रमाशंकर कटारे। पारिवारिक व्यवस्था भंग करने में सुप्रीम कोर्ट और वर्तमान सरकार ने बहुत बड़ा प्रहार किया है। पति पत्नी के आंतरिक संबन्ध में यदि पत्नी कह दे कि पति ने बलात संबन्ध बनाये हैं तो वह आपराधिक कृत्य मानकर पति को जेल हो जायेगी, पर पत्नी किसी से विवाहेत्तर संबन्ध रखे तो पति उस पर कोई कार्यवाई नहीं कर सकता न ही इस कारण से संबन्ध विच्छेद कर सकता है। यह उसका अधिकार माना जाता है। पति यदि पत्नी के अन्य पुरूष से संबन्ध का प्रमाण काल रिकार्डिंग या चित्र, वीडियो के माध्यम से देना चाहे तो निजता का अधिकार के उल्लंघन के अपराध में उसे ही जेल होगी।
इसी तरह विवाह की आयु 21 वर्ष निर्धारित की गई है, इससे कम आयु में कोई युवती विवाह करे तो अपराध पर वही युवती यदि 21 वर्ष से कम आयु में बिना विवाह यौन संबन्ध बनाए तो वह अपराध नहीं होगा। ऑक्सफोर्ड पालित न्यायपालिका और acypl से प्रशिक्षित राजनीतिज्ञों ने भारतीय सांस्कृति, परिवार, पारिवारिक शुचिता पर जो प्रहार किया है उसका एक प्रत्यक्ष पीड़ित आज मेरे सामने आया है।
घटना मेरे एक निकटतम व्यक्ति की है। उन्हें पता लगा कि उनकी पत्नी के उनके पड़ोसी से संबन्ध हैं। उनके दो बच्चे हैं, छोटा बेटा लगभग 2 साल का है। यद्यपि उन्हें यह आशंका थी पर पड़ोसी की पत्नी और मां ने उनसे यह शिकायत की तब उनकी आशंका की पुष्टि हुई। उनकी पत्नी के इस तरह का व्यवहार की घटना पहले भी हो चुकी थी, पर समाज, परिवार, बच्चों का ध्यान रखते हुए उन्होंने उसे टालना उचित समझा और दूसरे शहर में स्थानांतरण करवा लिया।
जब दूसरे स्थान पर भी घटना हुई तब उन्होंने इस पर कानूनी कदम उठाने का विचार किया। इस हेतु वो परिवार परामर्श केंद्र गए। वहाँ उन्होंने सारी घटना बताई और कहा कि उनके पास कॉल रिकार्डिंग और वीडियो भी हैं।वहाँ उपस्थित पुलिस अधिकारी ने उन्हें कहा कि आप इन साक्ष्यों की बात भी मत करना अन्यथा नोकरी से भी जाओगे और जेल भी, क्योंकि यदि आप यह साक्ष्य सामने लाओगे तो आप पर व्यक्ति की निजता के उलंघन का आरोप लगेगा। आपके पास एक ही उपाय है कि आप या तो समझौता करके साथ रहें या संबन्ध विच्छेद का कोई और कारण ढूंढे।
आप सिर्फ एक कारण कि “विचार नहीं मिलते” इस बात पर संबन्ध विच्छेद के लिए न्यायालय में आवेदन कर सकते हैं।
यानि दम्पत्ति में से एक के व्यभिचार में संलग्न होने पर भी दूसरे पक्ष को भारतीय संविधान से कोई कानूनी सुरक्षा नहीं है।
बहुत ही शोचनीय है।