अर्चना कुमारी। सुल्ली डील ऐप बनाने वाले ओंकारेश्वर ठाकुर को कंप्यूटर तकनीक में महारत हासिल है । उसका कहना है कि वह अपनी एकांगीपन दूर करने के लिए अधिकांश समय सोशल मीडिया पर बिताता था लेकिन उसने देखा कि सोशल मीडिया पर मुस्लिम पुरुष और महिलाएं हिंदू देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते रहते हैं। इसको लेकर उसे बेहद गुस्सा आया और इन लोगों को सबक देने का फैसला किया ।
इंदौर से गिरफ्तार किए गए ओंकारेश्वर ठाकुर ने पुलिस पूछताछ में बताया कि स्कूल से लेकर बीसीए तक की पढ़ाई उसने इंदौर से की है। जबकि बीसीए करने के बाद से वह नौकरी की जगह फ्रीलांस का काम करता था। पढ़ाई और काम से वक्त मिलने पर वह सोशल मीडिया पर अपना काफी समय बिताता रहा है। उसने देखा सोशल मीडिया खासकर ट्विटर पर मुस्लिम समुदाय की पुरुष और महिलाएं हिंदू धर्म के खिलाफ बेहूदा टिप्पणी करते रहते हैं।
खासकर मुस्लिम महिलाएं मंदिर, भगवान और हिन्दू धर्म को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करती हैं। ऐसे ट्वीट को वह उस क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों को टैग कर देता था ताकि ऐसे लोगों पर एक्शन हो सके लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होता था। इसलिए उसने सोशल मीडिया पर ऐसी महिलाओं को ट्रोल करने के लिए एक प्लेटफॉर्म बनाने की ठानी।
ओंकारेश्वर ठाकुर का कहना है कि उसने ट्वीटर पर ट्रेडमहासभा नाम से ग्रुप बनाया ,जिस पर उसके जैसी सोच रखने वाले करीब 50 लोग तुरंत जुड़ गए। इसके बाद उसने ‘गिटहब’ पर ‘सुल्ली डील’ के नाम से ऐप बनाया और उसे कई ग्रुप में सांझा किया। ग्रुप के ही एक-दो साथियों ने इसकी ग्राफिक डिजाइनिंग की। इसके बाद 4-5 सदस्यों ने उन महिलाओं की तस्वीर वहां डालना शुरू किया, जो हिन्दू धर्म, मंदिर या देवी-देवता के बारे में टिप्पणी करती थी।
ट्विटर पर वह उन्हें तलाशते और उनकी फोटो को सुल्ली डील ऐप पर डाल देते थे। ओंकारेश्वर ठाकुर का कहना है कि उसे इस घटना को लेकर कोई पछतावा नहीं है जबकि उसने यह भी बताया है कि इस ऐप को बनाने के बाद दो-तीन दिन में ही इस ऐप को लेकर हंगामा होने लगा। इस दौरान कई जगहों पर इसकी शिकायत होने लगी। उसे लगा कि वह पकड़ा जा सकता है क्योंकि हमारी सरकार कुछ ज्यादा ही धर्मनिरपेक्ष है।
इसलिए उसने ऐप और ग्रुप को डिलीट कर दिया था। उसने सभी डिजिटल फुटप्रिंट मिटा दिए थे ताकि पुलिस उस तक नहीं पहुंच सके। इस मामले की जांच में बीते छह महीने से जुटी पुलिस को भी उसका कोई सुराग नहीं मिल पाया था। इसलिए वह निश्चिन्त होकर अब सामान्य जीवन बिता रहा था। ओंकारेश्वर ठाकुर ने बताया कि आगामी अप्रैल माह में उसका विवाह होने वाला था, लेकिन इससे पहले ही वह पकड़ा गया।
इस बीच सुल्ली बाई ऐप के आरोपी नीरज बिश्नोई से पूछताछ में यह बात सामने आई कि वह सोशल मीडिया पर तरह-तरह की वर्चुअल आइडेंटिटीज से इंटरैक्ट करता था और ग्रुप डिस्कशन में शामिल होता था। उसका कहना था कि जुलाई 2021 के महीने में एक ग्रुप में जिसमें नीरज बिश्नोई सदस्य थे, ग्रुप के दूसरे सदस्य ने sullideals ऐप की डिटेल्स शेयर की।
ऐसा पहली बार था जब नीरज बिश्नोई या समूह के अन्य सदस्यों ने GitHub पर Sullideals ऐप के बारे में सुना था। उक्त ट्विटर हैंडल को पीछे कर दिया गया और पता चला कि सुलिडील हंगामे के बाद उक्त ट्विटर हैंडल और अन्य पदचिन्हों को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से मिटा दिया गया। उसके बाद उसने सुल्ली डील ऐप के अधूरे काम को शुरू किया लेकिन वह भी पकड़ा गया