कोरोना आपदा के इस दौर में चारों तरफ खबरों का तूफान सा है. न्यूज़ चैनलों पर, सोशल मीडिया साइट्स पर खबरों की बाढ सी आ गयी है. ऐसे में फेक् न्यूज़ या झूठी ,मनगढंत खबरों और अफवाहों का भी एक ज़बरदस्त दौर चला है. ये खूठी खबरें और अफवाहें कभी तो तथाकथित न्यूज़ चैनल्स और प्रिंट व वेब मीडिया आउट्लिट्स न्यूज़ एवं व्यूज़ की आड़ पर स्वयं फैलाते हैं तो कभी सोशल मीडिया साइट्स पर अपने निहित स्वार्थों के चलते किसी खास प्रकार के एजेंडा को बढ़ावा देने के लिये, सरकार को बदनाम करने के लिये, लोग खुद फैलाते हैं. और एक बार जब सोशल मीडिया पर ये खबरें बुरी तरह से वायरल होती जाती हैं, तो लोगों के लिये ये कल्पना करना भी मुश्किल हो जाता है कि ये तो फेक न्यूज़ है.
आज हम ऐसी ही कुछ झूठी खबरों का भंडाफोड़ करते हैं.
पहली फेक न्यूज़ कि उत्तराखंड के जंगलों में भयानक आग लग गयी है. और भीषण तबाही मच गयी है. इस फेक न्यूज़ से जुड़े फोटोज़ फेसबुक जैसी सोशल मीडिया साइट्स पर पिछले कुछ दिनों से लगातार शेयर किये जा रहे हैं और अब तक काफी वायरल हो चुके हैं. पीआई बी फैक्ट चेक के ट्विटर हैंडल पर इस बात की पुष्टि हुई है कि यह झूठी और मनगढंत न्यूज़ है.पी आई बी देहरादुन के सौजन्य से पी आई बी के ट्विटर हैंडल पर इस झूठी खबर को लेकर यह कहा गया है कि जो तस्वीरें दिखाई जा रही हैं , वो पुरानी हैं और इ समे से कई तस्वीरें तो दूसरे देशों से संबंधित है.
अब पी आई बी के ट्विटर हैंडल में जो जानकारी है इस फेक न्यूज़ के बारे में, वहां कुछ तस्वीरें भी हैं . ये वही तस्वीरें हैं जो उत्तराखंड् के जंगलों में आग लगने के नाम से सोशल मीडिया पर सर्क्युलेट की जा रही हैं. इन तस्वीरो को ज़ूम करके देखेंगे तो पता चलेगा कि एक तस्वीर तो कभी चिली देश के जंगलों में जो आग लगी होगी, उससे संबंधित है. तो एक और तस्वीर चीन के जंगलों मे लगी आग की है.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इस पर डायरेक्ट ट्वीट किया है कि किस प्रकार ये कुछ वर्ष पहले दूसरे देशों के जंगलो में लगी आग की तस्वीरें लोगों को भ्रमित करने के लिये उत्तराखंड फांरेस्ट फायर के नाम से फैलाई जा रही हैं. जिन् इकाइयो और लोगों ने उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने को लेकर झूठी अफवाहे फैलायी है, उनके खिलाफ उत्तराखंड पुलिस ने एफ आई आर दर्ज करने की भी घोषणा की है. उत्तराखंड के प्रिंसिपल चीफ कंज़र्वेटर आंफ फांरेस्ट यानि वहां के जंगलों के मुख्य संरक्षक जय राज ने ट्वीट कर कहा भी है कि इस प्रकार की आग उत्तराखंड के जंगलों मे नही लगती. जो सोशल मीडिया में फोटो फैलाये जा रहे हैं, उनमे तो पूरे के पूरे पेड़ आग की चपेट में हैं. ऐसी आग तो आस्ट्रेलिया, यू एस और कनाडा के जंगलों मे लगती हैं.
वास्तविकता यह है कि उत्तराखंड के जंगलों में आग तो लगी है लेकिन इस प्रकार से नही जिस प्रकार से इन तस्वीरों मे दिखा के लोगों को डराया जा रहा है. यहां फांरेस्ट फायर्ज़ लगभग हर साल होती हैं और यह यहां के जंगलों के पुनर्यूवीकरण की स्वाभाविक प्रर्किया का हिस्सा होती हैं. उत्तराखंड मे जंगलों मे लगने वाली आग का सीज़न मार्च से मई तक होता है.
अब आते हैं दूसरी फेक न्यूज़ पर जिसका भंडाफोड़ हो चुका है. यह अफवाह देशभर के स्कूलों को खुलने को लेकर है. इस फेक न्यूज़ का उदगम भी सोशल मीडिया से ही हुआ था. सोशल मीडिया पर इस प्रकार की सूचना लिखित मे शेयर की गयी कि ‘गृह मंत्रालयों ने सभी राज्यों को स्कूल खोलने की अनुमति दी’.
पी आई बी फैक्ट चेक क्के ट्विटर हैंडल ने इस फेक न्यूज़ का पर्दाफाश किया और यह बताया कि किस प्रकार यह जनता को डराने और भ्रमित करने की साज़िश मात्र है. और गृह मंत्रालय की तरफ से ऐसा कोई भी फैसला सामने नहीं आया है. पूरे देश के विद्यालय कोरोना वायरस संक्रमण के चलते बंद हैं. तो अब आप खुद ही सोच सकते हैं कि इस प्रकार की फेक न्यूज़ के क्या परिणाम हो सकते हैं. एक ऐसे समय में जब पूरा देश कोरोना वायरस की विभीषिका से जूझ रहा है, ऐसे समय में इस प्रकार की न्यूज़ फैलाने का क्या उद्देश्य हो सकता है? सरकार की बदनामी, लोगों में डर और भय फैलाना, देश की छवि को धूमिल करना यह दिखाकर कि सरकार को बच्चो की जान की परवाह ही नही है, शायद थोड़ा थोडा सब कुछ.
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