आईएसडी नेटवर्क। चंद्रयान 3 की चन्द्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद उन वैज्ञानिकों की कहानियां बाहर आ रही हैं, जो इसके साथ जुड़े हुए थे। इस मिशन को जिन वैज्ञानिकों ने अंजाम दिया है, उनमे अधिकांश भारत के ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं। इन सभी ने चंद्रयान की कल्पना साकार करने में अपना योगदान दिया है। किसी वैज्ञानिक ने कैमरा, किसी ने सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट पर काम कर अपना योगदान दिया है। आज भारत के कोने-कोने में उनकी कहानियां सुनाई जा रही है।
चंद्रयान 3 के युवा वैज्ञानिकों की कहानियां बड़ी दिलचस्प हैं। छत्तीसगढ़ के भरत कुमार की कहानी बड़ी लोकप्रिय हो रही है। छत्तीसगढ़ के चरौदा में रहने वाले एक युवा के.भरत कुमार बड़े ही संघर्षों के बाद इसरो की देहरी तक पहुंचे थे। भरत के पिता बैंक में सुरक्षा गार्ड हैं और बच्चों को बेहतर शिक्षा देना चाहते थे। इसके लिए आर्थिक समस्या आड़े आती थी, सो भरत की माँ ने चरौदा में एक टपरी पर इडली चाय बेचने का काम शुरू किया। चरौदा में रेलवे का कोयला उतरता चढ़ता है।
कोयले की इसी काली गर्द के बीच भरत मां के साथ यहां चाय देकर, प्लेट्स धोकर परिवार की जीविका और अपनी पढ़ाई के लिए मेहनत कर रहा था। भरत की स्कूली पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय चरौदा में होने लगी। जब भरत नौवीं में था, फीस की दिक्कत से टीसी कटवाने की नौबत आ गयी थी पर स्कूल ने फीस माफ की और शिक्षकों ने कॉपी किताब का खर्च उठाया। भरत ने 12 वीं मेरिट के साथ पास की और उसका IIT धनबाद के लिए चयन हुआ। फिर आर्थिक समस्या आड़े आई तो रायपुर के उद्यमी अरुण बाग और जिंदल ग्रुप ने भरत का सहयोग किया। यहाँ भी भरत ने अपनी प्रखर मेधा का परिचय दिया और 98% के साथ IIT धनबाद में गोल्ड मेडल हासिल किया। जब भरत इंजीनियरिंग के 7 वें सेमेस्टर में थे तब ISRO ने वहां अकेले भरत का प्लेसमेंट में चयन किया और आज भरत इस चंद्रयान 3 मिशन का हिस्सा है।
भरत की तरह ही उत्तरप्रदेश के जालौन जिले के दो वैज्ञानिकों का नाम भी गूंज रहा है। अतुल निगोतिया और अंकुर त्रिगुनायत चंद्रयान 3 मिशन की टीम का हिस्सा हैं। इन दोनों ने सरस्वती विद्या मंदिर से हाई स्कूल पास किया है। ऐसे ही फिरोजाबाद के टिकरी गांव के धर्मेंद्र प्रताप यादव की कहानी है। धर्मेंद्र चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग टीम में शामिल हैं। वे इस मिशन में बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। धर्मेंद्र चंद्रयान से सिग्नल रिसीव करने का काम कर रहे हैं।
उन्होंने मथुरा के हिंदुस्तान कॉलेज से बीटेक और जालंधर के कॉलेज से एमटेक किया। इस टीम में बिहार के तीन वैज्ञानिक भी शामिल हैं। समस्तीपुर के अमिताभ, सीतामढ़ी के रवि कुमार और गया के सुधांशु कुमार चंद्रयान 3 मिशन के हिस्सा बने हैं। लांच व्हीकल बनाने लोगों की टीम में सुधांशु शामिल थे। उनके पिता महेंद्र प्रसाद अपने घर में ही आटा चक्की चलाते हैं। समस्तीपुर के अमिताभ ने चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग में डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर और ऑपरेशन डायरेक्टर की भूमिका निभाई।
इस टीम में झारखंड के भी दो वैज्ञानिक शामिल हैं। इनमे एक हैं तपकरा गांव के सोहन यादव। सोहन चंद्रयान-3 के आर्बिटर इंटिग्रेशन और टेस्टिंग टीम में शामिल हैं। सोहन का परिवार बहुत साधारण है। उनके पिता एक ट्रक ड्राइवर हैं। झारखंड के ही आयुष झा चंद्रयान-3 के लैंडिंग मैनेजमेंट सिस्टम की टीम में शामिल हैं। आज देश इन होनहार वैज्ञानिकों पर गर्व कर रहा है। गाजीपुर के रेवतीपुर केकमलेश शर्मा, उन्नाव के रहने वाले आशीष मिश्रा, मिर्जापुर के आलोक पांडेय आदि आज स्कूली बच्चों और कॉलेज में पढ़ रहे युवाओं के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं।