पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के असम ड्राफ्ट एनआरसी विरोध को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया जा रहा है। वहीं उनकी अपनी ही पार्टी के कई नेताओं का कहना है कि ममता बनर्जी एनआरसी पर नौटंकी कर रही हैं। नाम न छापने की शर्त पर कई नेताओं ने बताया है कि अपना मुसलिम वोट बैंक को खुश करने कि लिए ही वह विरोध का नाटक कर रही हैं। कहने का मतलब है कि एनआरसी के विरोध को लेकर उनकी अपनी ही पार्टी में विरोध के सुर उठ रहे हैं। असम यूनिट के अध्यक्ष ने तो पहले ही इस मसले को लेकर तृणमूल कांग्रेस से नाता तोड़ लिया है। अब पश्चिम बंगाल में विरोध तेज होने की संभावना जताई जा रही है। देश की खुफिया एजेंसी के अधिकारियों से लेकर राजनीतिक दलों के नेताओं के अलावा तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि ममता बनर्जी इस तथ्य पर ध्यान नहीं दे रही है कि असम के एनआरसी का उनका विरोध देश की सुरक्षा के लिए घातक साबित होगा।
मुख्य बिंदु
* बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश में रहने के लिए ममता का फ्री पास देश की सुरक्षा के लिए हो सकता है खतरनाक
* ममता बनर्जी के इस कदम का पश्चिम बंगाल के मूल वासी आलोचना कर रहे हैं, एनआरसी के विरोध से टीएमसी को हो सकता है नुकसान
जिस प्रकार ममता बनर्जी खुद को विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में देख रही हैं, और भगवान न करे, लेकिन 2019 में सरकार बनाने की स्थिति में आ गई तो क्या वह असम में पहचाने गए 40 लाख अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिये को पश्चिम बंगाल में बसाएंगी? क्योंकि अपने बयान में ऐसा वह कह चुकी हैं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में असम का एनआरसी तैयार हुआ है। इसे तैयार करने में धर्म और भाषा को लेकर कोई भेद नहीं किया गया है। केवल उन लोगों को चिन्हित किया गया है जो बांग्लादेश से अवैध रूप से असम में घुस आए हैं। असम में आए घुसपैठियों में से कुछ का संबंध कट्टरपंथी संगठन से है।
संडे गार्जियन के मुताबिक टीएमसी के कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि एनआरसी पर ममता बनर्जी की विरोधी प्रतिक्रिया अपने मुसलिम वोट बैंक को रिझाने के अलावा कुछ और नहीं है। वह अभी तुष्टिकरण की राजनीति कर रही हैं। अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर इन नेताओं ने कहा है कि लाखों अवैध घुसपैठिये यहां तक कि पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में बस गए हैं जहां उन्हें वोटर आईडी कार्ड जारी किए जा रहे हैं। उनका कहना है कि अगर विपक्ष की प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने की आशा रखने वाली ममत बनर्जी इस तरफ समय रहते ध्यान नहीं दिया तो घुसपैठियों की विस्फोटक रूप लेती जनसंख्या यहां की डेमोग्राफी बिगाड़ कर रख देगी।
पश्चिम बंगाल में घुसपैठियों के कारण मुसलमानों की आबादी इतनी बढ़ गई है कि प्रदेश के कुल 294 विधानसभा सीटों में से 140 सीटों पर हार-जीत का निर्धारण मुसलिम वोट से होता है। यही तथ्य ममता बनर्जी को असम में जारी एनआरसी रिपोर्ट के खिलाफ बोलने के लिए उत्साहित कर रहा है। पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठियों की संख्या काफी है। ये सारे लोग बांग्लादेश से आए हैं और सारे के सारे टीएमसी के कोर वोटर बन गए है। इसलिए ममता का कहना है कि यदि वे घुसपैठियों के पक्ष में खड़ी नहीं होंगी तो वह अपने वोट बैंक को एकत्रित और अटूट नहीं रख सकती हैं। क्योंकि इन्हीं की वजह से उनकी जीत की संभावना हमेशा जिंदा रहती है। यह बात टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है।
अब सवाल उठता है कि क्या ममता बनर्जी का इस प्रकार खुलेआम घुसपैठियों के समर्थन में उतरना उनकी जीत की संभावानाओं को सुनिश्चित करता है? इस सवाल के जवाब में कई शीर्षस्थ नेताओं का कहना है कि ऐसा संभव ही नहीं हो सकता है। एक बड़े नेता का तो यहां तक कहना है कि हो सकता है कि बंगाल में कहीं इसका उलटा असर न पड़ जाए। क्योंकि मुख्यमंत्री के इस कदम से यहां के मूल बंगाली, जिनकी आबादी 8 करोड़ है, इससे आहत महसूस कर रहे हैं। इससे असली बंगालियों में यह संदेश गया है कि बंगाल की मुख्यमंत्री सिर्फ अपने वोट बैंक की चिंता करती हैं, न कि प्रदेश की और न ही यहां की जनता की। खुफिया अधिकारियों का कहना है कि बंगाल के सीमांत जिलों के जनसंख्या संतुलन काफी बिगड़ गए हैं। ये सब 20 सालों से हो रहे घुसपैठ के कारण हुआ है। बंगाल के सीमांत जिले जैसे मालदा, बसीरहाट, बदुरिया, बनगांव, सुंदरबन आदि का जनसंख्या संतुलन काफी बिगड़ गया है। आने वाले समय में इन जिलों के हालात और भी खराब हो सकते हैं।
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URL: Mamata is doing a lot of drama to please the Muslim vote bank on NRC
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