देश की धरोहरों में शामिल स्मारक लाल किले को बेहतर ढंग से संजोने की जिम्मेदारी केंद्र की एनडीए सरकार ने डालमिया को दी है। जब से केंद्र सरकार ने यह फैसला किया है तब से कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस पिछले शनिवार से ही केंद्र सरकार पर लाल किले को बेचने और नीलाम करने जैसे झूठे आरोप लगा रही है। जबकि सचाई यह है कि देश के उपेक्षित स्मारकों को संजोने का फैसला कांग्रेस सरकार ने ही किया था। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह खुद इसके प्रबल समर्थक थे। उन्होंने तो अपने एक भाषण में इसकी पुरजोर वकालत भी की है। इतना ही नहीं यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में कॉरपोरेट मंत्री रहे सचिन पालयट ने ही 2014 में कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी के तहत स्मारकों की बेहतरी के लिए कानून बनाया था।। इसका खुलासा 27 फरवरी 2014 को PIB द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति से हुआ है। डालमिया के हाथ लाल किला सौंपने पर कांग्रेस का विरोध न केवल झूठ पर आधारित है बल्कि दिखावा है। इसका खुलासा स्वयं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस के पूर्व कॉरपोरेट मंत्री संचिन पायलट ने कर दिया है।
मुख्य बिंदु
* कांग्रेस के पूर्व कॉरपोरेट मंत्री सचिन पायलेट ने 2014 में ही इस संदर्भ में बनााय था कानून
* पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने पहले कार्यकाल के शुरुआती दौर में इस तरह के प्रयास पर दिया था बल
* सिर्फ लाल किला ही नहीं केंद्र सरकार देश के ऐसी 116 धरोहरों को संजोने और संवर्द्धन के लिए उठाएगी कदम
पीआईबी (प्रेस इनफॉरमेशन ब्यूरो) में जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक सचिन पायलट ने स्पष्ट कहा था कि इस संदर्भ में सभी संबंधित हितधारकों से विस्तारपूर्वक विचार-विमर्श करने के बाद ही स्मारकों की बेहतरी के लिए निजी हाथों में देने का फैसला लिया गया है। कंपनी अधिनियम के 2013 के खंड 135 की अनूसूची में शामिल गतिविधियों में राष्ट्रीय विरासत, कला व ऐतिहासिक महत्व की इमारतों का संरक्षण तथा कलाकृतियों सहित संस्कृति की सुरक्षा और परंपरागत कला व हस्तशिल्प का विकास व संवर्द्धन जुड़ा है। गौर हो कि यह कानून 2014 के पहली अप्रैल से लागू है। इसी कानून के तहत केंद्रीय सरकार ने लाल किले की ऐतिहासिकता को संजोने और संवर्धन की जिम्मेदारी देश के नामी उद्योग घराना डालमिला को सौंपी है।
केंद्र सरकार के इस कदम से कांग्रेस इतनी हमलावर है कि उसने तो सरकार से पूछा है अब अगली बार देश की पार्लियामेंट या सुप्रीम कोर्ट को किसी औद्योगिक घराने के हवाले किया जाएगा? जबकि सरकार का कहना है कि लाल किले की बेहतरी के साथ वहां लोगों को अच्छी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए यह लोकोपकारी कदम उठाया गया है। कांग्रेस हमला करने और आरोप लगाने में इतनी अंधी हो चुकी है कि वह अपने ही वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान को दरकिनार करने पर तुली है। इतना ही नहीं वह अपने ही कार्यकाल में बने कानून का उल्लंघन करने आमादा है।
साल 2004 की ही बात है जब केंद्र में यूपीए सरकार सत्ता में आई थी। तभी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने एक बयान में कहा था “मैं उम्मीद करता हूं कि हमारे पूर्वजों के दिए उन ऐतिहासिक धरोहरों और स्मारकों को जो आज हमारे अलग-अलग शहरों में उपक्षित पड़े हैं, उन्हें बेहतर बनाने के लिए कई पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप आगे आएंगे”!
वहीं सांस्कृतिक मंत्री (राज्य मंत्री) महेश शर्मा ने कांग्रेस के आरोपों को बेबुनयाद बताते हुए कहा है कि। यह पहल किसी प्रकार का लाभ अर्जित के लिए नहीं की गई है, बल्कि धरोहरों को संजोने और संवर्द्धन करने के साथ ही वहां आने वाले लोगों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए की गई है। उन्होंने कहा कि यह महज लाल किला तक ही सीमित नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि देश की ऐसी 116 धरोहरों की बेहतरी के लिए इस प्रकार के कदम उठाए जाएंगे।
URL: Red Rort Row: Controversy backfires on congress hypocrisy
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