श्वेता पुरोहित। भारत में मौजूदा लोकसभा चुनाव में बदलाव की लहर दिख रही है। मेंदनी ज्योतिष में परिवर्तन का कारक चंद्रमा से देखा जाता है। चंद्रमा लोगों की मानसिकता का भी प्रतीक है।
दिलचस्प बात यह है कि भारत में इन दिनों चंद्रमा-शुक्र की दशा चल रही है। १ मई को गुरु भारत के लग्न में प्रवेश कर रहे हैं। तब से भारत के भाग्य में सुधार दिखेगा। कोर्ट और सरकारी अधिकारियों को बल मिलेगा। लग्न में बैठे ग्रह देश के मानस की स्थिति बताते हैं।
सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा की भी चंद्र-बुध की दशा चल रही है। मोदी (मेरे पास मौजूद चार्ट के अनुसार) और भाजपा दोनों की कुंडलीयों में चंद्रमा नीच के हैं।
२०१४ में जब भाजपा सत्ता में आयी थी तब सूर्य की महादशा चल रही थी। उसके परिणाम स्वरूप भाजपा को चुनाव में सफलता मिली थी। लेकिन इस चुनाव के समय मार्च २०२४ से भाजपा की चंद्र की महादशा और बुध की अंतरदशा आरंभ हुयी है जो अच्छी नहीं है क्योंकि कुंडली में चंद्र नीच है और बुद्ध पीड़ित है। बुद्ध भाजपा की कुंडली का लग्नेश हो कर केतु और बहुत सारे ग्रहों से पीड़ित है। ये दशा भाजपा के लिए अच्छी नहीं होने वाली है। मार्च २०२४ से ही इलेक्ट्रल बॉन्ड जैसे घोटाले उजागर होना शुरू हुए और भारतीयों के मानस को परिवर्तित करना शुरू किया। अजीबो-गरीब भाषण दिए जा रहे हैं (बुद्ध भाषण का भी कारक है)।
इन सब के कारण जो लोग पहले आँख बंद करके अपना काम से काम रखते थे उनका भरोसा सत्तारूढ़ पार्टी से उठने लगा और उन्होंने तथ्यों को देखना शुरू किया, प्रश्न उठाने शुरू किए।
वर्तमान में, केतु कन्या राशि में भारत के ५वें भाव में गोचर कर रहा है।
केतु का पंचम भाव पर गोचर करना देश की विचारधारा में बदलाव को दर्शाता है। उदाहरण के लिए १९८९ में रूस की चैत्र शुक्ल कुंडली में पीड़ित केतु के कारण ७२ वर्षों के साम्यवादी प्रभुत्व के बाद एक विचारधारा के रूप में साम्यवाद (Communism) को अस्वीकार कर दिया गया था।
यह भारत में २०२४ के लोकसभा चुनाव में एक लहर जो पिछले दो चुनावों में दिखी थी उसकी कमी दिखा रहा है। इस बार लोग वोट करने नहीं जाना चाहते।
बहुत से अंधभक्तों का “भक्त”, भक्तों का “कम-भक्त” और “कम-भक्तों” के “कमबख़्त” का सफर तय होता दिख रहा है 😃
भारत में एक बदलाव की आहट दिख रही है…