विपुल रेगे। अभिनेत्री आलिया भट्ट द्वारा किया गया ‘मान्यवर’ का विज्ञापन बहुत शोर मचा रहा है। जैसी अपेक्षा थी कि देश का लुटियंस मीडिया इस विज्ञापन के लिए अभिनेत्री को शाबाशी देगा। चहुँ ओर से आलिया भट्ट पर पुष्पवर्षा की जा रही है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आलिया एक युग प्रवर्तक हो गई हैं। इस भद्दे प्रकरण में सबसे बुरी बात ये हुई है कि सनातन की परंपराओं को गाली देते इस विज्ञापन को न न्यायालय में चुनौती दी गई है और न सूचना व प्रसारण मंत्रालय इस ओर सजग दिखाई दे रहा है।
मान्यवर के विज्ञापन देखते चले आ रहे दर्शकों को ये जान आश्चर्य होगा कि ये मुख्यतः पुरुषों के लिए कपड़े बनाने वाला ब्रांड है। इसे दुनिया भर में पुरुष परिधान वाले ब्रांड के रुप में ही जाना जाता है। मान्यवर के मालिक रवि मोदी ने सन 1999 में इस ब्रांड को शुरू किया था। इसके बाद सन 2016 में मान्यवर ने स्त्रियों के लिए ‘मोही’ ब्रांड की शुरुआत की। हालांकि टीवी पर विज्ञापन केवल मान्यवर के ही दिखाई देते हैं।
मान्यवर के टारगेट समूह को जानना भी बहुत आवश्यक है। मान्यवर अधिकांश महानगरों के आधुनिक युवाओं को टारगेट कर रहा है। उसके लक्ष्य समूह में नब्बे प्रतिशत ग्राहक एलिट वर्ग के होते हैं। एलिट वर्ग का युवा धर्म के प्रति उतना झुकाव नहीं रखता, जितना छोटे शहरों और गांव के युवा रखते हैं। निश्चय ही ये विज्ञापन उस छोटे से समूह के लिए स्वीकार्य होगा, किन्तु उस विशाल वर्ग का क्या कहा जाए, जिसने ये विज्ञापन देख अत्यंत कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
मान्यवर के विज्ञापन बनाने वाले निर्देशक का नाम श्रेयांश बैद है। वे ‘श्रेयांश इनोवेशंस’ का संचालन करते हैं। आलिया भट्ट को ‘मान्यवर’ का ब्रांड एम्बेसेडर नियुक्त किया गया है। वे इसके अन्य ब्रांड ‘मोही’ का प्रमोशन भी करेंगी। ये लोग विज्ञापन में कहते हैं कन्या का दान क्यों, कन्या का तो मान होना चाहिए। तो इन रवि मोदी, आलिया भट्ट और मान्यवर के मालिक रवि मोदी को कदाचित कन्यादान के विषय में कुछ भी ज्ञात नहीं है।
कन्यादान स्वयं में ही ‘कन्यामान’ है, यदि उसे ठीक से समझ लिया जाए तो। कन्या के हाथ हल्दी से पीले करके माता-पिता अपने हाथ में कन्या के हाथ रख ,गुप्तदान का धन और पुष्प रखकर संकल्प बोलते हैं और उन हाथों को वर के हाथों में सौंप देते हैं। वह इन हाथों को गंभीरता और जिम्मेदारी के साथ अपने हाथों में पकड़कर,इस उत्तरदायित्व को स्वीकार करता है।

कन्या के रूप में अपनी पुत्री,वर को सौंपते हुए उसके माता-पिता अपने सारे अधिकार और उत्तरदायित्व भी को सौंपते हैं। यदि इसे समझ लिया जाए तो ये भी समझ आ जाएगा कि ये दान वास्तविक रुप में कन्या का मान ही बढ़ाता है। हालांकि अंग्रेजी दा मूर्ख एक शब्द को पकड़कर इस तरह के पीड़ादायक विज्ञापन बनाते हैं और समझते हैं कि वे समाज में जागरण का महान कार्य कर रहे हैं।

आपके सामने एक विज्ञापन आता है लेकिन कभी उन लोगों के नाम नहीं आते, जो इसके लिए ज़िम्मेदार होते हैं। विगत तीन दिनों से इस विज्ञापन के कारण जो तनाव फैला है, उसके लिए रवि मोदी, आलिया भट्ट और श्रेयांश बैद पूरी तरह जिम्मेदार हैं। इनको न न्यायालय पेशी पर बुलाएगा, न सरकार प्रश्न करेगी। इसलिए इनका जुलुस निकालने का उचित स्थान सोशल मीडिया ही हो सकता है। मेरे विचार में देश के नागरिक अब ऐसे विषयों पर खुलकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। यदि नहीं देंगे तो रवि मोदी जैसे लोग उनका आधार ही समाप्त कर देंगे।
is page par diya gaya tark kafi nahi hai kanyadaan ko justify karne ke liye.
एक मजहब पैसे रुपये से ख़रीदी बिक्री को मंजूर कराता है वह नही दिखता,हमारा सनातन हिन्दू धर्म दिखता है,दरअसल महिला का अतिरंजनापूर्ण गुणगान वामपंथ की सोची समझी करतूत है ताकि हिन्दू स्त्री उत्साहित होकर सड़क पर रहे,उसका घर ऐसा हो जहां कोई भी आ जा सके और इन्हें हिन्दू स्त्रियों को दूषित करने का अवसर उपलब्ध होता रहे,अकेली हो तो बलात्कार का,रवि मोदी जिस परिवार से है उसके अपने परिवार की उदारता दिखानी चाहिए अन्यथा सभी हिंदुओं को इस परिवार का रिपोर्टकार्ड जग जाहिर करने चाहिए,रहा सवाल महेश भाट का तो आकंठ दुश्चरित्रता में डूब व्यक्ति कैसे संदेश देगा यह सभी दमझते हैं।