपनी स्वेच्छा से बदल दें. अच्छा हुआ कि पुज्य शंकराचार्य इस इवेंट में नहीं गए.
आगे प्रभु श्रीराम ही अपने भक्तों की रक्षा करें