अर्चना कुमारी। हिंदुओ की कथित शुभचिंतक होने का दावा करने वाली बीजेपी के शासन काल असम के बिजनी में पिकनिक पार्टी मना रहे लोगों पर हमलावरों ने भाले, तलवार और लाठियों से युद्ध घोष ‘अल्लाह हू अकबर’ चिल्लाते हुए हमला किया।
आरोप है कि राम और हनुमान के स्टिकर और झंडे देखने के बाद उन्होंने संजीब नाथ, रूपम सैकिया, ए शर्मा समेत 15 लोगों पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया। इसी तरह कांग्रेस राज्य कर्नाटक के केरागोडु गांव में हनुमान ध्वज उतारने के बाद राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है।
बीजेपी और जद (एस) के समर्थकों ने इसका विरोध किया। इसके बाद भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को तैनात किया गया। पुलिस ने लाठीचार्ज किया और ध्वज स्तंभ पर हनुमान ध्वज हटाकर राष्ट्रीय ध्वज लगाया।
मांड्या जिले के केरागोडु गांव की घटना है। यहां रविवार को उस समय तनाव पैदा हो गया, जब अधिकारियों ने 108 फीट ऊंचे स्तंभ से हनुमान ध्वज उतार दिया। सूत्रों ने बताया कि केरागोडु और 12 पड़ोसी गांवों के निवासियों और कुछ संगठनों ने रंगमंदिर के पास ध्वज स्तंभ की स्थापना के लिए धन दिया था।
कथित तौर पर बीजेपी और जद (एस) कार्यकर्ता इसमें सक्रिय रूप से शामिल थे। सूत्रों ने बताया कि ध्वज स्तंभ पर हनुमान की तस्वीर वाला भगवा झंडा फहराया गया। इसका कुछ लोगों ने विरोध किया और प्रशासन से शिकायत की। इसपर कार्रवाई करते हुए तालुक पंचायत कार्यकारी अधिकारी ने ग्राम पंचायत अधिकारियों को ध्वज हटाने का निर्देश दिया।
बड़ी संख्या में महिलाओं सहित कई ग्रामीणों ने ध्वज को हटाने का पुरजोर विरोध किया। ध्वज स्तंभ हटाए जाने की आशंका से कुछ कार्यकर्ता और ग्रामीण शनिवार आधी रात के बाद से ही वहां मौजूद थे। वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में ध्वज को उतारने के बाद रविवार सुबह तनाव बढ़ गया और पुलिस और प्रदर्शनकारी ग्रामीणों व कार्यकर्ताओं के बीच तीखी नोकझोंक हुई।
कुछ प्रदर्शनकारियों ने सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार और मांड्या से कांग्रेस विधायक गनीगा रविकुमार के प्रति अपने आक्रोश जताया और उनके खिलाफ नारे लगाए। प्रदर्शनकारी अपनी मांग पर अड़े रहे और ध्वज स्तंभ के आधार पर एक छोटे भगवा झंडे के साथ भगवान राम के चित्र वाला एक फ्लेक्स बोर्ड लगा दिया।
पुलिस ने उस झंडे को हटाने की कोशिश की तो उसे प्रतिरोध का सामाना करना पड़ा और प्रदर्शनकारियों ने ‘जय श्री राम, जय हनुमान’ के नारे लगाए। दोपहर बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बल पूर्वक हटा दिया और कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए हल्का लाठीचार्ज किया।
इसके बाद, पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने आखिरकार ध्वज स्तंभ से हनुमान ध्वज हटाते हुए तिरंगा लगा दिया।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बजाय भगवा ध्वज फहराया गया, यह ठीक नहीं है। मैंने राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए कहा है।
मांड्या जिले के प्रभारी मंत्री एन चेलुवरयास्वामी ने साफ किया कि ध्वज स्तंभ का स्थान पंचायत के अधिकार क्षेत्र में आता है और राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति ली गई थी। कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा नेता आर अशोक ने बेंगलुरु में सरकार के ‘हिंदू विरोधी रुख’ और पुलिस हस्तक्षेप की निंदा की।
उन्होंने कहा कि हनुमान ध्वज को ग्राम पंचायत की मंजूरी के बाद लगाया था लेकिन कांग्रेस सरकार ने‘अचानक’ इसे हटा दिया। भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने सरकार पर दमन के जरिये ध्वज हटाने और कानून-व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति पैदा करने का आरोप लगाया।
उन्होंने दोहराया कि अपेक्षित मंजूरी मिलने के बाद ध्वजस्तंभ स्थापित किया गया और ध्वज फहराया गया। ग्राम पंचायत ने पहले इस आशय का एक प्रस्ताव पारित किया था। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार ने पुलिस उत्पीड़न और गुंडागर्दी का उपयोग करके ध्वज को हटाने का दुस्साहस किया है, तो यह कांग्रेस सरकार के सत्ता के अहंकार की परकाष्ठा को दर्शाता है।