आईएसडी नेटवर्क। केंद्र सरकार ने मंगलवार को नए संसद भवन में महिला आरक्षण विधेयक 2023 पेश किया। लोकसभा में ये 128वां संशोधन है। इस विधेयक में महिलाओं के लिए लोकसभा, राज्य विधान सभाओं में सीटों को आरक्षित करने का प्रावधान है। ये आरक्षण पंद्रह वर्ष के लिए दिया गया है। विधेयक के कानून बनने के बाद परिसीमन प्रक्रिया होगी। इसके बाद महिला आरक्षण प्रभाव में आ जाएगा। नए संसद भवन में इसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम से प्रस्तुत किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर नए संसद भवन में सदन को संबोधित करते हुए बताया कि सरकार नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम से बिल ला रही है। उन्होंने कहा कि ‘ सर्वसम्मति से कानून पारित हो इसकी प्रार्थना करता हूं।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल ने देश के नए संसद में महिला आरक्षण पर बिल पेश किया है। इस बिल के अंतर्गत लोकसभा और राज्यसभा की एक तिहाई सीटों को महिला सांसदों के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव है।
वर्तमान में लोकसभा में 82 महिला सांसद हैं और राज्यसभा में 30 महिला सांसद हैं। कहा जा सकता है कि संसद में महिलाओं की मौजूदगी लगभग पंद्रह प्रतिशत है। जब ये बिल पास कर दिया जाएगा तो 33 प्रतिशत आरक्षण महिला सांसदों को दिया जाएगा। जानकारी के अनुसार ये आरक्षण पंद्रह वर्ष की अवधि के लिए दिया जाएगा। आरक्षण की अवधि बढ़ाने का अधिकार संसद के पास रहेगा। कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने इस अवसर पर कहा कि ‘बिल महिला सशक्तिकरण से जुड़ा हुआ है।
सपा की हमेशा से मांग रही है कि पिछड़ा वर्ग महिला तथा अल्पसंख्यक महिला को नारी शक्ति वंदन अधिनियम में शामिल किया जाए और इसमें उनको आरक्षण दिया जाए। लोकसभा और विधानसभा में यह महिला आरक्षण बिल तो लागू होगा लेकिन हम पूछना चाह रहे हैं कि राज्यसभा और विधान परिषद में लागू होगा कि नहीं?… pic.twitter.com/QM7Ph9XhDa
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 20, 2023
संविधान के अनुच्छेद 239AA में संशोधन करते हुए दिल्ली के नेशनल कैपिटल टेरिटरी में 33% सीट महिलाओं के लिए आरक्षित किया जाएगा।’ केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने हंगामा शुरू होने और कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित होने से पहले लोकसभा में विधेयक पेश करने की अनुमति मांगी। हंगामा इसलिए हुआ क्योंकि संसद सदस्यों ने आपत्ति जताई कि उन्हें विधेयक की कापियां उपलब्ध नहीं कराई गई थी।

इसके तुरंत बाद, कार्यवाही फिर से शुरू हुई और विधेयक को ध्वनि मत से पेश किया गया, जिसके बाद सदन को बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। अनुच्छेद 334ए(2) में कहा गया है कि आरक्षण संसद द्वारा निर्धारित तिथि तक जारी रह सकता है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि लोकसभा और राज्यों और एनसीटी दिल्ली की विधानसभाओं में मौजूदा प्रतिनिधित्व इन सदनों के भंग होने तक प्रभावित नहीं होगा।
इस बिल के पेश होने के बाद विपक्ष ने आशंका जताते हुए कहा है कि इसे पास होने में बहुत समय लग सकता है। विपक्ष का कहना है कि जनगणना होने के बाद परिसीमन होगा, तब इस बिल के पास होने की नौबत आएगी। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सरकार ने अभी तक 2021 की दशकीय जनगणना नहीं की है, ऐसे में किस आधार पर यह लागू होगा क्योंकि यह बिल अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके बाद परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही प्रभावी होगा।
उल्लेखनीय है कि सन 2021 की जनगणना कोरोना काल के चलते नहीं हो सकी थी। आगे जनगणना कब होगी, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। ऐसे में कहा जा सकता है कि महिला आरक्षण विधेयक ने अभी आधा रास्ता ही पार किया है।
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि इस बिल के मुताबिक आने वाले 15-16 सालों में देश में महिलाओं को आरक्षण नहीं दिया जाएगा। इस बिल के पास होने के बाद इसे तुरंत लागू नहीं किया जा सकेगा। सबसे पहले देश में जनगणना कराई जाएगी और इसके बाद सीटों का परिसीमन किया जाएगा। जनगणना में काफी समय लगता है। इसके बाद ही यह बिल लागू होगा। इससे साफ है कि यह बिल महिलाओं को आरक्षण देने के इरादे से नहीं लाया गया है बल्कि आगामी चुनाव से पहले महिलाओं को प्रलोभन देने के लिए लाया गया है।