अर्चना कुमारी । अब तक कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें दिल्ली पुलिस ने केस को इतना कमजोर कर दिया कि आरोपियों को जमानत देने में अदालत को कोई झिझक महसूस नहीं हुई। पुलिस की लापरवाही के चलते कई संदिग्ध आतंकी, गैंगस्टर और बदमाश रिहा हो गए और यह सब तब हो रहा है जब हिंदूवादी नेता नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के अधीन दिल्ली पुलिस काम करती है।
पिछले ही दिनों दिल्ली की एक अदालत ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध के संबंध में दर्ज मामले में आठ आरोपियों को जमानत देते हुए निर्णय सुनाया था कि पुलिस यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं दिखा पाई कि आरोपी व्यक्तियों ने कथित गैरकानूनी गतिविधियों को कैसे अंजाम दिया और अब दिल्ली दंगे को लेकर भी पुलिस का रवैया कुछ इसी तरह का है।
दिल्ली दंगे में पहली सजा एक हिंदू युवक दिनेश यादव को मिली, जबकि सबसे नृशंस तरीके से मारे गए दिलबर नेगी के हत्यारों ताहिर, शाहरुख, फैजल, शोएब सहित 6 को जमानत मिल गई। अब दिल्ली दंगों को लेकर एक फिर फैसला आया है जिसकी चर्चा हो रही है और वह है अदालत ने दंगा के मुख्य साजिशकर्ता और जेएनयू का पूर्व-छात्र उमर खालिद और यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के सदस्य खालिद सैफी को 2020 के उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में आरोपमुक्त कर दिया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने थाना खजूरी खास में दर्ज एफआईआर 101/2020 के मामले में यह आदेश सुनाया। कोर्ट ने उमर खालिद और खालिद सैफी के अलावा तारिक मोईन रिजवी, जागर खान और मो इलियास को भी आरोपमुक्त कर दिया। आरोपी तारिक मोइन रिजवी, जागर खान, मोहम्मद इलियास, खालिद सैफी और उमर खालिद को धारा 437-ए सीआरपीसी के तहत 10,000 रुपये के मुचलके के साथ इतनी ही राशि की जमानत राशि जमा करने का निर्देश दिया गया है।
जज ने हालांकि ताहिर हुसैन, लियाकत अली, रियासत अली, शाह आलम, मो शादाब, मो आबिद, राशिद सैफी, गुलफाम, अरशद कय्यूम, इरशाद अहमद और मो रिहान के खिलाफ आरोप तय किए। आईपीसी की धारा 120बी, 147, 148, 188, 153ए, 323, 395, 435, 436, 454 के तहत आरोप तय किए गए । एफआईआर में खालिद और सैफी दोनों जमानत पर हैं। हालांकि, वे अब भी यूएपीए मामले में न्यायिक हिरासत में हैं।
उमर खालिद को जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि उसके खिलाफ अधूरी सामग्री के आधार पर उसे सलाखों के पीछे रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह देखते हुए कि मामले की जांच पूरी हो चुकी थी और चार्जशीट भी दायर की जा चुकी थी, अदालत ने कहा कि उसे “केवल इस तथ्य के कारण अनंत काल तक जेल में नहीं रखा जा सकता है कि अन्य व्यक्ति जो दंगाई भीड़ का हिस्सा थे, उन्हें मामले में पहचान की जाए और गिरफ्तार किया जाए।
दरअसल ,जिन लोगों को आरोप मुक्त किया गया उनको लेकर पुलिस की जांच में यह साबित नहीं हो पाई कि वह दंगाई थे जबकि कुछ इसी तरह दिल्ली दंगे में आरोपी सफूरा जरगर को जमानत दिलाने में दिल्ली पुलिस का अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग मिला था क्योंकि दंगा टीम के सफूरा के जमानत का विरोध न करना था।
माना जा रहा है कि दिल्ली पुलिस जिस तरह काम कर रही है उससे और भी दंगाइयों को भी जमानत मिलने में दिक्कत नहीं होगी । इस बीच खबर है कि दिल्ली दंगा मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में खालिद सैफी की ज़मानत पर सुनवाई टली।दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई कर रही पीठ की अनुपलब्धता के चलते मामले की सुनवाई टली। दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 7 दिसंबर को होगी।