अर्चना कुमारी। राजधानी में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान स्वास्थ सेवा बुरी तरह चरमरा गई थी। केजरीवाल सरकार ने केंद्र पर ऑक्सीजन आपूर्ति न किए जाने को लेकर कई तरह के गंभीर आरोप लगाए थे जबकि इस निकम्मी सरकार के पास अक्सीजन जमा करने के लिए कोई उपाय नहीं मौजूद था। इतना ही नहीं इस सरकार के पास टैंकर भी नहीं था, जिससे ऑक्सीजन एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सके।
आरोप-प्रत्यारोप के बीच इस पूरे प्रकरण को लेकर जांच बिठा दी गई थी और अब इस जांच कमेटी की रिपोर्ट सामने आ गई है। ऑक्सीजन की भारी किल्लत को लेकर गठित ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंप दी है। सूत्रों का दावा है कि रिपोर्ट में खुलासा किया गया है दिल्ली सरकार ने जरूरत से 4 गुना ज्यादा ऑक्सीजन की डिमांड की थी, जिससे अन्य राज्यों को नुकसान हुआ।
इस तरह के खुलासे के बाद दिल्ली में राजनीति अचानक गरमा गई है और विपक्ष ने केजरीवाल सरकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग की है। ऑक्सीजन ऑडिट की रिपोर्ट में कहा गया दिल्ली सरकार जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन मांगा जबकि उसे 300 MT की जरूरत थी लेकिन डिमांड 1200 MT की मांग की गई थी।
यहां तक कि कई जगहों पर खपत के आंकड़ों को लेकर भी कमेटी ने चूक की बात कही है जबकि रिपोर्ट में बताया गया है कि कमेटी ने एक्यूरेट ऑक्सीजन रिक्वायरमेंट के लिए एक फॉर्मूला तैयार किया था और उसे करीब 260 अस्पतालों में भेजा था। इस फॉर्मूले के तहत करीब 183 अस्पताल, जिसमें तमाम बड़े अस्पताल शामिल है, का डाटा एनालाइज कर यह निष्कर्ष निकाला गया।
लिक्विफाइड मेडिकल ऑक्सीजन के कंसम्पशन के मामले में इन 183 अस्पतालों का आंकड़ा 1140 मीट्रिक टन दिया गया था लेकिन असल में अस्पतालों से मिली जानकारी में यह महज 209 मीट्रिक टन है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यदि केंद्र सरकार द्वारा सुझाया गया फॉर्मूला अपनाया जाए, तो असल जरूरत 289 मीट्रिक टन की होगी जबकि अगर दिल्ली सरकार वाला फॉर्मूला अपनाया जाए तो यह 391 मीट्रिक तक होगी लेकिन दोनों ही फॉर्मूले के बावजूद असल डिमांड जरूरत से बहुत अधिक है ।
रिपोर्ट में केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के नॉन आईसीयू बेड में ऑक्सीजन खपत के फॉर्मूले को भी बातों का आधार बनाया गया है और इसमें बताया गया है कि कई अस्पतालों ने कम बेड होने के बावजूद अपनी खपत जरूरत से कहीं अधिक दिखाई गई।
गौरतलब है कि केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच ऑक्सीजन को लेकर मची खींचतान के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ऑडिट कमेटी से दिल्ली में ऑक्सीजन की असल खपत और जरूरत की जांच के हिसाब से उसके बेहतर इस्तेमाल के विकल्प सुझाने के लिए कहा था और इस कमेटी का एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया नेतृत्व कर रहे थे, जबकि इसमें दिल्ली सरकार के बड़े अधिकारियों से लेकर कई अस्पतालों के डॉक्टर और एक्सपर्ट भी शामिल किए गए।
सूत्रों का दावा है इस तरह की रिपोर्ट के सामने आने के बाद भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की। दिल्ली द्वारा अधिक ऑक्सीजन मांग किए जाने से दावा किया गया है कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड में आपूर्ति प्रभावित हुई जबकि दिल्ली को अतिरिक्त ऑक्सीजन मिलने से राजस्थान, यूपी, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और यहां तक कि जम्मू-कश्मीर जैसे अन्य राज्य बुरी तरह से पीड़ित हुए ।
भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि वह पहले से कह रहे थे कि कोरोना के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री गंदी राजनीति कर रहे हैं और यही खेल आज कोर्ट की एक्सपर्ट कमेटी ने उजागर कर दिया।