अर्चना कुमारी। दुनिया जानती है कि दिल्ली दंगे की शुरुआत किस परिस्थितियों में और किस समुदाय के द्वारा शुरू की गई थी लेकिन पुलिस ने दूसरे समुदाय के लोगों को भी जेल में इस वजह से डाला ताकि उन पर कोई उंगली ना उठा सके। फिलहाल कड़कड़डूमा कोर्ट ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के एक मामले में दो हिंदू आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट का कहना है कि दोनों आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में कड़कड़डूमा कोर्ट ने बरी किया ।
जिन 2 लोगों को बरी किया गया उनके नाम सूरज तथा योगेंद्र सिंह है। सूत्रों का कहना है कि दोनों को साक्ष्यों के अभाव में आरोपमुक्त करार दिया गया जबकि इनके खिलाफ गैरकानूनी रूप से एकत्र होने, दंगा करने और आगजनी करने समेत कई आरोप लगाए गए थे लेकिन पुलिस की तरफ से आरोपों का कोई साक्ष्य सामने नहीं आया।
ऐसे में कोर्ट आरोपी योगेंद्र सिंह व सूरज को संदेह का लाभ देते हुए आरोप मुक्त करार दिया। कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की अदालत ने आरोपी योगेन्द्र सिंह और सूरज को बरी करते हुए कहा कि दोनों आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित नहीं हो पाए हैं लिहाजा इन आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया जाता है।
गौरतलब है कि दिल्ली के ज्योति नगर पुलिस स्टेशन में 29 फरवरी 2020 को शिकायतकर्ता शमशाद की ओर से एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी जिसमें कहा गया अशोक नगर इलाके में उसके घर को 25 फरवरी 2020 को हजारों दंगाइयों ने लूट लिया, घर में तोड़फोड़ की गई और घर को जला दिया गया।
इनके साथ सैकड़ों दंगाई अशोक नगर मस्जिद में आए और उन्होंने शिकायतकर्ता सहित अन्य दुकानों को जलाना शुरू कर दिया। दंगाइयों को देखकर दुकानदार वहां से भाग गए लेकिन इस पर अदालत ने कहा कि इन आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए साक्ष्य ही मौजूद नहीं हैं, इस वजह से उन्हें रिहा किया जाता है।