अर्चना कुमारी। भारत कनाडा विवाद को लेकर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की अंतरिम समिति की बैठक में जस्टिन ट्रूडो द्वारा हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारतीय एजेंसियों के अधिकारियों की संलिप्तता को लेकर लगाए गए आरोपों पर गहरी चिंता व्यक्त की गई।
सूत्रों ने बताया एसजीपीसी अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई अंतरिम समिति की बैठक में पारित विशेष प्रस्ताव में कहा गया कि किसी भी देश की संसद में प्रधानमंत्री का बयान सामान्य नहीं माना जाता, बल्कि यह देश के संविधान की गरिमा के दायरे में तथ्यात्मक माना जाता है। संसद में कही गई हर बात को आसानी से खारिज नहीं किया जा सकता।
कनाडा ने भारतीय एजेंसियों पर जो आरोप लगाए हैं, उसकी सच्चाई दोनों देशों को राजनीति से परे ईमानदारी से लोगों के सामने रखनी चाहिए। यदि इसे केवल राजनीति के कारण दबाया जाएगा तो यह मानवाधिकारों के साथ अन्याय माना जाएगा। इस पूरे घटनाक्रम में मुख्य मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सिखों और पंजाब के खिलाफ फैलाए जा रहे नफरत भरे प्रचार की भी कड़ी निंदा की गई है और कहा गया है कि मीडिया के एक बड़े हिस्से द्वारा जानबूझकर भारत-कनाडा मुद्दे पर ही ध्यान केंद्रित किया गया है।
सिखों का चरित्र हनन किया गया है। एक प्रस्ताव के माध्यम से अंतरिम कमेटी ने भारत सरकार से मांग की कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से लें और सिखों की छवि खराब करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे। यह भी स्पष्ट किया गया कि सिख समुदाय सभी धर्मों का सम्मान करता है और किसी के प्रति द्वेष नहीं रखता है।
कुछ लोग मौजूदा हालात को देशों के बीच फूट डालने के लिए हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसे तुरंत रोका जाना चाहिए। समिति ने भारत सरकार से इस मामले पर गौर करने को कहा। यह भी कहा गया कि सिखों की छवि खराब करने वाली ताकतों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए और इसके साथ ही सिखों के बीच बढ़ते अविश्वास को खत्म करने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए।
इस विशेष प्रस्ताव के अलावा समिति ने कई अन्य निर्णय लिए और विभिन्न विभागों के मामलों पर भी चर्चा की। शिरोमणि कमेटी ने एक प्रस्ताव में जून 1984 में श्री अकाल तख्त साहिब पर हुए सैन्य हमले के दौरान जोधपुर जेल में बंद सिख के मुकदमों की पैरवी करने वाले वकीलों और उनकी सहायता करने वाले लोगों को विशेष रूप से सम्मानित करने का निर्णय लिया।