सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एके सीकरी का कहना है कि जिस प्रकार इस डिजिटल युग में सोशल मीडिया का हस्तक्षेप बढ़ा है उससे न्यायिक प्रक्रिया पर भी दबाव बढ़ा है। उन्होंने कहा है कि सोशल मीडिया के इस दौर में लोग किसी मामले की सुनवाई शुरू होने से पहले ही नतीजे पर पहुंच जाते हैं और उसे फैलाना शुरू कर देते हैं। इस संदर्भ में अपने तजुर्बे के आधार पर उन्होंने कहा कि इससे न केवल न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित होती है बल्कि न्यायाधीश भी प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा कि पहले फैसला आने के बाद उसके गुण दोष के आधार पर आलोचना होती थी,लेकिन आज तो फैसला सुनाने वाले न्यायाधीश को भी लोग नहीं छोड़ते।
न्यायाधीश सीकरी का कहना है कि आज मीडिया न केवल डिजिटल युग में बदल गया है बल्कि यह दौर भी फर्जी और पेड न्यूज का बन गया है। अब खबर नहीं बल्कि कहानी बनाई जाती है। उन्होंने कहा कि जिस गति से आज घटों में खबर वायरल होकर लोगों तक पहुंचती है वह चिंता का विषय है।
न्यायाधीश सीकरी ने रविवार को ‘लॉएशिया’ के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ये बातें कही हैं। उन्होंने कहा कि यह बात दीगर है कि सुप्रीम कोर्ट में इसका ज्यादा असर नहीं पड़ता है। क्योंकि यहां पहुंचने वाले न्यायाधीश काफी परिपक्व हो चुके होते हैं। उनपर मीडिया का उतना असर नहीं पड़ता क्योंकि वे अपना फैसला कानून के आधार पर करते हैं अवधारणा पर नहीं।
उन्होंने कहा है कि आज तो सोशल मीडिया पहरेदार बन चुका है। अगर यह व्यक्ति की स्वतंत्रता और निजता को प्रभावित करता है, तब यह खतरनाक हथियार बन जाता है।
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