विपुल रेगे। शुक्रवार को भारत में एक मॉडल और अभिनेत्री की सर्वाइकल कैंसर से मौत का समाचार बहुत तेज़ी से फैलता है। लोग अफ़सोस जताते हैं। दिनभर की ‘स्तुतिपूर्ण ख़बरों’ के बीच मुंबई के पाश इलाके लोखंडवाला में रहने वाली पूनम पांडे की मौत तेज़ी से अपना स्थान बना लेती है। लेकिन चौबीस घंटे बीतते-बीतते पूनम के सकुशल जीवित रहने की खबरें आने लगती है। क्या भारत फेक समाचारों के प्रसारणों को लेकर उस चरम शिखर पर पहुंच चुका है, जहाँ से वापस आना संभव नहीं है। क्या इसे संयोग माना जाए कि जिस समय देश पूनम पांडे की सर्वाइकल कैंसर से मौत की चर्चा कर रहा था, ठीक उसी समय संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2024 का अंतरिम बजट पेश करते समय घोषणा करती हैं कि सरकार सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए 9 से 14 वर्ष के आयु वर्ग की लड़कियों के टीकाकरण को प्रोत्साहित करेगी।
खतरे के प्रति सावधान करने के लिए अक्सर प्रचार एजेंसियां नए-नए तरीके अपनाती है। दो दिन पूर्व ही सोशल मीडिया के रीलचक्र को घुमाने के दौरान एक यूनिक वीडियो प्राप्त हुआ। ये एक कार कंपनी का प्रचार अभियान था। एक थियेटर में कुछ दर्शक शो देखने गए। कंपनी ने शो देखने वालों के फोन नंबर कहीं से जुगाड़ लिए। शो शुरु होने से पूर्व एक विज्ञापन शुरु हुआ। स्क्रीन पर एक व्यक्ति कार चला रहा है। व्यक्ति को नहीं दिखाया जा रहा लेकिन स्टीयरिंग दिखाई देता है। तभी कंपनी की ओर से सभी को कॉल किया जाता है। जैसे ही दर्शक अपना कॉल रिसीव करते हैं, स्क्रीन पर एक्सीडेंट हो जाता है। कार ड्राइव करते समय फोन पर बात करने वालों को भयानक खतरे से चेताने के लिए ये विज्ञापन बनाया गया, जिसमे ऐसा रोचक प्रयोग किया गया।
ऐसा ही रोचक प्रयोग भारत के नागरिकों के साथ शुक्रवार को हुआ। पूनम पांडे की मौत और फिर उनका जीवित होना ऐसा था, जैसे पूनम ने देश के नागरिकों के साथ प्रेंक कर दिया हो। चौबीस घंटे मृत रहने के बाद जब पूनम वापस लौटी तो उन्होंने अपने इंस्टा अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया। वीडियो में पूनम ने कहा ‘मैं जिंदा हूं। मेरी मौत सर्वाइकल कैंसर की वजह से नहीं हुई है। दुर्भाग्य से मैं ये बात उन लाखों-करोड़ो महिलाओं के लिए नहीं कह सकती जिन्होंने सर्वाइकल कैंसर से अपनी जिंदगी खोई है। ये इसलिए नहीं कि वे कुछ नहीं कर सकती थीं बल्कि इसलिए कि उन्हें इस बारे में कुछ पता ही नहीं था कि क्या करना चाहिए।’ पूनम अपने वीडियो में जिस वायरस की बात कर रही हैं, उसे Human Papilloma Virus कहा जाता है।
HPV वैक्सीन का निर्माण अमेरिका के अलावा भारत में भी किया जा रहा है। भारत का सीरम इंस्टीट्यूट इसे बना रहा है। एक वैक्सीन न्यू जर्सी का ‘मर्क परिवार’ बनाता है। इस मर्क कंपनी की अपनी इस वैक्सीन को लेकर बिल एंड मेलिना गेट्स फाउंडेशन से हिस्सेदारी है। पूनम पांडे ने अपने वीडियो में कहा कि जिस ढंग से उनकी मौत की खबर फैली, उनका ये करने का उद्देश्य सफल हुआ। पूनम ने कहा कि आज सबकी जुबान पर सर्वाइकल कैंसर का ही नाम आ रहा है। पूनम पांडे के पिछले वीडियो जिसने भी देखे होंगे, वह ये कभी नहीं मानेगा कि उनके जैसी प्रोफेशनल मॉडल मुफ्त में अपनी मौत की खबर फैलाएगी और लोगों की नाराज़गी मोल लेगी। आज पूनम को चारो ओर से गालियां दी जा रही है। निश्चय ही ये काम उन्होंने मुफ्त में नहीं किया है।
ये एक ऐसा प्रचार अभियान था, जिसमे मीडिया का इस्तेमाल किया गया। देश के मीडिया के लिए ये घटना कलंक की तारीख के रुप में लिख दी जाएगी। शुक्रवार को इंडिया स्पीक्स डेली ने भी ये समाचार प्रकाशित किया क्योंकि देश के सभी मीडिया संस्थान ये खबर दे रहे थे। हालांकि हमने खबर में संदेह जाहिर कर दिया था। सन 2018 में सूचना व प्रसारण मंत्री रहते हुए स्मृति ईरानी ने फेक न्यूज़ पर एक कानून बनाया था। एक तरह से मिथ्या समाचारों के इस तमस में उन्होंने साहस कर एक दीप जलाया था लेकिन उनकी सरकार के शीर्ष पर बैठे लोगों ने इस कानून को चौबीस घंटे में पलट दिया।
आज वह कानून होता तो सिस्टम पूनम के विरुद्ध एक प्रकरण दायर कर सकता था लेकिन आज पूनम का कुछ नहीं किया जा सकता। यदि किया जा सकता तो भारतीय मीडिया को झांसे में लेकर वैक्सीन बनाने वाली निजी कंपनियों के प्रचार के लिए झूठी खबर फैलाने का प्रकरण पूनम पर दर्ज होता। लेकिन आज उनके इस कृत्य की प्रशंसा हो रही है। भारत को जल्द ही ठोस कदम उठाना होगा, नहीं तो एक दिन हमारी पत्रकारिता की विश्वसनीयता फेक न्यूज़ के पहाड़ों के नीचे दबी कराह रही होगी।