
माननीय अनुराग ठाकुर जी, ओटीटी पर रावणलीला का माहौल है
विपुल रेगे। इसी मंच से एक वर्ष पूर्व कहा गया था कि सांस्कृतिक आतंकवाद शीघ्र ही अपने चरम पर आने जा रहा है। आज ‘रावणलीला’ फिल्म के कारण लोगों में जो आक्रोश है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत सांस्कृतिक आतंकवाद की चपेट में आ चुका है। अब इस बात पर बहस शुरु हो जानी चाहिए कि भारत में ओटीटी को प्रवेश दिया जाना सही था या नहीं। अब तक देश के नवीन सूचना व प्रसारण मंत्री ने कार्य करना शुरु नहीं किया है, किया होता तो आज ओटीटी मंच से अश्लीलता, धर्म का अपमान और देश विरोध पर लगाम लग जाती।
रावणलीला के प्रोमो में दिखाया गया है कि रावण की भूमिका निभा रहा क़िरदार राम से कहता है, ‘एक बात बताइए, माना कि मैंने सीता का हरण किया, लेकिन आपने भी तो मेरी बहन की नाक काटी, इस पूरे युद्ध में मेरे वंश का नाश हुआ, भाई-पुत्र भी मेरे मरे, मैं भी मरा फिर आपकी जय-जयकार क्यों होती है?’ इस पर राम का क़िरदार निभा रहा व्यक्ति कहता है, ‘क्योंकि मैं भगवान हूं।’
ये तो एक बानगी है इस फिल्म में भरे गए इस तरह के संवादों की। फिल्म निर्माण में सिनेमेटिक लिबर्टी धूर्तता से भी ली जा सकती है। ऐसी धूर्तता ‘रावणलीला’ में प्रचंड उदाहरण समेत प्रस्तुत है। रावणलीला उर्फ़ भवई दो ऐसे किरदारों की कहानी है, जो रामलीला में कलाकार हैं। इनमे सीता का चरित्र निभाने वाली और रावण का चरित्र निभाने वाले के बीच प्रेम पनप जाता है। दर्शकों और समाज को स्टेज के पीछे चलता ये प्रेम प्रसंग स्वीकार नहीं होता।
आपकी फिल्म का कथानक कहता है कि रावण और सीता का चरित्र निभा रहे कलाकार सामान्य मनुष्य है और उनमे प्रेम होना संभव है लेकिन भारतीय दर्शक के लिए तो राम का नाम ही बहुत होता है, रुठने या भाव-विभोर होने के लिए। विगत छह वर्ष से ओटीटी मंच का दुःसाहस बढ़ता ही चला गया है। सेंसर बोर्ड की पहुँच से बहुत दूर ओटीटी सांस्कृतिक आतंक का लॉन्चपेड बनकर उभर रहा है।
यहाँ आपको टीनएजर्स के उन्मुक्त संबंध मिल जाएंगे, यहाँ आपको शिक्षक और विद्यार्थी का प्रेम देखने को मिल जाएगा, यहाँ आपको साधु बलात्कारी के रुप में देखने को मिल सकता है। यहाँ वायुसेना की प्रतिष्ठित वर्दी को पहनकर कलाकार पब में जाता है, शराब पीता है और लड़कियों के साथ नाचता है। पहले हमने सरकार से पूछा कि ऐसी बेहूदगी पर रोक लगाने का कोई कानून सरकार के पास क्यों नहीं है।
फिर न्यायालय दो वर्ष तक सरकार से कहता रहा कि सख्त कानून लाइए। उसके बाद की कथा कई बार दोहराई जा चुकी है कि पूर्व मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के पास राष्ट्रपति प्रदत्त शक्तियां होने के बावजूद कानून नहीं बनाया गया। कानून के स्थान पर लाया गया गाइडलाइन का तमाशा। अब मैं वर्तमान मंत्री श्री अनुराग ठाकुर से पूछना चाहता हूँ कि गाइडलाइंस का प्रयोग कौन फिल्म निर्माता कर रहा है। सेल्फ रेगुलेशन ही करना था तो इस फिल्म ‘रावणलीला’ पर क्यों नहीं किया गया।
क्यों फिल्म निर्माता ने ये नहीं समझा कि इस फिल्म की विषय वस्तु भारतीय समाज को उद्धेलित करेगी, तनाव में डालेगी। श्री अनुराग ठाकुर उस मंत्रीपद पर विराजमान है, जिसे इन दिनों कांटे की कुर्सी समझा जाता है। यदि वे जल्दी ही इस विषय में कुछ ठोस कदम नहीं उठाते तो उनकी लोकप्रियता भी प्रकाश जावड़ेकर की तरह अपनी गति को प्राप्त हो सकती है।
बड़े मंत्रियों और जनता के बीच बड़ी दूरी होती है। इस दूरी को पाटने के लिए दोनों में से कोई भी प्रयास नहीं करता। यदि अनुराग ठाकुर इस विषय पर आम जनता से बात करेंगे तो पाएंगे कि बॉलीवुड पर वे आपके कोई आश्वासन नहीं सुनने वाले हैं। आम नागरिक अपने परिवार और देश की युवा पीढ़ी को ओटीटी की जकड़न में आते देख बहुत चिंता में है। आपकी सरकार के बड़े कार्यक्रमों में देश के आम नागरिक की चिंता भी शामिल होनी चाहिए कि नहीं ?
ज्ञान अनमोल हैं, परंतु उसे आप तक पहुंचाने में लगने वाले समय, शोध, संसाधन और श्रम (S4) का मू्ल्य है। आप मात्र 100₹/माह Subscription Fee देकर इस ज्ञान-यज्ञ में भागीदार बन सकते हैं! धन्यवाद!
Select Subscription Plan
OR
Make One-time Subscription Payment

Select Subscription Plan
OR
Make One-time Subscription Payment

Bank Details:
KAPOT MEDIA NETWORK LLP
HDFC Current A/C- 07082000002469 & IFSC: HDFC0000708
Branch: GR.FL, DCM Building 16, Barakhamba Road, New Delhi- 110001
SWIFT CODE (BIC) : HDFCINBB
Paytm/UPI/Google Pay/ पे / Pay Zap/AmazonPay के लिए - 9312665127
WhatsApp के लिए मोबाइल नं- 8826291284