गुदगुदाती कथाओं के लिए विश्व भर में विख्यात, वाक्पटुता के धनी गोनू झा से भरवाड़ा गांव ही नहीं बल्कि, पूरे मिथिला क्षेत्र की पहचान है। जिस तरह बादशाह अकबर के दरबार के नवरत्न की शान बीरबल थे, उसकी तरह दरभंगा महाराज के दरबार की शान गोनू झा थे। ग्रामीणों की मान्यता है कि भरवाड़ा और आसपास के गांवों को बाढ़ से मुक्ति दिलाने के लिए गोनू झा ने अपनी वाक चातुर्य से कमला मैया को पराजित कर गांव से विदा कर दिया था। देश-विदेश में उनके किस्से लोग बड़े चाव से सुनते हैं। मिथिला क्षेत्र के बच्चेउनके किस्से सुनकर बड़े होते हैं। लोग गोनू झा को मिथिला का बीरबल कहकर संबोधित करते हैं लेकिन आज मिथिला के इस बीरबल का गांव गुमनाम है। दरभंगा के भरवाड़ा स्थित दिग्घी पोखर के किनारे पौराणिक काल से बने शिव मंदिर के सामने गोनू झा की प्रतिमा ग्रामीणों को गौरवान्वित तो करती है पर इस स्थान की उपेक्षा कचोटती है।
चार दशक पूर्व बना था स्मारक
करीब चार दशक पहले तत्कालीन बीडीओ पहाड़ पुरी ने गोनू झा की गरिमा को पुनर्जीवित रखने के लिए सिंहवाड़ा प्रखंड मुख्यालय के सामने उनका स्मारक बनवाया था। यह स्मारक लोगों को दिल में गोनू झा की याद ताजा कर रही है। भरवाड़ा के ग्रामीणों ने बताया कि गोनू झा के खानदान से जुड़े किसी परिवार का सीधा प्रमाण तो नहीं मिल रहा है, पर भरवाड़ा के कई परिवारों के लोग आज भी गोनू झा को अपना पूर्वज बताकर गौरवान्वित महसूस करते हैं। गांव के बुजुर्ग विद्याधर झा, बैकुंठ झा, उदय कांत झा, स्वयंवर झा आदि बताते हैं कि गोनू झा के समय मिथिला में भरवाड़ा की अच्छी पहचान थी। बता दें कि बादशाह अकबर के शासनकाल में बीरबल तथा आधुनिक युग में प्रख्यात साहित्यकार प्रो. हरिमोहन झा ने गोनू झा से प्रेरणा लेकर हास्य एवं हाजिरजवाबी में ख्याति प्राप्त की थी।
समकालीन गरबी दयाल की पहचान कोलकाता तक
गोनू झा के समकालीन माने जाने वाले गुनी गरबी दयाल के गहबर के निशान आज भी भरवाड़ा गुदरी बाजार से पश्चिम देखने को मिलते हैं। गरबी दयाल की पहचान कोलकाता तक थी। एक दशक पूर्व तक कोलकाता और नेपाल से श्रद्धालु उनके गहबर पर मंत्र सिद्धि के लिए पहुंचते थे। लेकिन कुछ विवादों के बाद यहां लोगों का आना कम हो गया। इस जमीन पर स्वामित्व के लिए कोर्ट में मामला चल रहा है। मालूम हो कि गहबर पर आयोजित पूजन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए स्थानीय विधायक जीवेश कुमार आए थे। पूजन समारोह में आए लोगों पर उपद्रवियों के हमले के बाद विवाद हुआ और मामला अदालत में चला गया।
गौरव पुनर्जीवित होने की आस
गांव के इंद्र नारायण झा के अनुसार, विद्यापति व गोनू झा रूपी रत्नों से मिथिला नरेश का दरबार सुशोभित था। भरवाड़ा के नगर पंचायत बनने के बाद लोग इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग कर रहे हैं। मुख्य पार्षद सुनील कुमार भारती ने बताया कि नगर पंचायत भरवाड़ा के विकास का काम शुरू किया गया है। गोनू ग्राम नगर पंचायत भरवाड़ा अपने पुराने गौरव की ओर लौटने लगा है। गोनौर यादव, ध्रुव नारायण साह, राम नरेश ठाकुर, नंदू साह, इजहार अहमद मुन्ना आदि ग्रामीणों ने बताया कि नगर पंचायत बनने के बाद भरवाड़ा के पुराने गौरव के पुनर्जीवित होने की आस जगी है।
मिला था भगवती का वरदान
गोनू झा के संबंध में लोकश्रुति से चली आ रही बातों से काफी कुछ सामने आता है। ग्रामीण बताते हैं कि पूरी तरह मृत हो चुकी कमला नदी के पूर्वी भाग में भरवाड़ा के ब्राह्मण टोली में गोनू झा का जन्म स्थान था। वर्तमान में यह पुरानी बाजार कहा जाता है। यहां के अधिकतर ब्राह्मण परिवार अब अतरबेल-भरवाड़ा पथ के पूरब आकर बस गए हैं। सूखी हुई कमला नदी अब भी दिखाई पड़ती है, जिसमें लोग खेती करते हैं। नाटककार बैकुंठ झा ने दृष्टि शिरोमणि महामहोपाध्याय गोनू झा नामक पुस्तक में कई तरह की चर्चा की है। बैकुंठ झा ने बताया है कि पंजी पुस्तिका के अनुसार गोनू झा सोनकरिया कर्महे मूलक ब्राह्मण थे। उन्हें मां भगवती का विशेष वरदान प्राप्त था।
बीरबल भी थे गोनू झा से प्रभावित
बंगाली लेखक चंद्रगुप्त मौर्य एवं शोतो रक्षित ने अपनी पुस्तक ‘मिथिलार गोपाल भन्द गोनू’ झा में गोनू झा के संबंध में कई बिंदुओं पर प्रकाश डाला है। इनके अनुसार बीरबल गोनू झा की प्रेरणा से प्रभावित थे। इनके अनुसार गोनू झा को 1326 में महामहोपाध्याय की उपाधि से अलंकृत किया गया था। पौराणिक काल में बीरबल एवं आधुनिक काल में प्रो. हरिमोहन झा की रचना में गोनू झा की प्रेरणा एवं हास्य की झलक मिलती है। नारायण झा ने अपनी पुस्तक में चर्चा की है कि विद्यापति एवं गोनू झा मिथिला के दरबार के रत्न माने जाते थे। बताया गया है कि राजा शिव सिंह गोनू झा से प्रभावित थे। उसने खुश होकर गोनू ग्राम भरवारा में दो बड़े तालाब दिघी पोखर और घोरदौड़ पोखर का निर्माण कराया था। पानी पीने के लिए पुरानी बाजार के पास एक पनपीवी पोखर का भी निर्माण हुआ था। तीनों तालाबों की स्थिति आज खराब है।
गोनू ग्राम को पर्यटन स्थल बनाने की मांग
गोनू ग्राम भरवाड़ा के नगर पंचायत बनते ही वाकपटुता के धनी गोनू झा के स्मारक के विकास की आस लोगों में जग गई है। साथ ही गुनी गरबी दयाल के गहबर को पुनर्जीवित करने की मांग बढ़ रही है। ग्रामीणों ने बताया कि देश विदेश में वाकपटुता के लिए चर्चित गोनू झा के ग्राम को पर्यटन स्थल बनाकर विकास की रफ्तार बढ़ाने की जरूरत है। विद्याधर झा, शांति रमन प्रतिहस्त, उपेंद्र झा, फुदन झा, मोहन झा आदि ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व काल में भरवाड़ा परगना की पहचान बागमती नदी से लेकर नेपाल तक थी। भरवाड़ा का विकास कर गोनू झा की स्मृति को दुनिया में पुन: स्थापित करने की आवश्यकता है।