विपुल रेगे। मध्यप्रदेश के इंदौर में एक गरबा आयोजन में सूफी कव्वाली पर गरबा करा दिया गया। ‘दमादम मस्त कलंदर’ कव्वाली पर माता के भक्त पंडाल में झूमते रहे। जब ये खबर बाहर आई तो सोशल मीडिया पर तीव्र विरोध देखने को मिला। गरबा खेलने आए लोगों ने इस पर कोई आपत्ति नहीं उठाई। मध्यप्रदेश का इंदौर सनातनी विचारधारा के लिए जाना जाता है लेकिन ऐसे मौकों पर स्थानीय रुप से कोई विरोध देखने को नहीं मिला। संस्कृति का झंडा उठाने वाले भी नदारद हैं।
हम सब जानते हैं कि नवरात्रि के पंडालों में गरबा करने का अर्थ माँ की आराधना करना होता है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से गरबों के आयोजनों में सभी तरह की सीमाएं पार की जा रही है। इंदौर में मंगलवार की रात ‘ताल-गरबा’ नामक एक संस्था ने गरबा आयोजन करवाया। ये संस्था कई वर्ष से शहर में ये आयोजन कराती आ रही है। देर रात आयोजकों की ओर से लाल शाहबाज कलंदर की प्रसिद्ध सूफी कव्वाली बजवाई गई और उस पर गरबा कराया गया।
फ्यूजन के नाम पर धार्मिक आयोजनों में इस तरह का अधर्म किया जा रहा है। इस कव्वाली वाले गरबे की खबर सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी। सुदर्शन न्यूज़ ने इस पर स्टैंड लेते हुए ट्वीटर पर घोर विरोध किया। हालाँकि सनातनी शहर इंदौर से ऐसी कोई आवाज़ नहीं उठाई गई। इंदौर के सनातनी रक्षक ऐसे में पता नहीं कहाँ गुम हो गए। इस बात पर बड़ी बहस है कि ‘दमादम मस्त कलंदर’ एक मुस्लिम कव्वाली है या नहीं। बहुत से लोग इसे सूफियाना कहते हैं।
हज़रत सैय्यद उस्मान मारवंडी को लाल शाहबाज़ कलंदर के नाम से जाना जाता है। इनका कार्यकाल पाकिस्तान और अफगानिस्तान रहा है। इस कव्वाली में सिंधी देवता झूलेलाल का जिक्र आता ज़रुर है लेकिन हज़रत सैय्यद उस्मान का काम सिंधियों को मुस्लिम धर्म में परिवर्तित करना था। ये एक सूफी कव्वाली है जो सिंध के सबसे सम्मानित सूफी संत, सहवान शरीफ के लाल शाहबाज कलंदर (1177-1274) के सम्मान में लिखी गई है। हालाँकि गरबा आयोजक किसी कव्वाली को गरबों में बजाने से पहले जानकारी नहीं लेते।
गरबा आयोजकों को अहसास ही नहीं हो रहा है कि उन्होंने माँ की आराधना में एक धर्म परिवर्तक का महिमा मंडन कर डाला है। माँ की आराधना का गढ़ अहमदाबाद भी दूषित हो चला है। इस बार के विश्व कप में भारत और पकिस्तान मैच के लिए अहमदाबाद की कुछ युवतियों ने अपने शरीर पर भारत-पाक के टैटू बनवा डाले। विगत कुछ दशकों से हम देख रहे हैं कि गरबा आयोजनों में जबसे अपरंपार धन आया है, बहुत सी बुराइयां भी चली आई है। इन आयोजनों में अब मीडिया भी पार्टनर बनने लगा है।
इंदौर में हुए आयोजन की ब्रांडिंग जागरण समूह का नईदुनिया कर रहा था और अब इस समाचार पत्र के पास आयोजकों की इस बड़ी गलती का कोई जवाब नहीं है और न ही इंदौर के हिन्दू संगठनों को होश है कि उनके शहर में नवरात्रि का ऐसा भद्दा मज़ाक बनाया गया है।