राजधानी में प्रवेश के सभी बॉर्डर पर किसान आंदोलन के चलते किसी का इंटरव्यू छूट रहा है तो कोई मेडिकल सुविधा पाने से वंचित हो रहा है । नौकरी पेशा करने वाले लोग तो रोज बॉर्डर से घर वापस लौट रहे हैं ,ऐसे में उनकी नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है । कोई बॉर्डर पर निहंग सिंहों का जत्था बाज़ साथ मे लेकर आया है , तो कोई राशन पानी बांधकर ऐसेे बैठा है जैसे किसान आंदोलन ना हुआ पिकनिक का अड्डा हो ।
दरअसल कथित तौर पर किसान आंदोलन एकदम झमाझम चल रहा था लेकिन उसमें खालिस्तान तथा शाहीन बाग विचारधारा के समर्थकों के कूदने के बाद इस आंदोलन का नेतृत्व रेडिकल जिहादियों के हाथ में चला गया है और इसको सपोर्ट मोदी सरकार के विरोध में सभी विपक्षी दल कर रहे हैं ।
भारतीय जनमानस यह जान चुका है कि यह आंदोलन कांग्रेसी-आपिया-अकाली आंदोलन है और इसे टुकड़े टुकड़े गैंग का समर्थन हासिल है । कोई किसान के नाम पर अपना धार्मिक एजेन्डा चलाना चाह रहा है, तो कोई मज़हबी तो कोई जातीय। आरोप यह भी है कि खालिस्तान समर्थक सिख फॉर जस्टिस चीन के मदद से सिखों को सामने लाकर गृह युद्ध भड़काने की कोशिश में लगा है। वैसे चलो मान लिया नया “किसान बिल 2020” खराब है तो इसका मतलब पहले वाला अच्छा रहा होगा! अगर पहले वाला अच्छा था तो किसानों की हालत आज तक बुरी स्थिति क्यों है ?
कहा तो यह भी जा रहा है कि अभी जो आंदोलन कर रहे हैं उन सभी पार्टियों का किसानों से कोई लेना देना नहीं है। दरअसल ये अपने अस्तित्व की लड़ाई किसानों के बहाने सड़कों पर ले आए हैं। विपक्षियों का प्रॉब्लम यह है कि, नए कानून से किसानों को फायदा होता है तो, यह वोट बैंक भी भाजपा की तरफ चला जाएगा और इनका भविष्य खराब हो जाएगा।
वैसे नए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब-हरियाणा समेत देश के दूसरे राज्यों से आए किसानो का जमावड़ा नौवें दिन भी दिल्ली के सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बार्डर पर डटा रहा। तीनों ही बार्डरो पर किसानों की संख्या मे बढोतरी देखने को मिली। वहीं सिंधु बार्डर ,टिकरी बार्डर गाजीपुर बार्डर पर किसानों की संख्या मे इजाफा देखा गया। वहीं बृहस्पतिवार की भांति शुक्रवार सुबह भी किसानों ने गाजीपुर एनएच24 पर जाम भी लगा दिया। वहीं शाम को यहां पर बडी संख्या मे किसान टैक्ट्ररो पर सवार होकर पहुंचे।
तथाकथित किसानों का कहना है यादि शनिवार को होने वाल बैठक के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकाला और सरकार ने हमारी मांगे नहीं मानी तो हम यहां से हटने वाले नहीं है हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा। आगे हम पूरी तरह से दिल्ली को जाम कर देंगे। किसानों का कहना है कि अब सब कुछ सरकार और उनके मंत्रियों के हाथ मे है, अगर सरकार ने हमारी मांगे नहीं मानी तो सभी किसान यही डटे रहेंगे।
किसानों के लगातार अड़ियल रवैये को देखते हुए दिल्ली पुलिस पूरी तरह से अलर्ट पर है। दिल्ली पुलिस ने राजधानी की सुरक्षा-व्यवस्था को चुस्त दुरस्त कर दिया है। वहीं दिल्ली के सभी बार्डरो पर भी चाक चौबंद सुरक्षा के कडे इंतजाम किये गए है, इसके साथ साथ बार्डर पर सभी जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी तैनात है ,जो पल पल की रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय भेज रहे है।
आंदोलन के चलते दिल्ली के गाजीपुर बंद कर दिया गया। चिल्ला बॉर्डर डीएनडी पर भीषण जाम देखा गया। दिल्ली से सटे सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है। इस वजह से गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा और गाजियाबाद आने-जाने वाले लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है । दिल्ली पुलिस की एडवाइजरी के मुताबिक, लोगों को सलाह दी जाती है कि वे दिल्ली आने के लिए मेरठ एक्सप्रेस-वे यानी एनएच-24 से बचें और दिल्ली आने के लिए अप्सरा / भोपड़ा / डीएनडी का उपयोग करें।
एडवाइजरी के मुताबिक, गौतम बुद्ध द्वार के पास किसानों के विरोध के कारण नोएडा लिंक रोड पर स्थित बॉर्डर को बंद कर दिया गया है। यानी नोएडा लिंक रोड से लोग दिल्ली न जा सकते हैं और न ही आ सकते हैं। लोगों को दिल्ली आने के लिए नोएडा लिंक रोड से बचने और डीएनडी का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने टिकरी, झारोदा बॉर्डर को पूरी तरह से बंद कर दिया है।वहीं, बदुसराय बॉर्डर को छोटी गाड़ियों जैसे कार और टू-व्हीलर को लिए खोली गई है। झटीकरा बॉर्डर को सिर्फ टू-व्हीलर के लिए खोला गया है। धनसा, दौराला, कापसहेड़ा, राजोकरी एनएच-8, बिजवासन/बाजघेरा, पालम विहार और दुनदाहेड़ा बॉर्डर को खोला गया है।
सिंधु, लामपुर, औचंडी, साफियाबाद, पिओ मनीआरी और साबोली बॉर्डर को भी बंद कर दिया गया है। लोगों से एनएच-8/भोपुरा/अप्सरा बॉर्डर/पेरिफेरक एक्सप्रेस-वे लेने की सलाह दी गई है।साथ ही आउटर रिंग रोड, जीटीके रोड और एनएच-44 पर यात्रा न करने की सलाह दी गई है। दिल्ली के सभी बॉर्डरो पर किसानों का जमावड़ा बढता जा रहा है, खासतौर पर सभी जिलों के आलाधिकारी बॉर्डर पर जायजा ले रहे है और रिपोर्ट दिल्ली पुलिस आयुक्त एस एन श्रीवास्तव तक भेज रही है। वहीं बॉर्डरो पर होने वाली तमाम गतिविधियों पर पुलिस आयुक्त नजर बनाए हुए है।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि राजधानी में प्रवेश के सभी बॉर्डरो पर तैनात जवानों का बढाया जा रहा और बॉर्डरो पर दिल्ली पुलिस के अलावा बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआरपीएफ के जवान भी जगह जगह तैनात है, ऐसे मे सभी जिलों के आलाधिकारी बॉर्डरो पर जहां जायजा ले रहे तो वहीं दूसरी तरफ इन जवानों की हौसला अफजाई मे भी कोई कसर नहीं छोडी जा रही है।
दिल्ली के टिकरी,सिंधु, गाजीपुर, चिल्ला, औचंदी झडौदा,बॉर्डरो पर जहां एक तरफ किसानों को कोरोना नामक महामारी से बचाव के लिए जागरूक किया जा रहा है तो वहीं सामाजिक संगठनों के द्वारा भी जागरूक किया गया और गर्म पानी पीने की सलाह के साथ साथ मास्क व सेनेटाइजर भी बांटे गए। बुराडी मे भी किसानों को कोरोना बीमारी से बचाव के लिए जहां जागरूक किया जा रहा है तो वहीं कुछ सामजिक संगठन भी यहां पर आए किसानों की मदद के लिए आगे आ रहे है ।
सामाजिक संगठनों के द्वारा यहां पर मास्क व सेनेटाइजर बांटे गए और किसानों से मास्क पहनने की अपील भी की गई। बताया जाता है कि आंदोलनकारी किसान और सरकार के बीच शनिवार दोपहर बैठक विज्ञान भवन मे होगी। इस बैठक को ध्यान मे रखते हुए दिल्ली पुलिस ने खासतौर पर नई दिल्ली इलाके मे सुरक्षा व्यवस्था बढा दी है वहीं विज्ञान भवन और उसके आस पास की सडकों पर दिल्ली पुलिस के अलावा सुरक्षा बलों के जवानों को तैनात कर दिया गया। वहीं जंतरमंतर, संसद मार्ग,इंडिया गेट, जैसे वीवीआईपी इलाकों मे भी पुलिस ने सुरक्षा के कडे बंदोबस्त किये है।
आंदोलन को तेज होता देख दिल्ली पुलिस आंदोलन के नौवें दिन भी रिंग रोड पर इसके अलावा अन्य सडकों पर भी सुरक्षा बढा दी गई हैं। दिल्ली गेट,गीता कालोनी, आईएसबीटी, कश्मीरी गेट,कोतवाली, चंदगीराम अखाड़ा, मजनूं का टीला, तिमारपुर, वजीराबाद, मुंकुदपुर, बाईपास, नरेला, नानक सर चौहान पट्टी, खजूरी, भजनपुरा, यमुना विहार, हर्ष विहार, सीमा पुरी, आनंद विहार समेत कई अन्य सडकों पर भी सुरक्षा कडी कर दी हैं। दिल्ली पुलिस के अलावा अर्धसैनिक बलों के जवानों को ड्यूटी में तैनात किया है। पुलिस भी चाहती है कि जल्दी आंदोलन समाप्त हो लेकिन जब तक आंदोलन चलता है उनकी ड्यूटी बनी रहेगी