प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में शामिल कई मंत्रियों के काम बोलते हैं तो कई मंत्री के काम नहीं वे खुद बोलते हैं। ऐसे ही दो केंद्रीय मंत्री है पीयूष गोयल और रविशंकर प्रसाद। एक तरफ जहां गोयल के बेहतर काम के वजह से उन्हें प्रोनत्ति देकर ऊर्जा मंत्रि से रेल मंत्री का दायित्व दिया गया वहीं रविशंकर प्रसाद इलेक्ट्रॉनिक्स सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में रहते हुए अदना सा कॉल ड्रॉप की समस्या को हल नहीं कर पाए।
मुख्य बिंदु
* मोदी मंत्रिमंडल के दो मंत्रियों के काम-काज में दिख रहा बड़ा फर्क
* गोयल काम पर फोकस करते हैं तो प्रसाद बयान देने पर फोकस करते हैं
पीयूष गोयल को यूं ही नहीं मिला रेल मंत्रालय
जब सुरेश प्रभु जैसे ताकतवर मंत्री को रेल मंत्रालय से हटना पड़ा तो मोदी और शाह की जोड़ी ने वैसे ही नहीं पीयूष गोयल पर दांव खेला। रेल मंत्री का दायित्व मिलने से पहले पीयूष गोयल ऊर्जा मंत्री के रूप में अपनी सफलता दिखा चुके थे। उनके प्रशंसनीय काम से खुश होकर ही मोदी ने उन्हें यह बड़ा और नया दायित्व दिया। पीयुष गोयल ने जब ऊर्जा मंत्री का कार्यभार संभाला तब देश में ऐसे गांवों की संख्या 18 हजार थी जहां तक बिजली नहीं पहूंची थी। लेकिन जब उन्होंने ऊर्जा मंत्रालय छोड़ा तब ऐसे गांवों की संख्या घटकर 4000 पर आ गई थी।
ऊर्जा मंत्री के रूप में गोयल का काम काफी शानदार रहा। उन्होंने ऊर्जा और कोल क्षेत्र को सुधारने के लिए बेहतर काम किया। उनकी मेहनत ने रंग दिखाया और उसमें सुधार आया। उन्होंने काफी पारदर्शी तरीके से बिना भ्रष्टाचार के कोयला ब्लॉकों का आवंटन कर के दिखाया। उनके इस प्रयास से जहां शॉर्ट सप्लाई घटी वहीं उत्पाकता बढ़ी। कोल इंडिया की स्थिति सुधारने की दिशा में सराहनीय कदम उठाए। उनके बेहतरीन कार्य की मीसाल है बिजली उत्पादन में सुधार। उन्होंने रिन्यूएबल और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उत्साहवर्धक काम किए। माना जाता है कि देश का सौर ऊर्जा उत्पादन 18 जीडब्ल्यू तक बढ़ सकता है। गौर हो कि जब उन्होंने पदभार संभाला था तब इसका उत्पादन इससे छह गुना कम था।
गोयल ने ऊर्जा मंत्री रहते ही साल 2022 तक देश के हर गांव और घरों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया था। काम तो उनके दिखाए रास्ते पर हो ही रहे हैं। लेकिन वे रहते तो खुद लक्ष्य पूरा होने की गारंटी होते। तभी तो उनके बाद ऊर्जा मंत्रालय का दायित्व संभालने वाले उर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आर के सिंह ने कहा कि गोयल द्वारा शुरू किए गए सारे अच्छे काम यूं ही जारी रहेंगे और तीन सालों में उन्होंने जो नाम कमाया है हम उसे बनाए रखेंगे।
बेदाग रहकर बेहतर दायित्व निभा रहे हैं गोयल
पीयूष गोयल ने जब से रेल मंत्री के रूप में अपना कार्यभार संभाला है तब से बेदाग होकर बेहतर तरीके अपना दायित्व निभा रहे हैं। रेलवे में सुरक्षा से लेकर यात्रियों की सुविधाओं पर ध्यान दिया जा रहा है। रेलवे के लिए अभी तक किया गया बड़ा ऐलान सराहनीय रहा है। हाल ही में उन्होंने रेल मंत्रालय के मुख्यालय में अधिकारियों के जमावड़े को कम करने की पहल की है। अथिकारों के विकेंद्रीकरण के तहत रेल भवन में अधिकारियों के जमावड़े को रोका जा सकेगा। वे यहां के अतिरिक्त अधिकारियों को रेलवे की सुरक्षा की ओर लगाना चाहते हैं। बिना किसी विभाग को बंद किए मंत्रालय के विभागों और इकाइयों के एकीकरण और सुदृढ़ीकरण पर जोर दे रहे हैं। कर्मचारियो और अधिकारियों के अधिकतम इस्तेमाल के उद्देश्य से यह पहल की गई है।
ट्रेन में मिलने वाले खाने की गुणवत्ता सुधारने के लिए अपने अधिकारियों से यात्रियों को खाने की मात्रा के साथ कॉन्ट्रैक्टर की जानकारी भी उपलब्ध कराने को कहा है। इसके साथ ही खाने के पैकेट पर वेज और नॉनवेज के सिंबल लगाने को कहा है ताकि यात्रियों को पता चले कि कौन सा पैकेट वेज है और कौन सा पैकेट नॉनवेज!
सीनियर अधिकारियों के घर पर रेलवे कर्मचारियों के काम को बंद किया
रेल मंत्रालय का कार्यभार संभालते ही पीयूष गोयल ने करीब दस हजार रेलवे कर्मचारियों को सीनियर अधिकारियों के घर पर से हटाकर उन्हें सुरक्षा और रख-रखाव जैसे उनके मूल काम पर लगाया। साथ ही उन्होंने सख्त निर्देश दिए हैं कि कोई वरिष्ठ अधिकारी अपने घर पर रेलवे कर्मचारियों से काम न कराएं। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि गैंगमेन और ट्रैक मेन समेत ग्रुप-डी के कर्मचारियों को अधिकारियो के घर पर काम करने को मजबूर किया जाता है।
किसी मंत्रालय में संतोषप्रद नहीं रविशंकर प्रसाद का प्रदर्शन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल रविशंकर प्रसाद को जहां सूचना एवं प्रौद्योगिकी, दूरसंचार और विधि एवं न्याय जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय दिया गया वहीं पीयूष गोयल को अपेक्षाकृत उनसे कम महत्वपूर्ण मंत्रालय दिया गया। लेकिन बाद में बेहतर प्रदर्शन के लिए जहां गोयल को प्रोणत्ति मिली वहीं
प्रसाद को अधिक भार के तहत दूरसंचार मंत्रालय वापस ले लिया गया।
सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री के रूप में भी उनके कार्य को उत्कृष्ट नहीं कहा जा सकता। पिछले साल 29 दिसंबर को राज्यसभा में एक पूरक प्रश्न के तहत यह बयान दिया था कि सोशल मीडिया साइट फेसबुक से सारे तथ्य प्राप्त कर दोबारा संसद में बयान देंगे। फेसबुक पर अपने यूजर्स से ‘आधार’ की जानकारी मांगे जाने के आरोप के तहत उन्होंने यह बयान दिया था। लेकिन इसी बीच फेसबुक द्वारा करीब 6 लाख भारतीय उपयोगकर्ताओं का डेटा कैंब्रिज एनालिटिका के हाथों बेचने का खुलासा हो गया। सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री होने के नाते देश के लाखों लोगों की सूचनाएं सुरक्षित रखने में वे असफल रहे। उन्होंने तभी कहा था कि सरकार बहुत जल्द डाटा सुरक्षा कानून बनाएगी। लेकिन अभी तक वह कानून नहीं बन पाया। जबकि विधि और न्याय मंत्रालय का दायित्व भी उन्हीं के पास है।
ट्राई की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 432 मिलियन लोग इंटरनेट यूज करते हैं। इतना ही नहीं हर महीने कई मिलियन लोग इसमें जुड़ जाते हैं। देश में इंटरनेट के इतने उपयोगकर्ता होने के बावजूद इंटरनेट सेवा का हाल किसी से छिपा नहीं है। आज भी लोगों को सुविधापूर्ण इंटरनेट सेवा नहीं मिल पा रही है। वो भी तब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार अपने महत्वाकांक्षी डिजिटल इंडिया प्रोग्राम को आगे बढ़ाना चाहती है। क्या सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री के नाते यह रविशंकर प्रसाद की असफलता नहीं कही जाएगी।
साइबर अपराध की घटनाएं पहुंची चरम पर
प्रसाद के कार्यकाल के दौरान साइबर सिक्योरिटी की घटनाएं काफी संख्या में बढ़ी है। सिर्प 2017 में ही साइबर सिक्योरिटी में सेंध की 53 हजार घटनाएं हो चुकी है। ये घटनाएं इन चार सालों में सबसे अधिक है। National Crime Record Bureau (एनसीआरबी) के मुताबिक साइबर सिक्योरिटी में सेंध की घटनाएं पहले भी काफी संख्या में हुई है। उनके मुताबिक 2014 में 9,622, साल 2015 में 11,592 तथा 2016 में 12,317 साइबर अपराध दर्ज किए गए हैं। जबकि एक निजी संस्था भारतीय कंप्यूटर आपात प्रतिकार टीम (CERT-In) के मुताबिक 2014 में जहां 44,679 वहीं 2015 में 49,455 और 2016 में 50,362 साइबर अपराध की घटनाएं घटी हैं। आखिर इतनी तेजी से बढ़ रही साइबर अपराध की घटनाओं पर रविशंकर प्रसाद कब तक लगाम लगा पाएंगे?
पसंद नहीं था ‘कॉल ड्रॉप मंत्री’ कहलाना
जब तक प्रसाद के बाद दूरसंचार मंत्रालय का दायित्व था वे यही कहते रहे कि उन्हें ‘कॉल ड्रॉप मंत्री’ कहलाना पसंद नहीं। कहने का तात्पर्य यह कि वह खुद ही ‘कॉल ड्रॉप मंत्री’ का तमगा ले बैठे। क्योंकि उनके रहते एमटीएनएल और वीएसएनएल में कोई सुधार हुआ हो ऐसा दिखा नहीं।
रविशंकर प्रसाद अभी भी दो-दो मंत्रालय सूचना एवं प्रौद्योगिकी तथा विधि एवं न्याय मंत्रालय का दायित्व संभाल रहे हैं। इतने बड़े मंत्रालयों को संभालते हुए भी वे हमेशा पार्टी के प्रवक्ता की भूमिका में दिखते रहे हैं। दूरसंचार मंत्री रहते हुए दूरसंचार के ऑपरेटरो पर उन्हें तंज कसना पड़ा था। उन्होंने खुद कहा था कि कई बार टोकने के बाद ऑपरेटरों ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि सेवाओं की गुणवत्ता खराब है और उसमें सुधार की आवश्यकता है। इस मामले में उन्हें एरिक्शन के एक कार्यक्रम में खुद सार्वजनिक तौर पर खेद भी जताना पड़ा।
URL: Piyush goyal pramoted for good work while Ravi Shankar proven call drop minister in modi cabinet
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