अर्चना कुमारी। कांग्रेस और भाजपा के बीच टूलकिट विवाद में ट्यूटर कुछ छिपाना चाह रहा है । पुलिस द्वारा भेजे गए नोटिस पर ट्विटर ने कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई और पुलिस पर कई तरह का आरोप लगाया। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने ट्वीटर को आड़े हाथों लेकर उस पर निशाना साधा । दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि ट्वीटर ने टूलकिट मामले में खुद ही जांच कर फैसला सुना दिया।
कोई भी मामला हो, मामले की जांच का अधिकार पुलिस के पास है और उसमें सुनवाई के बाद फैसला सुनाने का हक अदालत को है। लेकिन ट्यूटर खुद को कानून से ऊपर मानने लगा है। पुलिस ने ट्वीटर पर जांच में सहयोग न करने के आरोप लगाए । ट्वीटर की ओर से जारी किए बयानों को भी पुलिस ने झूठे और जांच को प्रभावित करने वाला बताया ।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि पूरे प्रकरण को लेकर ट्वीटर के मैनेजिंग डायरेक्टर को नोटिस दिया गया था लेकिन मामले को हल्के में लिया गया। उनको जांच में सहयोग करने के लिए कहा गया था। पुलिस की ओर से उनको आरोपी नहीं बनाया गया था। लेकिन पुलिस को बदनाम करने के लिए ट्विटर की तरफ से झूठ को फैलाया जा रहा ।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि टूलकिट मामले में स्पेशल सेल जांच कर रही है। विवाद तब शुरू हुआ जब भाजपा और कांग्रेसी ने एक दूसरे पर आरोप लगाए। कांग्रेस ने इसकी शिकायत पुलिस में की थी और भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि उसने टूल किट तैयार कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के कई अन्य नेताओं और पार्टी को बदनाम करने की साजिश रची थी।
इसको लेकर भाजपा के कई नेताओं ने ट्वीट किए थे। इनमें भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के ट्वीट को ट्वीटर ने मैनिपुलेटेड मीडिया टैग बताकर हटाया था। इसके बाद से ही मामले ने तूल पकड़ा। पुलिस का कहना था कि किस आधार पर ट्वीटर ने ट्वीट को मैनिपुलेटेड मीडिया टैग बताया था। इस पर दिल्ली पुलिस ने ट्वीटर से जांच में सहयोग के लिए कहा था।
लेकिन ट्वीटर की ओर से झूठा प्रचार किया जाने लगा। ट्वीटर ने दावा किया था कि जो टूलकिट डोकोमेंट शेयर किया गया था, उसमें छेड़छाड़ की गई थी। पुलिस जानना चाहती है कि ट्वीटर को छेड़छाड़ की बात का कैसे पता चला, ट्वीटर इसकी जानकारी पुलिस से क्यों नहीं शेयर नहीं कर रहा है। दिल्ली पुलिस ने अपने बयान में साफ कहा है कि ट्वीटर न सिर्फ अपनी जांच कर रही है बल्कि खुद ही फैसला भी सुना रही है।
ट्वीटर जांच करने के बाद ट्वीट को मैनिपुलेटेड बताने की बात करता रहा है। ट्वीटर एक पब्लिक प्लेटफॉर्म है, इसलिए उसे पारदर्शिता रखना चाहिए। पुलिस ने ट्वीटर के उन आरोपों को गलत बताया जिसमें आरोप लगाया गया था कि वह सरकार के इशारे पर काम कर रही है। टूलकिट मामले में ट्विटर के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दिल्ली पुलिस ने इसे कानूनी जांच में बाधा डालने का प्रयास करार दिया ।
मामले को लेकर ट्विटर की ओर से जारी किए गए बयान को पुलिस ने निराधार बतााया है। ट्विटर ने पुलिस द्वारा डराने-धमकाने की रणनीति के इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए भारत में अपने कर्मचारियों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संभावित खतरे को लेकर चिंता जताई । गौरतलब है कि स्पेशल सेल ने सोमवार को कथित ‘कोविड टूलकिट’ के बारे में एक शिकायत की जांच के संबंध में ट्विटर इंडिया को नोटिस भेजा था और उसके लाडो सराय और गुरुग्राम में स्थित दफ्तरों पर भी पहुंची थी।