
कालिका मंदिर परिसर में पीर सदनशाह की दरगाह को ‘सम्मानजनक’ स्थान दिया गया
आईएसडी नेटवर्क। पावागढ़ में जिस कालिका मंदिर के शिखर पर प्रधानमंत्री ने धर्म ध्वजा फहराई थी, उसके परिसर में पीर सदनशाह की दरगाह को ‘सम्मानजनक’ स्थान दिया गया है। कालिका माता ट्रस्ट के एक सदस्य ने नाम छुपाकर खुलासा किया है कि समझौते के तहत मंदिर के साथ दरगाह का भी निर्माण किया गया है। द इंडियन एक्सप्रेस में छपे समाचार में दीवान शमशेर मुर्तजा के परिवार के सदस्य ने दावा किया है कि दरगाह सदियों से मंदिर परिसर का एक हिस्सा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को पावागढ़ स्थित पुनर्विकसित कालिका मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा लहरा कर 500 वर्ष पुरानी परंपरा को जीवंत कर दिया। इससे पूर्व मंदिर के शिखर पर पीर सदनशाह की दरगाह बनी हुई थी। पंद्रहवीं शताब्दी में क्रूर आततायी सुलतान महमूद बेगड़ा ने चंपानेर पर हमला किया था। यहाँ उसने अपनी राजधानी स्थापित की। उसी समय बेगड़ा ने कालिका मंदिर के शिखर को नष्ट कर दिया था। उसी काल में शिखर पर ये दरगाह बना दी गई थी।
ISD 4:1 के अनुपात से चलता है। हम समय, शोध, संसाधन, और श्रम (S4) से आपके लिए गुणवत्तापूर्ण कंटेंट लाते हैं। आप अखबार, DTH, OTT की तरह Subscription Pay (S1) कर उस कंटेंट का मूल्य चुकाते हैं। इससे दबाव रहित और निष्पक्ष पत्रकारिता आपको मिलती है। यदि समर्थ हैं तो Subscription अवश्य भरें। धन्यवाद।
शिखर पर दरगाह बनाने को लेकर एक काल्पनिक कथा भी स्थापित की गई है। पीर सदनशाह की दरगाह के कारण ही गर्भगृह बचा रह गया। कुछ कथाओं में तो ये भी कहा गया कि पीर ने पहाड़ छोड़कर जा रही देवी को मना कर रोक लिया था। शिखर पर दरगाह को लेकर पूर्व में विवाद हुए और मामला उच्च न्यायालय तक गया। सन 2018 मार्च में दीवान परिवार ने गुजरात उच्च न्यायालय की ओर रुख़ किया। परिवार ने गुजरात पवित्र यात्रा धाम बोर्ड और पर्यटन विभाग के विरुद्ध अपील की।
साथ ही कालिका मंदिर ट्रस्ट को भी इसमें लपेटा। बाद में सन 2019 में याचिकाकर्ता दीवान शमशेर शाह मुर्तजा व अन्य प्रतिवादियों के बीच समझौते की स्थिति बन गई। ये तय हुआ कि दरगाह को मंदिर परिसर में ही एक निर्धारित स्थान दे दिया जाएगा।
समझौते के तहत दरगाह मंदिर परिसर में ही रहेगी और मंदिर के निर्माण के साथ उसका भी पुनर्निर्माण किया जाएगा। इंडियन एक्सप्रेस को दीवान शमशेर शाह मुर्तजा के भाई सलीम शाह, अहमद शाह ने इंडियन एक्सप्रेस को बयान दिया है। बयान में उन्होंने कहा है कि मंदिर ट्रस्ट ने शिखर बनाने का निर्णय लिया, उसके बाद हमने सौहार्दपूर्ण ढंग से रास्ता बनाया क्योंकि हमें मंदिर परिसर में दरगाह बनाने की अनुमति दी गई थी। उन्होंने कहा कि मंदिर की प्लानिंग करते समय हमें विश्वास में लिया गया था।
मंदिर परिसर के निर्माण के लिए लगभग 125 करोड़ खर्च किये गए हैं। मंदिर के निर्माण में 12 करोड़ खर्च हुए हैं। ऐसी मान्यता है कि यहाँ माता सती के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था। इसलिए कालिका माता मंदिर को शक्तिपीठ के रुप में माना जाता है। यूनेस्को ने चंपानेर-पावागढ़ को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया है और इसे एकमात्र ‘पूर्ण और अपरिवर्तित इस्लामी पूर्व-मुगल शहर’ कहा है।
ज्ञान अनमोल हैं, परंतु उसे आप तक पहुंचाने में लगने वाले समय, शोध, संसाधन और श्रम (S4) का मू्ल्य है। आप मात्र 100₹/माह Subscription Fee देकर इस ज्ञान-यज्ञ में भागीदार बन सकते हैं! धन्यवाद!
Select Subscription Plan
OR Use Paypal below:
Select Subscription Plan
OR
Make One-time Subscription Payment

Bank Details:
KAPOT MEDIA NETWORK LLP
HDFC Current A/C- 07082000002469 & IFSC: HDFC0000708
Branch: GR.FL, DCM Building 16, Barakhamba Road, New Delhi- 110001
SWIFT CODE (BIC) : HDFCINBB
Paytm/UPI/Google Pay/ पे / Pay Zap/AmazonPay के लिए - 9312665127
WhatsApp के लिए मोबाइल नं- 8826291284