विपुल रेगे। इसे विडंबना कहा जाए कि जिस देश को गौवंश के कारण जाना जाता है, वह देश बीफ उत्पादन और इसके एक्सपोर्ट में कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। ये देखना भी अत्यंत दुःखद है कि जबसे स्वयं को सनातनी कहने वाली सरकार चलन में आई है, बीफ एक्सपोर्ट लगातार बढ़ता जा रहा है, जबकि इस पर तो रोक लगा देनी चाहिए थी। पिछले वर्ष से सरकार ने अरुणाचल प्रदेश की गौवंशीय प्रजाति ‘मिथुन’ के निर्यात का रास्ता एक आदेश जारी कर साफ़ कर दिया था। भारत सरकार ‘जलीय भैंस’ का भी निर्यात कर रही है। ये ‘जलीय भैंस’ भी गौवंशीय प्रजाति में सम्मिलित है।
5 मार्च 2024 को ‘द वायर’ में अन्ना फ्लैक का एक लेख छापा गया है। इस लेख में यूरोपीय संघ के एक कानून को लेकर विस्तृत व्याख्या की गई है। इसी लेख में बताया गया है कि बीफ एक्सपोर्ट में भारत अब विश्व में दूसरे नंबर पर पहुँच गया है। लेख के अनुसार भारत ‘मिथुन’ और ‘जलीय भैंस’ का निर्यात कर रहा है। सन 2023 में भारत ने 1,475 टन बीफ और बछड़े का मांस एक्सपोर्ट किया है। एक समय था, जब देश की जनसंख्या 38 करोड़ हुआ करती थी और गौ वंश 117 करोड़ हुआ करता था।

आज लोगों की संख्या बढ़ गई और गौ वंश की संख्या बढ़ने के बजाय घटती चली गई। एक अनुमान के अनुसार देश में लगभग 18 करोड़ गौ धन ही बचा रह गया है। एक समय गोवा को ‘गौवन’ कहा जाता था। संध्या के समय गोआ के समुद्री तट गायों से आच्छादित होते थे। आज उसी धरती पर गौ मांस खाया जाता है। एक अनुमान है कि भारत में लगभग 60 हज़ार बूचड़खाने हैं। एक तर्क दिया जाता है कि भारत सरकार गायों का निर्यात नहीं करती। लेकिन क्या भैंस गौवंश के अंतर्गत नहीं आती ? क्या भैंस दूध नहीं देती ? जिस ‘जलीय भैंस’ को सरकार एक्सपोर्ट कर रही है, उसका दूध भी पीने के काम आता है। सन 2020 तक भारत विश्व में सबसे अधिक ‘जलीय भैंस’ के दूध का उत्पादन कर रहा था।
अभी स्थिति इतनी भयावह है तो भविष्य में कहीं गौ मांस भक्षण को संपूर्ण देश में स्वीकार्यता न दे दी जाए। देशी गाय की संख्या तेज़ी से सिकुड़ रही है। भैंस उद्योग का तेजी से विस्तार हो रहा है और यह वर्तमान में बासमती चावल की तुलना में भारत के लिए अधिक निर्यात राजस्व उत्पन्न करता है। एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (APEDA) के अनुसार भारत में देश में 10 करोड़ से ज्यादा भैंस, 15 करोड़ बकरियां और 7.5 करोड़ भेड़ हैं। इन्हीं का मांस दूसरे देशों में निर्यात किया जाता है।
भारत सरकार ने गाय के मांस के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है। विश्व में सबसे अधिक मांग भैंस के मांस की बनी हुई है और भारत से भी सबसे अधिक निर्यात भैंस के मांस का होता है। पिछले वर्ष सितंबर में पूर्वोत्तर में पाया जाने वाला गौवंशीय ‘मिथुन’ खाद्य पशुओं की श्रेणी में डाल दिया गया था। सन 2012 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे, तब उन्होंने तत्कालीन यूपीए सरकार पर ‘पिंक रिवोल्यूशन’ को लेकर हमला बोला था।
उस समय बीफ एक्सपोर्ट को लेकर मोदी ने सरकार की आलोचना की थी और आज उनकी सरकार भी बीफ एक्सपोर्ट को बढ़ावा देती दिखाई दे रही है। यदि ये सरकार पीछे मुड़कर देखें तो पता चलेगा कि मंदिर विध्वंस और मांसाहार को बढ़ावा देने में ये कांग्रेस की सरकारों से भी बढ़-चढ़कर काम कर रहे हैं। यदि ये वाकई में सनातनी होते तो बीफ एक्सपोर्ट में कमी आती लेकिन एक्सपोर्ट तो हर साल बढ़ता ही जा रहा है।