भारत का मुस्लिम समुदाय #अग्निवीर योजना का खुलकर समर्थन कर रहा है और संगठित रूप से कर रहा है। एक ही तरह के मैसेज अलग-अलग एकाउंट से पूरे सोशल मीडिया पर फ्लोट हो रहा है। कहीं इस संगठित समर्थन के पीछे कोई संगठन तो नहीं है? इसकी जांच आवश्यक है। दूसरी बात, मेरा मानना है कि सरकार इस योजना पर देश भर में पहले बहस छेड़े। लोगों से सुझाव मांगे और फिर इसे लागू करे।
हर बार यही गलती हो रही है। मंत्रीमंडल के सदस्यों और देश की जनता से बिना सुझाव मांगे ‘सरप्राइज़ मास्टरस्ट्रोक’ के चक्कर में कोई योजना लागू कर दी जाती है, फिर उसके क्रियान्वयन में सरकार को संगठित विरोध का सामना करना पड़ता है और फिर सरकार यू-टर्न ले लेती है! भूमि सुधार कानून, CAA (नियमावली अभी तक लागू नहीं) और किसान बिल पर सरकार को अपने पैर पीछे खींचने पड़े हैं।
गृहमंत्री द्वारा संसद में पूरे देश में घुसपैठियों को चिह्नित करने वाली NRC को लाने की घोषणा के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। अब अग्निवीर का विरोध भी आरंभ हो गया है। छात्र ट्रेन फूंक रहे हैं।
सरकार की आठ साल की सफलता में नोटबंदी को भी शामिल नहीं किया गया है, यानी सरकार उसमें भी अपनी विफलता मान रही है। यह देश है, प्रयोगशाला नहीं, यह प्रधानमंत्री को समझना चाहिए। मुश्किल से अर्थव्यवस्था पटरी पर आ रही है, फिर से विरोध में सब ठप न हो जाए!
अग्निवीर पर सरकार एक्सपर्ट के जरिए सभी अखबारों में लेख लिखवाए, न्यूज चैनलों में प्रवक्ताओं को प्रशिक्षित कर बोलने के लिए भेजे, लोग जो विरोध कर रहे हैं, उनके सुझाव को सुने और यदि योजना में कुछ बदलाव करना पड़े तो करे!
मोदी सरकार यह देखे कि हर बात में उसका एकतरफा विरोध करने वाला मुस्लिम समुदाय आखिर अग्निवीर योजना का एकतरफा समर्थन क्यों कर रहा है? इसकी तह तक जाए।
कल को ऐसा न हो कि एंटी सीएए और किसान बिल की तरह देश फिर से जल उठे और सरकार को कदम खींचना पड़े! इससे अच्छा है इसके लिए देशव्यापी सुझाव अभियान चलाए। जनता और छात्र समुदाय जुड़ेगा तो आखिर में लाभ सरकार को ही मिलेगा, यह सरकार को समझना चाहिए।