तीन महीने से हिंदु चीत्कार करते रहे। हम जैसे हिंदू वाणी और वेदना की न सिर्फ उपेक्षा की गई, अपितु आतंकी कुकी ईसाई विदेशियों के पक्ष में असम राइफल्स और spear Corps ने कार्यवाही की, मोदी प्रशासन के अंदर।
जो हिंदु, अप्रैल से मई ३ तक विनाश, विध्वंस और हिंसा का तांडव झेल रहे थे, उनको ही मई ५ से न सिर्फ प्रताड़ित किया गया, अपितु उन्हें ही अभियुक्त बना कर कटघरे में मिडिया द्वारा फांसी चढ़ाया गया।
मोदी शासन ने कुकी विद्रोहियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की। उलटा एक संप्रभु राज्य उन्हें पकड़ा दिया है, जहां हिंदू का घुसना प्रतिबंधित है, राज्य शासन तंत्र भी वहां लुप्त हो गया है। ६०००० की सेना फोर्स लगी है, पर सिर्फ मणिपुर घाटी के १०% हिंदू क्षेत्र को “प्रतिकार” करने से रोकने के लिए।
हिंदुओं ने पुलिस से अस्त्र ले लिए थे, आत्मरक्षा के बंकर बनाए थे, उन सबको तोड़ दिया गया और हथियार भी वापस ले लिए जिससे अब हिंदु पूरी तरह से निशस्त्र और दुर्बल बना दिया गया है।
केंद्रीय शासन की गलती है कि न हिंदू सशक्त रह पा रहा है और न ही विद्रोही विदेशी आतंकी म्लेच्छ को आपराधिक गतिविधि अथवा आसुरी हिंसा से रोक पा रहा है। इस नपुंसकता का करण क्या है। गुजरात दंगो में भी यही हुआ।
बजरंग दल, परिषद अथवा अन्य हिंदू जेल में अधिक ठूंस दिए गए। क्योंकी मीडिया, अमरीका, पोप संस्था राजा को खुश करना ही किंकर शेख चिल्ली का कर्तव्य होता है।
पूरी हिंदू सभ्यता का पूर्वी अंतिम द्वार है मणिपुर, आज वो मणि ही नोंच ली गई। जैसे कश्मीर फेंक दिया गया म्लेछो को, वैसे ही मणिपुर के साथ दिल्ली सल्तनत और उसके समर्थकों ने द्रोह किया है।
साभार: शिल्पी तिवारी।