अर्चना कुमारी। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने वाला कथित जासूस हबीबुर्रहमान ने खुलासा किया है कि वह गोपनीय दस्तावेज सेना में तैनात परमजीत से हासिल करता था। इस खुलासे के बाद दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने आगरा से परमजीत को भी गिरफ्तार किया है। प्रारंभिक पूछताछ में परमजीत ने जासूसी के धंधे में अपना हाथ होना स्वीकार किया है और उसका कहना है कि इस एवज में उसे मोटी रकम मिलती थी और वह लालच में आकर देश के साथ गद्दारी करने लगा था।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि राजस्थान के पोखरण से गिरफ्तार किये गए जासूस से कई सीक्रेट दस्तावेज बरामद हुए और गोपनीय दस्तावेज इसी सेना कर्मी के द्वारा दिया गया था । इसमें भारत की परमाणु नीति से लेकर सेना के मूवमेंट और कई महत्वपूर्ण नक्शे आदि शामिल है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि इनके खिलाफ ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई जबकि इसकी सूचना सेना के संबंधित विभाग को दे दी गई है। जासूसी के इस मामले में सेना की ओर से परमजीत के खिलाफ जांच की जा रही है।
क्राइम ब्रांच का कहना है क्राइम ब्रांच की विभिन्न टीमें एक अन्य गुप्त ऑपरेशन के कार्य में जुटी थी। इसी बीच जानकारी मिली कि देश की सुरक्षा से जुड़े कुछ दस्तावेज दुश्मन देशों को बेचे जा रहे हैं। इस तरह की सूचना को पुख्ता पाकर इस मामले में सबसे पहले बुधवार को हबीबुर्रहमान (41) को गिरफ्तार किया गया। उसकी तलाशी के दौरान कई ऐसे दस्तावेज बरामद हुए जो भारत की सुरक्षा से जुड़े खासकर सेना से जुड़े गोपनीय दस्तावेज व नक्शे आदि थे। जांच में पता चला कि सेना का ही एक गद्दार देश के साथ नमक हरामी कर रहा है और यह जवान परमजीत इस काम में हबीबुर्रहमान की सहायता कर रहा था।
जांच कार्रवाई में यह भी खुलासा हुआ कि परमजीत फिलहाल आगरा में नियुक्त है। इससे पहले परमजीत की पोखरण में नियुक्त था जबकि वहां पर हबीबुर्रहमान सेना के कैंप में सब्जी की सप्लाई का काम करता था। इन दोनों के बीच वहां पर दोस्ती हुई और दोनों एक दूसरे के लिए काम करने लगे थे । इस एवज में परमजीत को मोटी रकम दी जाती थी और यह रुपैया हवाला के जरिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी हबीबुर्रहमान को भेजती थी।
इतना ही नहीं पूछताछ में यह भी पता चला है कि हबीब के कुछ रिश्तेदार पाकिस्तान में रहते हैं और वह कई बार पहले पाकिस्तान जा चुका है। पाकिस्तान जाने के बाद ही उसका संपर्क आईएसआई से हुआ और वह जासूसी करने लगा था जबकि उसने बताया है कि परमजीत को रुपये का लोभ देकर सेना के दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए तैयार किया था। परमजीत पोखरण और आगरा स्थित सेना के ठिकानों से संबंधित दस्तावेज सप्लाई करता था। वहीं हबीबुर्रहमान उन्हें वाट्सऐप के जरिए पाकिस्तान में बैठे आईएसआई के गुर्गों को सप्लाई करता था।