अर्चना कुमारी। कथित किसान आंदोलन जारी है और इस दौरान बॉर्डर पर दो लोगो की मौत हो गई। किसान और पुलिस वाले की मौत होने के बाद संभू बॉर्डर पर तनाव है। हालांकि हार्ट अटैक से दोनों की मौत हुई बताई जाती है।
एमएसएपी की कानूनी गारंटी समेत 12 मांगों को लेकर चल रहे आंदोलन में शुक्रवार को दोनो जानें चली गईं। शंभू बॉर्डर पर डटे एक किसान और उन्हें दिल्ली जाने से रोकने के लिए तैनात हरियाणा पुलिस के सब इंस्पेक्टर को अचानक दौरा आया ।
इस बीच पंजाब के किसानों ने आरोप लगाया है कि हरियाणा पुलिस के आंसू गैस के गोले चलाने से वहां मौजूद लोगों की हालत बिगड़ रही है और इसी वजह से दो मौत हुई हैं। किसान की मौत के बाद शुक्रवार को एकबार फिर शंभू बॉर्डर पर दो बार टकराव देखने को मिला ।
बैरिकेडिंग के पास आए प्रदर्शनकारियों को पीछे धकेलने के लिए पुलिस ने फिर आंसू गैस के गोलों का प्रयोग किया। इससे मची अफरा-तफरी में कई किसान घायल हो गए।
सोनीपत के खरखौदा गांव निवासी हीरालाल (57) जीआरपी में सब इंस्पेक्टर थे। वे पानीपत के चुलकाना स्थित अपनी ससुराल में ही रहते थे और दो महीने पहले समालखा की न्यू दुर्गा कॉलोनी में शिफ्ट हुए थे। उनकी समालखा जीआरपी चौकी में ही ड्यूटी थी। किसान आंदोलन के चलते 11 फरवरी को उनकी ड्यूटी शंभू बॉर्डर पर लगाई गई थी।
13 फरवरी को हार्ट अटैक आने के बाद हीरालाल कोमा में चले गए थे। तब से उनका इलाज अंबाला छावनी के नागरिक अस्पताल में चल रहा था। शुक्रवार सुबह उनकी मौत हो गई। चिकित्सकों ने मौत का कारण दिल का दौरा बताया है। हालांकि जांच के लिए बिसरा लैब में भेज दिया गया है। इसके बाद चुलकाना गांव में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
इसके अलावा शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में पहुंचे बटाला (गुरदासपुर) के गांव चाचोके के एक किसान ज्ञान सिंह (70) की शुक्रवार को हार्ट अटैक से मौत हो गई है। किसान ने सरकारी राजिंदरा अस्पताल में दम तोड़ा। किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि आंसू गैस के गोले के धुएं के कारण उनकी तबीयत खराब हुई थी।
पहले किसान को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से राजिंदरा अस्पताल रेफर किया गया। जानकारी के अनुसार ज्ञान सिंह के संतान नहीं है और उनकी पत्नी की भी कुछ समय पहले ही मौत हो चुकी है। वर्तमान में वह अपने भाई के साथ रह रहे थे।