आईएसडी नेटवर्क। भारत पर चीन की दादागिरी बढ़ती चली जा रही है। एशियाई खेल 2023 में चीन ने भारत के तीन खिलाडियों को ‘स्टेपल वीजा’ दे दिया। इसके चलते भारत ने कड़ा विरोध जताया है। ये प्रकरण आज का नहीं बल्कि जुलाई से चला आ रहा है। जुलाई में भारत की ओर से चीन में हुए यूनिवर्सिटी गेम्स के लिए टीमें भेजी जा रही थी। इन खेलों में अरुणाचल प्रदेश के तीन खिलाड़ियों को चीन ने स्टेपल वीजा दिया था। अब पता चल रहा है कि ये विवाद तो जुलाई से ही चला आ रहा था।
चीन में चल रहे 19वें एशियाई खेलों में चीन ने पुनः भारत को अपनी बुरी नीयत से परिचित करवाया है। अरुणाचल प्रदेश के तीन खिलाड़ियों मान वांग्सू, ओनिलु तेगा और मेपुंग लाम्गु को चीन में अपनी प्रतिभा दिखाने से वंचित कर दिया गया है। लाम्गु, वांग्सू और तेगा अरुणाचल प्रदेश से आते हैं। मंगलवार को ये तीनों खिलाड़ी घर लौट आए। नाहरलागुन रेलवे स्टेशन पर इनका स्वागत किया गया। ये तीनों खिलाड़ी भारत की ओर से चीन जाने वाली वुशु टीम का हिस्सा थे। चीन के होझांग में 23 सितंबर से 8 अक्टूबर तक चलने वाले इन खेलों में खेल मंत्री अनुराग ठाकुर चीन जाने वाले थे लेकिन तीन खिलाडियों को स्टेपल्ड वीजा देने के बाद ठाकुर ने अपना चीन दौरा रद्द कर दिया है।
ठाकुर के इस कदम को चीन को प्रत्युत्तर के रुप में देखा जा रहा है। सरकार की इस प्रतिक्रिया का देश में स्वागत किया जा रहा है। हालाँकि ये मामला आज का नहीं है। ये प्रकरण विगत जुलाई से चला आ रहा है, जब भारत सरकार ने चीन में हुए यूनिवर्सिटी गेम्स में अपनी टीम भेजने का निर्णय लिया था। उस समय भी भारत की ग्यारह सदस्यीय टीम चीन जाने वाली थी। टीम में अरुणाचल प्रदेश के यही तीन खिलाड़ी थे, जिनको आज चीन ने स्टेपल वीजा दिया है। उस समय भी चीन का रुख ऐसा ही था। 27 जुलाई की सुबह भारत की वुशु टीम चीन जाने वाली थी लेकिन अधिकारियों ने उन्हें यात्रा रद्द होने की जानकारी देते हुए घर जाने को कह दिया। उस समय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मीडिया को ये जानकारी दी थी।
उस समय भारत सरकार की ओर से औपचारिक विरोध दर्ज करा दिया गया था। मज़े की बात है कि जुलाई में ही चीन ने हमारे तीन खिलाडियों को स्टेपल्ड वीजा एशियन गेम्स 2023 के लिए भी दिया था। उस समय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर का ऐसा कोई बयान सामने नहीं आया था। उस समय बागची ने कहा ‘यह हमारे संज्ञान में आया है कि चीन में एक अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले हमारे कुछ नागरिकों को स्टेपल वीजा जारी किया गया था। यह अस्वीकार्य है। और हमने चीनी पक्ष के समक्ष अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है।’ इसका मतलब है कि जुलाई में ही हमारे खिलाड़ियों को स्टेपल्ड वीजा दे दिया गया था लेकिन भारत के खेल मंत्री ने उस समय अपना रोष व्यक्त नहीं किया था।
जब सितंबर में खेल शुरु होने जा रहे थे, तब ये घोषणा की गई। हालाँकि जुलाई में कांग्रेस ने इस पर कड़ा विरोध दर्ज कराया था। कांग्रेस नेता शशि थरुर ने ट्वीट कर लिखा था ‘अब बहुत हो गया। अपने खिलाड़ियों और चीनी वीजा चाहने वाले हर दूसरे अरुणाचलवासी को निराश करने की बजाय, हमें तिब्बत से भारतीय वीजा के लिए आवेदन करने वाले किसी भी व्यक्ति को खुद से नत्थी वीजा जारी करना शुरू कर देना चाहिए।’ इससे ये स्पष्ट होता है कि भारत सरकार को चीन द्वारा की जा रही हरकत की खबर पहले से थी लेकिन उसने इस मामले में कोई कड़ी प्रतिक्रिया नहीं दी।
प्रश्न ये भी उठ रहा है कि जुलाई में ही अनुराग ठाकुर ने चीन का दौरा रद्द करने की घोषणा क्यों नहीं की थी। स्टेपल वीजा नॉर्मल वीजा से अलग होता है। जब किसी को स्टेपल्ड वीजा जारी किया जाता है तो पासपोर्ट के साथ एक डाक्यूमेंट अलग से नत्थी किया जाता है। जबकि नार्मल वीजा में ऐसा नहीं होता। स्टेपल वीजा धारक जब अपनी यात्रा खत्म कर वापस आता है तो उसे मिलने वाला नत्थी वीजा, एंट्री और आउटिंग टिकट सब फाड़ दिया जाता है। उस व्यक्ति के पासपोर्ट पर यात्रा का कोई विवरण लिखा नहीं होता।