आज २० दिन से ज्यादा हो गए नोटबंदी की घोषणा हुए लेकिन आज भी जब बेंको और एटीएम के बाहर लम्बी लम्बी लाइन देखता हूँ तो आश्चर्य होता है कि दिल्ली जैसे शहर में क्या वाकई में इतनी समस्या है। यहाँ बहुत बड़ी संख्या है जिनके बैंक में खाते है, जिनके पास डेबिट या क्रेडिट कार्ड है और स्मार्ट फ़ोन है फिर इतनी समस्या क्यों? क्या वाकई में इन लोगो के इतने खर्चे है कि पूरे ही नहीं हो पा रहे?
रिजर्व बैंक के आंकड़ो के अनुसार दो लाख करोड़ से ज्यादा रकम पूरे देश में बेंको से निकाली जा चुकी है। अगर इतनी बड़ी राशि निकाली जा चुकी है तो वो बाजार में क्यों नहीं आ रही? इसका मतलब यही है कि या तो इस राशि का एक बड़ा हिस्सा काले धन में बदल गया है या लोगो ने राशि निकाल कर किसी डर से घर में जमा कर ली है! दोनों ही परिस्थिति ठीक नहीं है!
मीडिया के माध्यम से मिल रही खबरों के अनुसार लोग कमीशन लेकर काले धन को नए नोटों में बदलवा रहे है और इसमें बैंक के अधिकारी भी शामिल है! वाकई एक भयावह स्थिति दिखा रहा है, जिसको देखकर लग रहा है की काला धन एक तिजोरी से निकल कर 2-3 तिजोरी में वापिस इकठ्ठा हो रहा है! ऐसे लोग जिनके पास सफ़ेद धन भी नहीं है, उनके खाते का उपयोग काला धन खपाने में हो रहा है! ये बाते वाकई में चिंताजनक है! ये लोग थोड़े से लालच में इस पूरी मुहिम का बेड़ा गर्क कर रहे है!
उधर नए और छोटे नोटों की व्यवस्था न होने की वजह से सरकार बार बार पेट्रोल पंप, अस्पताल, केमिस्ट, सरकारी बिलों के भुगतान के लिए पुराने नोटों को चलाने की सुविधा दिए जा रही है जो इन नोटों को खपाने का एक रास्ता और खोल रही है। अगर कोई व्यक्ति नये नोटों से या छोटे नोटों से ऐसी जगह भुगतान करता है तो क्या गारंटी है की वो पैसा बैंक में जमा हो रहा है? हो सकता है उसके बदले पुराने नोटों को बदला जा रहा हो? ये सब मामलो की जांच कैसे होगी ये समझ से बाहर है? आयकर विभाग इन मामलो की जांच करेगा लेकिन वो कैसे प्रमाणित करेगा कि कौन सा धन काला धन है और कौन सा सफ़ेद? इस बात की क्या गारंटी है कि जांच निष्पक्ष होगी? आम लोगो को परेशान नहीं किया जाएगा? रिश्वतबाजी नहीं होगी? और अगर सब ईमानदारी से भी होगा तो इसमें कितना समय लगेगा? क्योकि मामला अधिकारी से वरिष्ठ अधिकारी पर जाएगा फिर अपील में जाएगा इसमें लम्बा समय लगेगा!
जब प्रधानमंत्री जी ने नोट्बंदी की घोषणा की थी तो लगा था कि अब काला धन खत्म, एक नए युग की शुरुआत होगी! उस समय मेरा अनुमान था कि कम से कम 25% धनराशि वापिस नहीं आएगी जो तक़रीबन 3 से 4 लाख करोड़ के बीच होगी। वो ऐसे ही रद्दी हो जायेगी, लेकिन जिस तरह से 16-17 दिन में ही 8 लाख करोड़ से ज्यादा जमा हो चुके है, उसको देखकर लगता है कि ये अनुमान भी गलत हो सकता है! अगर इतना पैसा सिस्टम में आ रहा है तो इसका मतलब तो यही है की काले धन का भी कुछ भाग वापिस तिजोरियो में चला गया है या बाद में चला जाएगा!
सरकार भी इस बात को समझ रही है, इसलिए रोज नियमो में बदलाव कर रही है जो कि जरूरी भी है। लेकिन उसके बावजूद समस्या ख़तम नहीं हो रही। काले धन की स्वयं घोषणा करने पर 50% का कर वाकई एक सराहनीय कदम है, क्योकि इससे वो लोगो जो दुसरे रास्तो से काले धन को सफ़ेद कर रहे है वो कर देकर वापिस सिस्टम में आने की कोशिश करेगे। कैशलेस सोसाइटी की तरफ उनका कदम सराहनीय है, लेकिन लोगो को शिक्षित करना और दुकानों पर स्वाइप मशीनो की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए भी कोई कानून बनाना उनकी जिम्मेदारी होनी चाहिए।
ऐसा मेरी याद में तो पहली बार है जब आम आदमी परेशान होकर भी संयम दिखा रहा है और नेता संयम नहीं दिखा पा रहे है! लगातार उलटी सीधी बयानबाजी हो रही है, लेकिन जनता शांत है और इन्तजार कर रही है सब कुछ ठीक होने का। जिन घरो में शादिया है, उनकी परेशानी जायज है। वो लोग लगातार बेंको के चक्कर लगा रहे है, लेकिन एक तो RBI के नियम और केश की किल्लत की वजह से पैसा नहीं मिल पा रहा। ऐसे लोग थोड़ी सी तकलीफ और ले और अपने पैसो में से थोडा थोडा पैसा घर के बाकी सदस्यों के खातो में ट्रान्सफर कर दे, फिर वो एक खाते से आसानी से 24000 रूपये एक हफ्ते में एक खाते से निकाल सकते है, इससे उनकी समस्या काफी हद तक हल हो सकती है।
अंत में तो यही कहूगा कि ऐसा फैसला लेकर सरकार ने जबरदस्त इच्छाशक्ति का परिचय दिया है लेकिन ये हमारा भी फ़र्ज़ है कि इसमें सहयोग करके इस फैसले को सफल बनाये। परिणाम तो हर हाल में सकारात्मक ही होगा, लेकिन हो सकता है उतना न हो जितना हम सोच रहे है। लेकिन एक शुरुआत तो हुई! उम्मीद है कि आने वाले में समय में और भी कड़वे फैसले लिए जायेगे, लेकिन देश की जनता उनका भी साथ देगी, ऐसी उम्मीद तो अब की ही जा सकती है!