नई दिल्ली: मणिपुर में करीब डेढ़ महीने से जारी जातीय संघर्ष में सौ से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हज़ारों नागरिक शरणार्थियों के तौर पर शिविरों में रह रहे हैं. इस बीच, राज्य की भाजपा सरकार की ओर से लगातार कुकी विद्रोही समूहों, खासकर जिन्होंने केंद्र और राज्य सरकार के साथ किए गए सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (एसओओ) पर हस्ताक्षर किए थे, को इस हिंसा का जिम्मेदार बताया जा रहा है.
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट बताती है कि 2019 में एसओओ के अंतर्गत आने वाले एक कुकी समूह के नेता ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे एक पत्र में कहा था कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा और भाजपा नेता राम माधव ने 2017 में मणिपुर विधानसभा चुनाव जीतने के लिए बागी कुकी समूहों से मदद ली थी. दोनों नेता उस समय पूर्वोत्तर भारत में पार्टी का प्रभार संभाल रहे थे.
A Kuki militant on camera:
He is speaking in Manipuri and translate as:
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BJP during elections sought our help and promised that if we help they will grant our political demand. If this time they do not agree to our demand we will show BJP something different.
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So the… pic.twitter.com/wOxJady5MS
— GRT (@geet_takhelcha) June 14, 2023
ज्ञात हो कि 2017 में मणिपुर में पहली बार भाजपा सत्ता में आई थी और एन. बीरेन सिंह मुख्यमंत्री बने थे.
कुकी नेता का यह पत्र 8 जून, 2023 को एनआईए अदालत में एसओओ के तहत सशस्त्र संगठनों में से एक- यूनाइटेड कुकी लिबरेशन फ्रंट (यूकेएलएफ) के अध्यक्ष एसएस हाओकिप द्वारा दायर एक हलफनामे के साथ संलग्न अनुलग्नकों (annexures) में से एक था.
Yes it seems to be so as things are coming out. Check the letter below. Kuki Militant leader sending letter to HM mentioning this agreement, point A and B, and seeking help in a gun case against him!! pic.twitter.com/DYdwOmvxn4
— GRT (@geet_takhelcha) June 15, 2023
हाओकिप कांग्रेस के पूर्व विधायक यामथोंग हाओकिप से अवैध हथियार खरीद के एक मामले में आरोपी हैं. आरोप है कि एसएस हाओकिप ने जो 10 पिस्तौलें खरीदी थीं, वे कथित तौर पर राज्य पुलिस के शस्त्रागार से चुराई गई थीं. यामथोंग हाओकिप को 24 अगस्त, 2018 को उग्रवादी संगठनों को चोरी के हथियार बांटने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
रिपोर्ट के अनुसार, पत्र में यूकेएलएफ नेता ने आरोप लगाया है कि 2017 में उनके संगठन और एक अन्य कुकी संगठन यूनाइटेड पीपल फ्रंट (यूपीएफ) ने राम माधव और हिमंत बिस्वा शर्मा के साथ एक समझौते के अनुसार भाजपा उम्मीदवारों को चुना था.
पत्र में कहा गया है, ‘मैंने राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के गठन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सच कहूं तो अगर इन्हें हमारा समर्थन नहीं मिला होता तो राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार बनाना लगभग असंभव होता. हाल ही में संपन्न हुए संसदीय चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को हमारे क्षेत्र में लगभग 80-90 प्रतिशत वोट मिले हैं.’
एसएस हाओकिप का आरोप है कि अवैध रूप से खरीदी गई पिस्तौल वापस करने के बावजूद उन्हें हथियार खरीद मामले में फर्जी फंसाया गया है. मामले में राहत की मांग करते हुए कुकी नेता ने केंद्रीय गृह मंत्री को लिखे पत्र में पूर्व में भाजपा के लिए किए गए एहसानों का हवाला दिया था.
इंडिया टुडे के अनुसार, राम माधव ने एसएस हाओकिप के दावों का खंडन किया है. खबर लिखे जाने तक असम के मुख्यमंत्री द्वारा इस संस्थान भेजे गए मैसेज का जवाब नहीं दिया था.
इकोनोमिक्स टाइम्स के अनुसार इस बीच कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने इस रिपोर्ट को लेकर सवाल किया है कि ‘कुकी उग्रवादियों’ की मदद लेने को क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह मंजूरी दी थी?
. @IndiaToday expose’ on BJP CM Himanta Biswa Sarma & its Former National General Secretary Ram Madhav is truly disturbing and depicts an unpardonable compromise with National Security, if assertions are proved.
But the more important QUESTION👇
▪️Did BJP take assistance of… pic.twitter.com/xwEABXiwDk
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) June 13, 2023
एक ट्वीट में सुरजेवाला ने इन रिपोर्ट के स्क्रीनशॉट साझा करते हुए लिखा कि हिमंता बिस्वा शर्मा और राम माधव के बारे में यह खुलासा परेशान करने वाला है और अगर दावे सही हैं तो राष्ट्रीय सुरक्षा ऐसा समझौता किया गया, जिसे माफ़ नहीं किया जा सकता।
गौरतलब है कि 3 मई 2023 से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोग मारे गए हैं. लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं और पुलिस शस्त्रागार से 4,000 से अधिक हथियार लूटे या छीन लिए गए हैं।

दूसरी तरफ केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य के विभिन्न जातीय समूहों के बीच शांति स्थापित करने के लिए शांति समिति का गठन किया है. हालांकि मुख्यमंत्री के इसमें शामिल किए जाने का विरोध हो रहा है. मेईतेई और कुकी-ज़ोमी- दोनों समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूहों ने कहा कि वे इस समिति में भाग नहीं लेंगे।