अविनाश भारद्वाज शर्मा। संभवतः बहुत से लोग मौलाना कलीम सिद्दीकी के बारे में पूरा नहीं जानते हैं इसीलिए सोशल मीडिया पर योगी जी महाराज के इस “न भूतो न भविष्यति” काम पर टिपिकल भजपाई क्रेडिट ईटिंग वाली ताली बजाने से ज्यादा कुछ दिखाई नहीं दिया। दरअसल ये मामला इतना ज्यादा गहरा है कि स्वयं मालिक-ए-हिन्दोस्तान ही नहीं चाहेंगे कि आप इस पर ज्यादा जानें, और इसीलिए आईटी सेल भी आपको इस पर इस पर ज्यादा नहीं जानने देगी कि “आखिर इसमें ऐसा क्या है?” लीजिये, यहाँ जानिये और पूरी कुण्डली जानिये
तब्लीगी जमात के ‘कोरोना-फैलाओ-काण्ड’ वाला मौलाना साद याद है? वो जिस सिक्के का एक पहलू है, मौलाना कलीम सिद्दीकी ठीक उसी सिक्के का दूसरा पहलू है। यूँ समझिये कि मौलाना कलीम सिद्दीकी जिन लोगों को ‘दावत’ देकर धर्म बदलवाता था, आगे चलकर मौलाना साद उन्हीं लोगों को और भी कट्टर बनाता था। याद तो होगा ना कि तब्लीगी जमात कोरोना-काण्ड के समय आखिरकार जब गृह मंत्रालय ने मौलाना साद को उठा लेने की तैयारी कर ली थी तब कैसी बला की फुर्ती से, ऐन चन्द मिनटों पहले, मर्द-ए-मुजाहिदीन के शोना बाबू ने कैसे बीच रात २ बजे दौड़ कर साद को भगाकर गिरफ़्तारी से बचाया था?
मौलाना साद की ही तरह मौलाना कलीम सिद्दीकी की भी पहुँच बहुत ऊँची है। एकदम वैसी ही “टॉप-ऑफ़-द-लाइन सुरक्षा” पाने वाले मौलाना कलीम सिद्दीकी पर भी हाथ डालने की हिम्मत आज तक पूरे देश में ना किसी की हुई और ना ही आगे कभी होती। जबकि सच यह है कि भारत और इसकी राज्य सरकारों के गृह मंत्रालयों में सब जानते थे कि मौलाना कलीम सिद्दीकी क्या और कैसे करता है। “सबकी” मर्जी के मुखालिफ जाकर यह गिरफ़्तारी करवाना महाराज जी के सिवा किसी के बूते का नहीं था और इसीलिए योगी जी महाराज का यह काम “न भूतो न भविष्यति” है।
हाल ही में अपने वीडियो से चर्चा में आया हुआ सैयद सलमान हुसैन नदवी लखनऊ में चलने वाले जिस नदवातुल-उलूम के ‘फैकल्टी ऑफ़ दावा’ का डीन है, मौलाना कलीम सिद्दीकी उसी फैकल्टी की ट्रेनिंग पाया हुआ एक विद्यार्थी है। यही इन तीनों के बीच कॉमन कनेक्शन है। ये हनफ़ी फिरके के देवबंदी सुन्नी हैं। हनफ़ी, सुन्नी, हिदाया, शेख अहमद सरहिंदी, शाह वलीउल्लाह, अल-हिदाया, जेहाद, देवबंदी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, कौमियत जुदागाना बनाम कौमियत मुत्तहिदा, भारत का बँटवारा, १० लाख हत्यायें … कुछ याद आया? कुछ जुड़ता हुआ दिख रहा है? कुछ खटका?
“अकेले महाराज जी” ही हैं जो इस भारत तोड़ने वाले खेमे के ठीक सामने खड़े हैं और अपनी राजनैतिक दुनिया को ठेंगे पर रखकर खुलकर बैटिंग कर रहे हैं। मौलाना कलीम सिद्दीकी ही भारत की ज़कात फाउंडेशन की “शरीयत काउन्सिल” का मेंबर है। यही काउन्सिल भारत सरकार से कुधर्मियों को मुफ्त में UPSC की तैयारी करवाने के लिए आपके टैक्स में से पैसा वसूलती है। ना सिर्फ इतना, बल्कि यही शरीयत काउन्सिल हफ्ते में एक बार शरीयत की कम्पलसरी क्लास लगाती है जिसमें खुद मौलाना कलीम सिद्दीकी उन्हें अपनी शरीयत को और कट्टर बनाने की ट्रेनिंग देता है। इसका सीधा सा मतलब तो इसके सिवा तो कुछ निकल ही नहीं सकता है कि भारत सरकार की तरफ से इसको इस बात की खुली छूट मिली हुई थी कि वो UPSC में चुनकर आने वाले अधिकारीयों में अपने ट्रेंड कट्टर जिहादी मानसिकता वाले लोगों को घुसा दे ताकि वो समूह आगे चलकर सामजिक, प्रशासनिक और न्यायिक असंतुलन कर सके।
“आखिरकार योगी जी” की बेख़ौफ़ होकर करवाई हुई इस गिरफ़्तारी से इस हरकत पर थोड़ी लगाम लगने की उम्मीद जागती है। यही मौलाना कलीम सिद्दीकी भारत के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक अनुषांगिक संगठन “मुस्लिम राष्ट्रीय मंच” का बहुत ज्यादा करीबी भी है। यह खुलेआम, अपनी मर्जी के समय से, जाकर “समान डीएनए” मार्का सर-उल-मर्द-ए-मोमिन से मिल सकता है। अभी 6-7 सितम्बर को किसी Global Strategic Policy Foundation की एक बैठक पुणे में हुई थी जिसमें स्वयं वर्तमान सर-उल-मर्द-ए-मोमिन ने शिरकत की थी। इस फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री अनन्त भागवत हैं जो उनके भाई ही हैं।
क्या आप जानते हैं कि इस बैठक का न्योता देने के लिए श्री अनन्त भागवत खुद चलकर मुजफ्फरनगर गए थे और मौलाना कलीम सिद्दीकी को न्योता दिया था? इस बैठक में सर-उल-मर्द-ए-मोमिन के साथ मौलाना कलीम सिद्दीकी की आत्मीयता की तसवीरें अब सबने देख ली हैं। उम्मीद है अब आप इसका भ्रम जाल देख सकते होंगे कि इसने कैसे-कैसों को अपनी पकड़ में जकड़ रखा हुआ है। ऐसे में माननीय “सर” के लिए दुर्दांत आक्रमणकारियों, बलात्कारियों, व्यभिचारियों, अत्याचारियों, हत्यारों का डीएनए सनातनियों के समान नहीं हो जायेगा तो और क्या होगा?
(इसी मौलाना कलीम सिद्दीकी का दावा है कि पुराने सर-उल-मर्द-ए-मोमिन सुदर्शन जी को इसने शीर-खुरमा खिलाया तब से उन्होंने कुधर्मियों के मुखालिफ बोलना बंद कर दिया था। वैसे तो यह भी रहस्य ही है कि वो अपने रिटायरमेंट के बाद एकाएक कहाँ गए, क्यों गए, खुद गए या भेजे गए? वैसे तो कलीम सिद्दीकी का यह कहना भी आम है कि उसने उन्हें भी दावत दी थी और उन्होंने कलमा पढ़ भी लिया था, लेकिन यह विषय हमारा नहीं है और अभी हम उस पर बात भी नहीं करेंगे।) और सुनिए – संघ के “मुस्लिम राष्ट्रीय मंच” वाले आयाम में इस मौलाना कलीम सिद्दीकी के साथ एक वहीदुद्दीन खान भी हुआ करता है।
यही वहीदुद्दीन खान और वर्ल्ड फेमस “ज़फर सरेसवाला” उस तब्लीगी मौलाना साद के बहुत ज्यादा करीबी हुआ करते हैं। क्या आपने सुना है कि ज़फर सरेसवाला ने गुजरात के एक शहरी न्यायालय के आदेश को भारत के सर्वोच्च दफ्तर की मदद से पलटकर सरकारी जमीन पर ४०० लोगों का एक मदरसा बनवाया है? इसमें जो लिंक या कनेक्शन बनता दिख रहा है उस लिंक को समझिये, और साथ ही इस बात को भी समझिये कि महाराज जी के रूप में स्वयं “नाथ सम्प्रदाय” एक बार फिर अपनी परम्परा निभाते हुए भारत के लिए, सनातन धर्म के लिए हर संभव कोशिश करने के लिए उठ खड़ा हुआ है।
हमको समझना होगा कि अगर अगले चरण में भारत को बचाना है तो उसके लिए हमें योगी जी महाराज ही चाहिए। भारत राष्ट्र के ध्वज को अब धर्मध्वज के साथ चलना ही होगा। जरूरत योगी जी को भले ही ना हो लेकिन हमें योगी जी की ही जरूरत है। जो हुआ वो होता रहे इसके लिए योगी जी ही जरूरी हैं। और इसके लिए उ० प्र० विधान सभा चुनाव में योगी जी की 325+ सीटें हद से ज्यादा जरूरी हैं।
योगी जी ने इसको गिरफ्तार करने का जो साहस किया है वह “अदम्य साहस” है। इतिहास पलटकर देख लीजिए, अभी तक स्वतंत्र भारत में इस गिरफ़्तारी और धर्म की ऐसी कठोर रक्षा की कोई तुलना उपलब्ध नहीं है। आज तक इस श्रेणी का कोई भी दावेबाज कभी गिरफ्तार नहीं हो सका है। ये केवल योगी जी महाराज ही कर सकते थे और उन्होंने किया भी है।
उप्र के धर्मांतरण रैकेट को अमेरिका, ब्रिटेन सहित विदेशों से हुई 100 करोड़ से अधिक की फंडिंग!
UP ATS ने अब तक ₹100 करोड़ से भी अधिक अवैध फंडिंग के सबूत जुटा लिए हैं। पूरे गिरोह का सरगना मौलाना उमर गौतम को ब्रिटिश संस्था अल-फला ट्रस्ट से ₹57 करोड़ की फंडिंग हुई थी। इसके अलावा अवैध धर्मांतरण के दुनिया भर में फैले रैकेट की जड़ों को खंगाल रही उत्तर प्रदेश ATS ने अहम सबूत जुटाए हैं। इस मामले में उत्तर प्रदेश के आरोपितों के नेटवर्क खाड़ी देशों के अलावा अमेरिका और इंग्लैंड से भी जुड़े मिले हैं। इन आरोपितों को अवैध धर्मांतरण के लिए पैसे हवाला रैकेट से पहुँचाए जाते रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस प्रकरण की जाँच कर रही UP ATS ने अब तक ₹100 करोड़ से भी अधिक अवैध फंडिंग के सबूत जुटा लिए हैं। पकड़े गए आरोपितों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल करते हुए ATS अब तक 89 करोड़ रुपये की फंडिंग की जानकारी भी दे चुकी है।
UP ATS के आरोप पत्र के अनुसार इस पूरे गिरोह का सरगना मौलाना उमर गौतम है, जिसे ब्रिटिश संस्था अल-फला ट्रस्ट से ₹57 करोड़ की फंडिंग हुई थी। यह पैसा हवाला और अन्य माध्यमों से भेजा गया था। इस आरोप पत्र में कुल 4 अभियुक्तों का जिक्र किया गया है। बाकी 3 आरोपित अवैध धर्मांतरण रैकेट के मुखिया मौलाना उमर गौतम के साथी और सहयोगी हैं।
मौलाना उमर गौतम अवैध धर्मांतरण के लिए पैसा ‘अल-हसन एजुकेशनल एंड वेलफेयर फाउंडेशन’ में मँगाया करता था। मौलाना उमर गौतम को पैसे भेजने वाले स्रोतों ने ही एक अन्य मौलाना कलीम सिद्दीकी को भी 22 करोड़ रुपए भेजे थे। यह पैसे मौलाना कलीम सिद्दीकी के ट्रस्ट ‘जामिया इमाम वलीउल्लाह ट्रस्ट’ में ट्रांसफर किए गए थे।
इसी रैकेट से जुड़े वडोदरा के रहने वाले सलाहुद्दीन को भी पैसे भेजे गए थे। सलाहुद्दीन की संस्था अमेरिकन फेडरेशन ऑफ मुस्लिम ऑफ इंडियन ओरिजिन है। इस संस्था को 5 वर्षों में लगभग 28 करोड़ रुपए मिले थे। सलाहुद्दीन ने ये पैसे उमर गौतम को दे दिए थे।
एक रिपोर्ट के अनुसार उमर गौतम ने भेजे गए पैसे का 60 प्रतिशत हिस्सा ही धर्मांतरण पर खर्च किया। कलीम सिद्दीकी ने नोएडा, मुजफ्फरनगर समेत कई जगहों पर जमीन खरीदा था। बाद में उसे कम दाम में अपने ही करीबियों को बेच दिया था। इस जमीन को उसने ट्रस्ट के नाम पर खरीदा था।
ATS की पूछताछ में आरोपित खर्च किए गए पैसे की जानकारी नहीं दे पाए। ATS द्वारा पकड़े गए आरोपितों के बैंक खातों में अमेरिका, इंग्लैंड व अन्य खाड़ी देशों से हवाला के जरिए पैसे ट्रांसफर हुए हैं। ट्रांसफर हुआ यह अवैध धन करोड़ों में है, जिसकी जाँच जारी है।
ATS की पूछताछ में आरोपित अपनी कमाई के स्रोतों के बारे में भी नहीं बता पाए हैं। जाँच एजेंसी के अनुसार इन पैसों को आरोपितों द्वारा अपने व्यक्तिगत कार्यों में भी खर्च किया गया है। हवाला से मिली इस फंडिंग से अपने लिए चल अचल सम्पत्तियाँ खरीदी गईं हैं। गिरफ्तार हुए 2 आरोपितों के कनेक्शन आतंकी समूह अल क़ायदा से भी बताए जा रहे हैं।