
योगी आदित्यनाथ के डर से माफिया डॉन मुख्तार अंसारी थर-थर कांप रहा है!
Archana Kumari. जिस माफिया डॉन और बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी ने मुलायम सिंह यादव की शह पर पूरे उत्तर प्रदेश में नंगा नाच किया वह अब यूपी के जेल में जाने से डर रहा है । भाजपा विधायक रहे कृष्णानंद राय की हत्या के आरोपी मुख्तार अंसारी को मोहाली अदालत ने भी खराब सेहत के उसके दावों को दरकिनार करते हुए उत्तर प्रदेश के जेल जाकर 12 अप्रैल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेशी सुनिश्चित करने के लिए कहा है ।
न्यायिक मजिस्ट्रेट अमित बख्शी की अदालत ने आदेश पारित करते हुए कहा कि कोई ताजा चिकित्सा मुद्दा सामने नहीं आया है और उपचार के लिए अलग से बोर्ड गठित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इससे पहले मुख्तार अंसारी के वकील ने मेडिकल बोर्ड की मांग की थी । आपको जानकर हैरानी होगी कि बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी के दादा आजादी से पहले इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और नाना महावीर चक्र विजेता तो चाचा हामिद अंसारी देश के उप-राष्ट्रपति रहे जबकि मऊ से पिछले पांच बार से विधायक मुख्तार अंसारी के परिवार का एक गौरवशाली इतिहास होने के बावजूद यह शख्स शातिर बन गया। उसका भाई अफजाल अंसारी भी गाजीपुर का सांसद है जबकि मुख्तार अंसारी पर 50 से अधिक मुकदमे पर दर्ज है।
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पिछले 16 सालों से यह माफिया डॉन जेल में बंद है। यूपी के मऊ से 5 बार से विधायक मुख्तार अंसारी पर साल 2005 में मऊ में हिंसा भड़काने के आरोप लगे और साथ ही जेल में रहते हुए बीजेपी नेता कृष्णानंद राय की 7 साथियों समेत हत्या का आरोप है। मऊ में दंगा भड़काने के मामले में मुख्तार अंसारी ने गाजीपुर पुलिस के सामने सरेंडर किया था और तभी से जेल में बंद हैं।
पहले इसे गाजीपुर जेल में रखा गया फिर वहां से मथुरा जेल भेजा गया। इसके बाद मथुरा से आगरा जेल और आगरा से बांदा जेल भेज दिया गया लेकिन उत्तर प्रदेश मेंं जब योगी आदित्यनाथ की सरकार आई तब मुख्तार अंसारी ने चाचा हामिद अंसारी के रसूूख का इस्तेमाल करते हुए रोपड़ एक मामले को लेकर अपना जेल बदलवा दिया। योगी के डर से यह शातिर शख्स अब थरथर कांप पड़ा है और सर्वोच्च अदालत के आदेश के बाद इसे उत्तर प्रदेश के जेल में जाना ही होगा।
इस शातिर शख्स केे सताए हुए और साल 2004 में गैंगस्टर मुख्तार अंसारी पर पोटा लगाने वाले पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह बहुत खुश है। उनका कहना है कि मुझे इस शातिर शख्स के चलते जेल जाना पड़ा और मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी गई। मालूम हो कि डिप्टी एसपी रहे शैलेंद्र सिंह के खिलाफ योगी सरकार मुकदमा भी वापस ले लिया है।
शैलेंद्र सिंह बतातेे हैं 2004 में जब मैंने माफिया मुख्तार अंसारी पर लाइट मशीन गन केस में POTA लगा दिया था, तो मुख्तार अंसारी को बचाने के लिए तत्कालीन मुलायम सरकार ने मेरे ऊपर केस खत्म करने का दबाव बनाया। जिसे न मानने के फलस्वरूप मुझे पद से त्यागपत्र देना पड़ा था। इस घटना के कुछ महीने बाद ही तत्कालीन सरकार के इशारे पर राजनीति से प्रेरित होकर मेरे ऊपर वाराणसी में अपराधिक मुकदमा लिखा गया और मुझे जेल में डाल दिया गया। लेकिन जब योगी जी की सरकार बनी तो उक्त मुकदमे को प्राथमिकता के साथ वापस लेने का आदेश पारित किया गया।
दरअसल 2004 में शैलेंद्र सिंह उत्तर प्रदेश के स्पेशल टास्क फोर्स की वाराणसी यूनिट के प्रभारी थे। लखनऊ के कैंट इलाके में कृष्णानंद राय और मुख्तार अंसारी के बीच गोलीबारी की घटना हुई थी। तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार ने मुख्तार अंसारी और कृष्णानंद राय के खिलाफ सतर्क रहने के लिए यूपी एसटीएफ को सक्रिय किया।
इस दौरान वाराणसी एसटीएफ ने कुछ संदिग्ध फोन नंबरों को सर्विलांस पर लगाया। जिसके फल स्वरुप जनवरी 2004 में एक कॉल से एक लाइट मशीन गन की डील के बारे में पता चला। वॉइस कॉल के आधार पर शैलेंद्र सिंह ने दावा किया था कि मुख्तार अंसारी 35 राइफल्स जम्मू के भगोड़े सैनिक बाबू लाल के साथ एक करोड़ रुपए में LMG दिलाने का सौदा कर रहा था। इस बंदूक का सौदा मुख्तार अंसारी के गनर मुन्नार यादव द्वारा किया गया था, जो बाबू लाल के चाचा थे।
कॉल इंटरसेप्ट होने के बाद शैलेंद्र सिंह ने अपनी टीम के साथ 25 जनवरी, 2004 को वाराणसी के चौबेपुर इलाके में छापा मारा और बाबू लाल यादव, मुन्नार यादव को मौके से गिरफ्तार किया और 200 जिंदा कारतूस के साथ LMG भी बरामद की। शैलेंद्र सिंह ने चौबेपुर पुलिस स्टेशन में दो मामले दर्ज किए। पहला आर्म्स एक्ट के तहत था और दूसरा पोटा के तहत। इसके बाद ही मुलायम सरकार ने शैलेंद्र सिंह को टारगेट करते हुए उन्हें जेल में डलवा दिया था।
मुख्तार अंसारी कितना बड़ा शातिर है इसका नमूना हाल फिलहाल में देखने को मिला है जब पंजाब के एक अदालत में जिस एंबुलेंस के जरिए उसकी पेशी की गई थी वह एंबुलेंस उसका शूटर चला रहा था जबकि पंजाब सरकार तथा वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों को इसकी पक्की जानकारी नहीं थी। यह एंबुलेंस विधायक निधि से खरीदी गई थी वहीं यह एंबुलेंस जिस अस्पताल के नाम पर रजिस्टर्ड है वहां आज न तो कोई अस्पताल मौजूद है और न ही डॉक्टर है।
बाराबंकी में रजिस्टर्ड अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित बुलेट प्रूफ एंबुलेंस मऊ के श्याम संजीवनी हॉस्पिटल की मालकिन अलका राय के नाम है और यूपी में एंबुलेंस सेवा प्रदान करने वाली कंपनी का कहना है कि मुख्तार अंसारी को मोहाली को ले जाने वाली एंबुलेंस उत्तर प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल से नहीं जुड़ी है । कृष्णानंद राय की पत्नी तथा विधायक अलका राय ने इस पूरे प्रकरण की जांच कराने की मांग की है जबकि मुख्तार अंसारी की पत्नी अफसा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से इंसाफ की गुहार लगाई है।
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