विपुल रेगे। करण जौहर की ‘ब्रम्हास्त्र : पार्ट वन शिवा’ के कलेक्शन को लेकर संग्राम मचा हुआ है। आश्चर्यजनक ढंग से फिल्म ने केवल चार दिन में कथित रुप से 200 करोड़ का कलेक्शन पार कर लिया। फिल्म समीक्षक और ट्रेड पंडितों के अनुसार ये बहुत अस्वाभाविक है। ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर ब्रम्हास्त्र से भी अधिक क्रेज था लेकिन उसने भी 200 करोड़ का आंकड़ा पार करने में एक सप्ताह का समय लिया था। कलेक्शन में गोलमाल की आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।
मीडिया और फिल्म निर्माता के दावे के अनुसार ‘ब्रम्हास्त्र : पार्ट वन शिवा’ ने तूफानी कलेक्शन कर 200 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है। फिल्म रिलीज होने के मात्र चार दिन के अंदर ये दावा किसी के गले नहीं उतर रहा है। यदि फिल्म का इतना ही क्रेज है तो सोमवार को कलेक्शन के आंकड़े गोता कैसे लगा गए? सोमवार को फिल्म के कलेक्शन पंद्रह करोड़ पर आ गए।
अभिनेत्री रनौत ने करण जौहर के दावे पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि शुक्रवार को प्रदर्शित होने वाली फिल्म रविवार को ही हिट कैसे घोषित कर दी गई। कंगना ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर लिखा है ‘ मैं उनसे समझना चाहती हूं कि आखिर वह ‘ब्रह्मास्त्र’ का नेट कलेक्शन बताने के बजाय ग्रॉस कलेक्शन क्यों बता रहे हैं? इतना उतावलापन क्यों है? इसके अलावा 60 करोड़ रुपये कमाने के बाद (यह नेट कलेक्शन है जो उन्होंने बताया है। हालांकि मुझे इस आंकड़े पर विश्वास नहीं है।
स्पष्ट है कि कंगना जौहर से नेट कलेक्शन बताने की मांग कर रही है। उल्लेखनीय है कि ग्रास कलेक्शन में टिकट्स की संख्या और उनकी कीमत दर्शाई जाती है, जबकि नेट कलेक्शन में थियेटर्स का शेयर और कर निर्धारण भी होता है। ऐसा होने के बाद फिल्म के कलेक्शन कम दिखाई देते हैं। पत्रकार उज्जवल त्रिवेदी ने भी कलेक्शन पर प्रश्न उठाते हुए कहा है कि जब तक फिल्म की लागत वसूल नहीं होती, इसे हिट कैसे कहा जा सकता है।
त्रिवेदी के अनुसार लागत निकलने के नेट कलेक्शन 500 करोड़ से ऊपर जाना चाहिए, तभी इसे हिट की श्रेणी में रखा जा सकता है। जिन लोगों को फिल्म बहुत बुरी लगी, वे इस कलेक्शन को देखकर सदमे में हैं। सच का पता लगाने में मीडिया की बड़ी भूमिका होनी चाहिए लेकिन मीडिया तो फिल्म की तारीफ़ गढ़ने में लगा पड़ा है। करण जौहर जानते हैं कि लाइगर के तुरंत बाद उनकी बड़े बजट की फिल्म पिट जाती है तो बुरा असर प्रोडक्शन की इमेज पर होगा।
ये समय करण के लिए प्रतिष्ठा बचाने का है और वे जतन से इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। जिस ढंग से टीआरपी में न्यूज़ चैनलों को आगे दिखाने के लिए भ्रष्टाचार होता है, वैसा ही घोटाला बॉक्स ऑफिस के आंकड़ों में भी किया जाता है। धर्मा प्रोडक्शन इस समय फिल्म उद्योग की धुरी बना हुआ है और बहिष्कार के इस दौर में बॉलीवुड कभी नहीं दिखाना चाहेगा कि वह इससे ज़रा भी परेशान है।
इस तथाकथित जीत का इस्तेमाल ‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ अभियान की कमर तोड़ने के लिए किया जाएगा। टीवी पर बहसें चलेंगी। इन बहसों में वही कलाकार और निर्देशक होंगे, जो रिलीज से पूर्व जनता के सामने गिड़गिड़ा रहे थे। अब वे टीवी चर्चाओं में विजेता की भांति आएँगे और कहेंगे कि बहिष्कार असफल रहा।