हिंदू किसी तरह से दिवाली पर पटाखे ना चलाएं या यूं कहें हिंदू त्यौहार राजधानी में धूमधाम से ना मनाया जाए । इसके लिए दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
दिवाली के बाद छठ पूजा को लेकर करोना फैलने का खतरा बताकर इसके सामूहिक आयोजन पर रोक लगा दी जबकि तथाकथित किसान आंदोलन के नाम पर यही आम आदमी पार्टी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हुए लंगर और भंडारे तक लगाए ।
फिलहाल एक आरटीआई के जवाब से खुलासा हुआ है कि दीपावली के दिन दिल्ली सरकार ने अक्षरधाम मंदिर में लक्ष्मी पूजन के आधे घंटे के कार्यक्रम पर 6 करोड़ रुपये खर्च किए थे हुए थे यानी इस पूजा पर प्रति मिनट लगभग 20 लाख रुपय खर्च हुए थे।
इतना ही नहीं जिस अक्षरधाम मंदिर में यह पूजन किया गया वहां ना तो लक्ष्मी की कोई प्रतिमा है और ना ही वहां उनकी कोई आराधना की जाती है।आपको सनद रहे कि कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजन स्थल खेलगांव के पास 100 एकड़ जमीन पर बने अक्षरधाम मंदिर को स्वामीनारायण मंदिर भी कहा जाता है।
इसका नाम दुनिया के सबसे विशाल हिंदू मंदिर के तौर पर गिनीज बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में भी दर्ज है। इसमें 10,000 साल पुरानी भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और वास्तुकला को दर्शाया गया है।
मंदिर परिसर के अंदर नीलकंठ नाम का एक थिअटर है, जहां स्वामीनारायण की जिंदगी की घटनाएं दिखाई जाती हैं। पूरी तरह से स्वामीनारायण को समर्पित मंदिर का म्यूजिकल फाउंटेन भी बहुत खूबसूरत है और हर शाम यहां 15 मिनट का शो चलता है।
लेकिन यहां पर ना तो लक्ष्मी भगवान की पूजा की जाती है और ना ही इस मंदिर की लक्ष्मी पूजन के तौर पर कोई ख्याति हासिल है। बहरहाल, आरटीआई एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने दावा किया है कि उनकी मांगी गई जानकारी के जवाब में दिल्ली सरकार के पर्यटन विभाग ने लक्ष्मी पूजा को लेकर यह जानकारी दी।
यह पूरा कार्यक्रम दिल्ली सरकार का आधिकारिक कार्यक्रम था और आधे घंटे के इस कार्यक्रम पर 6 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल का बस एक मकसद है, अपना चेहरा चमकाने का जबकि इन दिनों दिल्ली में डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी कोरोना के दौरान महीनों वेतन नहीं मिलने के कारण भूख हड़ताल पर बैठे थे,
दिल्ली के मुख्यमंत्री अपना चेहरा चमकाने के लिए 6 करोड़ खर्च कर गए। ज्ञात हो कि 14 नवंबर को दीपावली के दिन दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में दिल्ली सरकार ने लक्ष्मी पूजा का आयोजन किया था, जिसमें दिल्ली सरकार के सभी मंत्री और विधायक शामिल हुए थे।
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार इस आधे घंटे के आयोजन पर 6 करोड़ रुपये खर्च हुए थे और इसके बाद से ही दिल्ली सरकार के इस आयोजन पर सवाल उठ रहे हैं।