9 जून को मीडिया में आई सुर्ख़ियों ने लोगों का ध्यान अपनी और खींच लिया था। सुशांत सिंह राजपूत की मैनेजर दिशा सालियान ने मालाड की एक चौदह मंजिला इमारत से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। लॉकडाउन के समय आई इस दुःखद खबर को मीडिया ने सामान्य तौर पर लिया और मुंबई पुलिस को भी कुछ संदिग्ध नहीं लगा। दिशा की ये संदेहास्पद मौत पुनः चर्चा में आ गई है। सीबीआई और ईडी के हाथ में जाँच की कमान आ जाने के बाद इस केस में नित नए खुलासे हो रहे हैं। ऐसे में दिशा की मौत पर सर्च लाइट डालना अत्यंत आवश्यक हो गया है क्योंकि प्रारंभिक जाँच में ऐसे तथ्य हाथ लगे हैं कि इन दोनों की मौत में कुछ गहरा संबंध है।
9 जून को मीडिया में आई खबर पर किसी को संदेह न हुआ और न ही मुंबई पुलिस से मीडिया ने पूछा कि दिशा ने कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा था तो वे इस नतीजे पर कैसे पहुंचे कि दिशा ने उस रात आत्महत्या ही की थी। उनके दोस्तों के मुताबिक़ वह उस रात बहुत इमोशनल थीं, उन्होंने थोड़ी शराब पी हुई थी लेकिन ऐसी स्थिति भी नहीं थी कि उस रात दिशा किसी अवसाद की स्थिति में थी।
यदि वह मानसिक रूप से परेशान होती तो दोस्तों के साथ पार्टी ही नहीं करती। मुंबई पुलिस ने इस बात पर संदेह क्यों नहीं किया कि सुबह एक हंसती-खेलती लड़की शाम को एक पार्टी में शामिल होती है और रात को अचानक अवसाद में आकर आत्महत्या कर लेती है और पुलिस इस बात पर ज़रा सा भी संदेह नहीं करती।
बिहार पुलिस और सीबीआई के इस मामले को हाथ में लेने के बाद दिशा की मौत को लेकर कुछ सनसनीखेज बातें सामने आई हैं। 8 जून को दिशा की मौत हुई लेकिन पोस्टमार्टम 11 जून को किया गया। मुंबई पुलिस के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि उसने एक दिन तक दिशा का शव रखकर दूसरे दिन पोस्टमार्टम क्यों किया, जबकि ये नियमों के विरुद्ध जाता है।
पता चला है कि मात्र एक घंटे में पोस्टमार्टम कर दिया गया और जब दिशा का शव मिला था तो उस पर एक भी कपड़ा नहीं था। हैरत है कि मुंबई पुलिस ने इस एंगल को ध्यान में रखकर जांच क्यों नहीं की। इस बात का अनुसन्धान क्यों नहीं हुआ कि दिशा के शव पर एक भी कपडा नहीं था।
दिशा के दोस्तों का कहना है कि दिशा जब जमीन पर पड़ी मिली थी तो उसकी सांसें चल रही थी। उसके दोस्तों ने ये बात क्यों छुपाई कि वह कुछ देर तक ज़िंदा थी और उसके शरीर पर कोई कपड़े नहीं थे। दोस्तों का कहना है कि तीन अस्पतालों ने दिशा को लेने से मना कर दिया। ये बात भी संदेह पैदा कर रही है।
अस्पतालों के पास उन्हें न लेने के लिए कोई ठोस कारण नहीं था। सीबीआई को दोस्तों से और उन अस्पतालों से कड़ी पूछताछ करनी चाहिए, जिन्होंने ऐसा किया। दिशा के माता-पिता का कहना है कि उनकी बेटी की मौत अस्वाभाविक नहीं है। बेटी का नग्न शरीर खून से लथपथ मिला लेकिन फिर भी उन्हें ये केस अस्वाभाविक क्यों नहीं लग रही है। सीबीआई को दिशा मामले की जाँच भी करनी होगी, इसके बाद ही सुशांत की ह्त्या के गुम हुए सिरे जोड़े जा सकेंगे।
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