अर्चना कुमारी । धारावाहिक सीआईडी में अक्सर एसीपी प्रद्युमन जब मामले की जांच के दौरान यह कहता है कि कुछ गड़बड़ है दया , तो फिर जांच की दिशा बदल जाती थी और आरोपी आखिरकार पकड़ा जाता था।
कंझावला मामले में राजधानी की पुलिस लगातार उलझती चली जा रही है और मृतका की सहेली के सामने आने के बाद तो रहस्य और गहरा गया है। पहले माना जा रहा था कि यह एक साधारण एक्सीडेंट है और आरोपी चुकी नशे में थे, इस वजह से उन्हें घटना के बारे में नहीं पता चला । लेकिन इस बीच उसकी सहेली के सामने आने के बाद यह कैसे संभव है कि स्कूटी पर सवार दो लड़कियों में से एक लड़की कार के नीचे चिपक जाती है ।
कितनी जबरदस्त टक्कर होगी। साथ बैठी दूसरी सहेली को खरोच तक नही आती है औऱ वह लड़की रात दो बजे सुरक्षित घर भी पहुंच जाती है, कैसे घर गई,किसने छोड़ा। उसे डर लगा लेकिन उसने अपने परिजनों को घटना के बारे में बताया फिर उन लोगों ने पुलिस को क्यों नहीं सूचना दी।
सबसे हैरान करने वाली तो उसका यह बयान है कि मृतका खुद शराब के नशे में थी और वह कोई ड्यूटी समाप्त करके वापस नहीं लौट रही थी जबकि उन लोगों ने पार्टियां एक होटल में की थी जहां पर अंजलि का उसके बॉयफ्रेंड से झगड़ा हुआ था। उसका यह भी कहना था कि कार सवार लड़कों ने सामने से टक्कर मारी थी और कार में कोई संगीत भी नहीं बज रहा था। मामला पेचीदा है और अब होटल मालिक और कर्मचारियों से लेकर बॉयफ्रेंड तक पूछताछ की जाएगी और इसके अलावा जो भी जांच के दायरे में आएंगे उनसे पूछताछ की जा सकती है।
लेकिन बाहरी जिले के पुलिस उपायुक्त को क्या जल्दी थी कि उसने इस मामले को बिना जांचे परखे सिर्फ सड़क हादसा बता दी। उस वक्त तो यह भी पता नहीं था कि स्कूटी पर सवार एक लड़की नहीं बल्कि 2 लड़कियां थी और जांच भी अभी पूरी नहीं हुई थी और जिन पुलिसकर्मियों पर लापरवाही के आरोप लगाए गए हैं क्या ऐसे पुलिसकर्मियों से कोई पूछताछ की गई है।
सुल्तानपुरी से कंझावला के बीच ड्यूटी पर कितने संख्या में पुलिसकर्मी तैनात थे और जिन पर मामले में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया जा रहा है। आरोपी लड़की की लाश को लेकर करीब 3 थाने इलाके से गुजरे और तीनों थाना इलाकों में उस रात ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों से क्या पूछताछ की गई है। न्यू ईयर की जश्न को लेकर हुड़दंग करने वाले लोगों पर नकेल कसने के लिए पुलिस ने चाक चौबंद सुरक्षा होने का दावा किया था तो फिर मौके पर तैनात पुलिसकर्मियों की नजर उस कार पर क्यों नहीं पड़ी जो लड़की घसीट रहे थे ।
इस दौरान दो राहगीरों ने कई बार पीसीआर को कॉल करके घटना के बारे में बताया लेकिन उनकी बातों को अनसुना क्यों कर दिया गया। दिल्ली पुलिस में कोई एसीपी प्रद्युमन जैसा है जो इन सवालों के जवाब को तलाश करेगा। पहले किसी भी तरह के क्राइम सीन पर पहले पहुंचने की जिम्मेवारी पीसीआर की तय होती थी लेकिन क्या थाने से पीसीआर को मिला देने के बाद इस तरह की जिम्मेदारी भी समाप्त हो गई।
निर्भया गैंगरेप के बाद दिल्ली पुलिस ने महिला सुरक्षा के दावे बहुत किए थे लेकिन दावे अब बेमानी साबित हो रहे हैं। जब तक किसी केस को मीडिया सुर्खियों में नहीं लाती तब तक पुलिस सही ढंग से जांच नहीं करती। यही वजह है कि आम आदमी पार्टी ने जिले के पुलिस उपायुक्त को हटाने की मांग पुलिस आयुक्त की है जबकि पुलिस आयुक्त भी दूसरे कैडर के होने के चलते पुलिस की कार्यप्रणाली को नहीं समझ सके है। इससे पहले पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना भी दूसरे कैडर के थे