प्रमोद शर्मा (फ़ोटो / विडिओ कैमरा विशेषज्ञ)| आजकल जिस प्रकार से पुराने या फर्जी फ़ोटो को नया दिखाकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है, उनको रोकने के लिए गाइडलाइन बनाने हेतु मेरा एक सुझाव है, इससे फेक न्यूज पर नकेल कसने में मदद मिल सकती है यदि उचित लगे तो सही स्थान पर भेज सकते हैं|
- आजकल लगभग सभी कैमरों में जीपीएस सुविधा दे रखी है, तो ऐसा कानून / गाइडलाइन बनानी चाहिए कि मीडिया से जुड़े सभी पत्रकार ऐसे विवादित स्थान का फ़ोटो लेते समय अपने कैमरे का जीपीएस आनिवार्य रूप से चालू रखें, कैमरे की टाइम-डेट सेटिंग को एकदम सही रखें, उस स्थान के अलग अलग एंगल से कम से कम 10 फ़ोटो खींचें (चाहें उनमे से एक ही इस्तेमाल हो, विवाद के समय बाकी फ़ोटो उसी स्थान की, उसी दिन, उनके कैमरे द्वारा खींची होने के सबूत के काम आएगी)
- साथ ही साथ उस स्थान के लोकल अखबार की उसी दिन की फ्रन्ट फ़ोटो, जिसमें स्पष्ट रूप से स्थान व दिनांक सहित मुखपृष्ठ का फ़ोटो भी खींच कर रखना चाहिए| वीडियो लेते हुए भी उस स्थान के लोकल अखबार की उसी दिन की फ्रन्ट फ़ोटो, जिसमें स्पष्ट रूप से स्थान व दिनांक सहित मुखपृष्ठ को विडिओ फ्रेम में लेते हुए कैमरे को बिना रोके, उस स्थान का विडिओ भी शूट कर सुरक्षित रखें| जीपीएस चालू रहने पर फ़ोटो / विडिओ में सारी जानकारी कैमरे का नाम, मॉडेल नंबर, कैमरे की लोकेशन, दिनांक व फ़ोटो का सीरियल नंबर की जानकारी डिजिटल रूप से दर्ज रहती है|
- यदि उसे किसी अन्य मीडिया (कार्ड, पेन ड्राइव, सीडी आदि) में भी कॉपी कर दिया जाए तब भी वह सारी जानकारी उसकी कॉपी में भी दर्ज रहती है, किन्तु जैसे ही उसमें किसी भी प्रकार का एडिटिंग द्वारा परिवर्तन करने से वह सारी जानकारी हट जाती है| यदि कोई फ़ोटो खराब भी खींची गई, या अनावश्यक रूप से खींची गई हो, उसे भी आनिवार्य रूप से डिलीट नहीं किया जा सकेगा| जब तक उस फ़ोटो / विडिओ को कहीं उपयोग में नहीं लिया जाता, वह निर्विवादित रहेगा किन्तु उसे मिटा देने से संदेह के दायरे में आ जाएगा| (यानि कैमरे के फ़ोटो के सीरियल में किसी भी प्रकार का जंप संदेह पैदा करेगा)|
- किसी प्रकार के मीडिया (प्रेस / चैनल / यू ट्यूब ट्वीटर व्हाट्स एप आदि) को भेजे जाने वाला विडिओ या फ़ोटो बिना किसी एडिटिंग के ही भेजें| मीडिया कंपनी चाहे तो उस फ़ोटो का सम्पूर्ण या किसी भाग का उपयोग तो कर सकेगा, किन्तु फ़ोटोशॉप या अन्य एडिटिंग सोफ्टवेयर द्वारा उस फ्रेम में न तो किसी स्थान या व्यक्ति को हटाएगा और न ही जोड़ेगा| साथ ही उसे प्रकाशित करने वाली मीडिया कंपनी को भी फर्स्ट सोर्स से प्राप्त होने वाले मूल फ़ोटो / विडिओ को भी सदैव सुरक्षित रखना चाहिए|
- चूंकि आजकल कैमरों में फिल्म के स्थान पर मेमोरी कार्ड काम में लिए जाते हैं और फ़ोटो और विडिओ दोनों ही उसी में रिकार्ड होते हैं, कई सारे फ़ोटो / विडिओ आ जाते हैं| उस मीडिया कर्मी / पत्रकार / फोटोग्राफर को उस कार्ड में से कॉपी करके ही मीडिया को डिजिटल ट्रांसफर करना चाहिए और मूल कार्ड बिना किसी छेड़छाड़ के अपने पास प्रमाण के तौर पर सदैव सुरक्षित रखना चाहिए, उस कार्ड के पूरा भर जाने पर उसे दोबारा इस्तेमाल नहीं कर, नए कार्ड को ही काम में लेना चाहिए| जिससे किसी भी प्रकार के विवाद में फोरेंसिक जांच करने में सही स्थिति, समय, दिनांक व उपयोग में लिए गए कैमरे आदि की जानकारी द्वारा उसकी सत्यता मालूम चल सके| वैसे भी उस फ़ोटो या विडिओ क्लिप से प्राप्त रकम उस कार्ड की कीमत से कई गुना अधिक होती है, या यूं कहें कि लगभग नगण्य ही होती है|
- हर मेमोरी कार्ड के पीछे उस कार्ड का सीरियल नंबर अन्य जानकारियों सहित अंकित होता है, प्रत्येक मीडिया कर्मी / पत्रकार / फोटोग्राफर को उस कार्ड को खरीदते समय दुकानदार से कार्ड के पीछे लिखे सीरियल नंबर को स्पष्ट रूप से अपने “पर्चेज इन्वॉइस” में अंकित करवा लेना चाहिए| इन्वॉइस उपयोग कर्ता के नाम से ही बनी होनी चाहिए| उस इन्वॉइस को भी सदैव सुरक्षित रिकार्ड के रूप में रखना आनिवार्य होना चाहिए|
उपरोक्त सभी नियमों के पालन से फर्जीवाड़ा करना असंभव हो जाता है| किसी भी पुराने फ़ोटो / विडिओ का भी इस्तेमाल नहीं हो सकता क्यूंकी एक ही फ़ोटो को किसी भी एंगल से वापस कैमरे से खींचने पर एक जैसी ही आती है, इसी प्रकार पुराने विडिओ को भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा|
इसको जाँचने के लिए अपने लेपटॉप या डेस्कटॉप में किसी भी कैमरे द्वारा खींचे गए फ़ोटो लिस्ट निकाल कर, किसी भी फ़ोटो पर माउस ले जाकर उसकी प्रॉपर्टी और मीडिया इनफॉर्मेशन देखने से फ़ोटो खींचे जाने की दिनाँक, समय, स्थान, कैमरे का नाम व मॉडेल नंबर, फ्रेम नंबर, शटर स्पीड, अपरचर, ज़ूम आदि के संदर्भ सहित अन्य कई सारी जानकारियाँ भी दिखाई देखी जा सकती है|