अर्चना कुमारी। जेलों मे महिला कैदियों के गर्भवती होने की खबरों पर सुप्रीम कोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया। जस्टिस हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले पर सुनवाई के बाद दिए गए आदेश प्रत्येक जिले में महिला कैदियों की सुरक्षा और स्थिति को देखने वाली मौजूदा समिति में एक महिला न्यायिक अधिकारी भी शामिल होंगी। समिति में महिला जेलों की अधीक्षक को भी शामिल किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के बाद.पिछले आदेश के आधार पर कमेटी गठित करने का निर्देश देते हुए कहा नई जेलें स्थापित करने और मौजूदा जेलों में सुविधाओं का विस्तार करने के लिए आवश्यक कदमों को विशेष रूप से जेल में बंद महिलाओं के पहलुओं को पर्याप्त तरजीह दी जाए।
इसके लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेश से सुझाव लिया जाए। उसके बाद मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। सूत्रो ने बताया जेलों में भीड़भाड़ से निपटने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उस मामले पर पूरे देश की जेलों से जोड़कर संज्ञान लिया है।
जिसमें आठ फरवरी को पश्चिम बंगाल की जेलों में महिला कैदियों के गर्भवती होने का मुद्दा कोलकाता हाई कोर्ट में उठाया गया था।जिसके बाद इस मामले को आपराधिक खंडपीठ को स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया। इस मामले में कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरे ने दावा किया था कि पश्चिम बंगाल के सुधार गृहों में बंद कुछ महिला कैदी गर्भवती हुई और उनके 196 विभिन्न सुधार गृहों में पल रहे हैं।