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India Speak Daily > Blog > मीडिया > फिफ्थ कॉलम > वीगन आतंकवाद?
फिफ्थ कॉलम

वीगन आतंकवाद?

Sonali Misra
Last updated: 2022/05/13 at 1:43 PM
By Sonali Misra 88 Views 9 Min Read
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9 Min Read
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Sonali Misra. जानवरों के लिए काम करने का दावा करने वाली संस्था पेटा इंडिया ने फिर एक बार अमूल इंडिया पर हमला बोला है और कहा है कि वह “वीगन” नोवाक जोकोविच को बधाई देता हुआ अपना विज्ञापन हटा लें, क्योंकि नोवाक वीगन हैं, और अमूल वीगन नहीं है, इसलिए अमूल का नैतिक अधिकार नहीं है। पेटा इंडिया जिस प्रकार वीगन अभियान चला रहा है और जिस प्रकार वह अमूल के बहाने डेयरी के पूरे उद्योग को निशाना बना रही है।

'Amul must withdraw its new Novak Djokovic ad as tennis champ is vegan', urges PETA India https://t.co/a6iHXxIhS9

— TOI Business (@TOIBusiness) June 22, 2021

जब पेटा इंडिया वीगन होने की बात करती है, तो शाकाहारी लोग इसे वेजेटेरियन समझ लेते हैं। वेजेटरियन माने शाकाहारी! शाकाहारी माने मांस नहीं खाना, अंडा नहीं खाना और अपने आहार में दूध, दही, घी आदि सम्मिलित करना, जिन्हें पशुओं से लिया जाता है।

वीगन का अर्थ हुआ, केवल शाकाहार पर ही निर्भर रहना, अर्थात उसमें डेयरी के भी उत्पाद न शामिल करना। पेड़ों के उत्पादों से निर्मित सफेद पेय पीना, जिसे वह दूध कहते हैं, और जिसे दूध न कहा जाए, ऐसा भी कहा गया है। वनस्पति से बने हुए कथित सफ़ेद पेय से तैयार हुआ घी, मक्खन और चीज़ प्रयोग करना! अर्थात पशुओं के हर उत्पाद को नकारना।

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शाकाहार सह अस्तित्व के सिद्धांत पर आधारित है, हिन्दुओं के स्वाभाविक प्रेम के आधार पर!

हालांकि अमूल ने भारत सरकार से पेटा इंडिया पर प्रतिबन्ध लगाने का भी अनुरोध किया है। उल्लेखनीय है कि पेटा इंडिया बार बार अमूल इंडिया और भारत की डेयरी उद्योग पर प्रहार कर रहा है। और बार बार यह कहती है कि भारत में डेयरी उद्योग के कारण ही गौ हत्या होती हैं क्योंकि जब गाय दूध नहीं देती है तो उसे भटकने के लिए छोड़ दिया जाता है। पर पेटा इंडिया गौ वध पर शांत रहती है। पेटा इंडिया ने अभी तक कोई भी अभियान गौ-तस्करी के खिलाफ नहीं चलाया है। वह रक्षाबंधन पर यह अनुमान लगा सकती है कि गाय के चमड़े से राखी बनती है तो हम गौ मांस के बिना राखी प्रयोग करें।

पर ईद पर या बांग्लादेश के रास्ते तस्करी के माध्यम से गौ-वध पर वह शांत रहती है।

पर एकदम से वीगन में पेटा इंडिया की क्या रूचि है, वह हम लोग पिछले लेख में काफी कुछ स्पष्ट कर चुके हैं। मजे की बात है कि यहाँ पर वीगन की बात करने वाली पेटा, और डेयरी उद्योग में भारत के किसानों का रोजगार छीनने का षड्यंत्र करने वाली पेटा यह नहीं बताती है कि यदि गाय को पाला न जाए, यदि भैंस को पाला न जाए तो उनका क्या होगा? पेटा इंडिया केवल इसके ही खिलाफ नहीं है कि डेयरी उद्योग न हों, बल्कि वह इसके भी खिलाफ है कि गाय आखिर क्यों पाली जा रही हैं? गायों, भैंसों को खुला क्यों नहीं छोड़ दिया जाता है?

पेटा इंडिया का यही बार बार कहना है कि बीफ और डेयरी उद्योग परस्पर आपस में सम्बन्धित हैं। और इसके लिए कई लेखों का सहारा पेटा इंडिया ने लिया है। मगर पेटा इंडिया यह नहीं कह पाती है कि जो पशु अभी डेयरी में प्रयोग किये जा रहे हैं, उनका क्या होगा? या जब इन्हें पाला नहीं जा सकेगा तो इन पशुओं का क्या होगा?

केवल अवैध कसाई खाने के खिलाफ है पेटा

ऐसा नहीं है कि पेटा इंडिया पशुओं को मारे जाने के खिलाफ है। पेटा इंडिया के जितने भी आन्दोलन भारत में हुए हैं, वह केवल अवैध कसाईखानों को बंद करने को लेकर हुए हैं। कहीं भी पेटा इंडिया ने यह नहीं कहा है कि कसाई खाने बंद होने चाहिए!  जब पेटा इंडिया जानवरों के कानूनी वध के खिलाफ नहीं है, तो वह डेयरी उद्योग के खिलाफ क्यों मोर्चा खोले हुए है? यह प्रश्न बार बार परेशान कर रहा है।

पेटा खुद भी जानवरों को मारने में शामिल रहा है:

‘Does PETA Kill Animals?’ and Other Questions About PETA’s Shelter, Answered

कहीं ऐसा तो नहीं है कि इन जानवरों को डेयरी से छीनकर इन वैध कसाईखानों के हवाले करना चाहती है पेटा? क्योंकि वह अवांछित जानवरों को प्यार से बेहोश करके मारने के पक्ष में है।

क्या किसी मजहबी एजेंडे पर काम कर रही है पेटा इंडिया या फिर और कुछ कारण है?

झूठे और भ्रमित लेखों का प्रचार

पेटा इंडिया भारत के करोड़ों डेयरी किसानों को भूखा मारने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार है, यहाँ तक कि झूठे लेख भी साझा करती है।

Did you know that dairy milk is one of the leading causes of diabetes?@Amul_Coop @MotherDairyMilk @OMFEDofficial @Verka_Coop @nandini_milk @sharan_india | By Dr. Nandita Shah #India #Dairyproducts #diabeteshttps://t.co/raijzGNoXT

— Outlook India (@Outlookindia) June 10, 2021

इसमें किसी डॉक्टर नंदिता शाह का उल्लेख करते हुए कहा कि डेयरी के दूध से डायबीटीज हो सकती है। और उसमें भी तर्क वही है जो पेटा इंडिया ने दिए हैं, जैसे मैमल्स केवल अपने बच्चों के लिए ही दूध पैदा करते हैं आदि आदि! मगर ऐसा कोई भी विशेष कारण नहीं दिया है कि क्यों गाय का दूध पीने से डायबीटीज हो सकती है, मगर यह जरूर कहा है कि वह वीगन मिल्क का प्रयोग कर सकते हैं। मजे की बात यह भी है कि उन्होंने शरण (SHARAN) का प्रचार भी कर दिया है।

जबकि इसका खंडन दैनिक जागरण का एक लेख करता है जिसमें लिखा गया है कि दूध से डायबीटीज कम हो सकती है।

जबकि होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. जितेन्द्र कुमार धीमन, जो दिल्ली में प्रैक्टिस करते हैं उनका कहना है कि यह एकदम बेकार और तर्कहीन बात है कि दूध से डायबीटीज होती है, उनका कहना है कि देशी गाय के दूध के सेवन से तो डायबिटीज़ न्यूट्रलाइज भी हो सकती है, पर दूध देशी गाय का ही हो!

अमूल इंडिया पेटा इंडिया द्वारा चलाए जा रहे इस नकली दूध के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं और 21 जून को डेयरी अलाइंस ने दूध के गुणों के विषय में ट्वीट किया था:

Milk contains many essential nutrients your body needs. Milk’s nutrients are linked to immune health, bone and muscle health, reduced inflammation, and reduced risk of chronic diseases. #MilkFactMonday #UndeniablyDairy #NationalDairyMonth pic.twitter.com/pIx3V7mxOE

— The Dairy Alliance (@dairy_alliance) June 21, 2021

पौधों से बने उत्पाद किसी भी कीमत पर दूध नहीं हो सकते हैं और न ही कहलाया जा सकता है. अमूल ने पेटा इंडिया द्वारा चलाए जा रहे झूठ को पूरी तरह से पर्दाफ़ाश कर दिया है. जैसे हर चमकने वाली चीज़ सोना नहीं होती है वैसे ही हर सफ़ेद चीज़ दूध नहीं होती:

Well said @vivekagnihotri @Amul_Coop https://t.co/RSjSVsniy2

— R S Sodhi (@Rssamul) June 24, 2021

1 जून को बहुत ही रोचक लेख आरएस खन्ना ने लिखा था। जिसमें उन्होंने चरण दर चरण बताया है कि क्यों दूध का उत्पादन और पशु कल्याण भारत में एक दूसरे के पर्याय हैं।

दरअसल भारत में जो सहजीवन का सिद्धांत है, वह एक दूसरे का संपूरक होना सिखाता है। पेटा इंडिया जो कर रही है उसे आतंक कहते हैं। जैसे फेमिनिज्म हिन्दुओं और समाज को तोड़ने का एक उपकरण बन कर रह गया है वैसे ही वीगानिज्म भी हिन्दू अर्थव्यवस्था को तोड़ने के लिए आ गया है। जहाँ पर पेटा इंडिया सहित पश्चिम के कॉर्पोरेट यह चाहते हैं कि हमारे बच्चे शक्तिहीन हो जाएं, चूंकि दूध काम शक्ति बढ़ाता है। और दूध हमारे धर्म, अर्थ, काम और अंतत: मोक्ष चारों का आधार है,

इसलिए यदि आप यह सोच रहे हैं कि यह केवल बाज़ार का षड्यंत्र है तो आप भ्रम में हैं, यह हमारे धर्म पर घातक आघात है, क्योंकि गाय हमारे धर्म का आधार है, वह अर्थव्यवस्था का आधार है, जिसे पेटा इंडिया वैध कत्ल खानों के हवाले करना चाहती है। दूध काम शक्ति न केवल पैदा करता है बल्कि बनाए भी रखता है जिससे हमारे भीतर जीवन का रस पीने की चाह बनी रहे और अंत में इन तीनों चरणों के बाद मोक्ष भी, गौ दान के माध्यम से ही होता है. अत: इस वीगन आतंक का विरोध करिए, यह आतंक से कम नहीं है!

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TAGGED: veganpolitics, veganterrorism
Sonali Misra June 25, 2021
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Sonali Misra
Posted by Sonali Misra
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सोनाली मिश्रा स्वतंत्र अनुवादक एवं कहानीकार हैं। उनका एक कहानी संग्रह डेसडीमोना मरती नहीं काफी चर्चित रहा है। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति कलाम पर लिखी गयी पुस्तक द पीपल्स प्रेसिडेंट का हिंदी अनुवाद किया है। साथ ही साथ वे कविताओं के अनुवाद पर भी काम कर रही हैं। सोनाली मिश्रा विभिन्न वेबसाइट्स एवं समाचार पत्रों के लिए स्त्री विषयक समस्याओं पर भी विभिन्न लेख लिखती हैं। आपने आगरा विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में परास्नातक किया है और इस समय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से कविता के अनुवाद पर शोध कर रही हैं। सोनाली की कहानियाँ दैनिक जागरण, जनसत्ता, कथादेश, परिकथा, निकट आदि पत्रपत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं।
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6 Comments 6 Comments
  • Avatar Anonymous says:
    May 13, 2022 at 1:48 pm

    आखिर प्रसिद्धी पाने के लिए किस हद तक गिरना परेगा। इ त समय बताएगा।

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    Reply
  • Avatar Pankaj Kumar says:
    May 13, 2022 at 2:11 pm

    बिल्कुल सही कहा आपने सर vegan लोग कैसे हमें सिखा सकते हैं की जिन गाय-भैंसों का हम निरंतर कृत्रिम गर्भाधान(अपनी मां बहनों के साथ बिल्कुल उसी तरह किया जाए तो बलात्कार,निर्भया के साथ भी ऐसा ही हुआ था) करा रहे हैं सेम वही प्रोसेस हमारी खुद की बेटियों के साथ हो तो कितना अच्छा महसूस होगा ☺☺क्योंकि कर्म लौटकर हमारे पास ही आता है काश हमारी बेटियों के साथ भी ऐसा हो ताकि हमें समझ में आ सके कि हम कहीं गलत नहीं है,हम बिल्कुल सही जगह विरोध कर रहे हैं, काश हमारे बच्चों को भी सुबह शाम दो ही बार दूध मिले बाकी परिवार के बाकी सदस्यों को बांट दिया जाए, जैसे कि हम दूध ना देने वाली भैंसों को कटने के लिए भेज देते हैं काश हमारे मां बहनें भी इसी तरह उपयोगी ना होने पर यूं ही वध कर दिया जाए… जैसे हम अपनी माता की बेटी का दूध पीते हैं अथवा बेचते हैं वैसे ही हम अपनी बेटियों को दूध के धंधे के लिए अपने पास रखें और लड़कों को सड़कों पर त्याग दें.

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    Reply
    • Avatar Anonymous says:
      May 14, 2022 at 11:19 am

      गजब बुड़बक हो ।

      Loading...
      Reply
  • Avatar Anonymous says:
    May 19, 2022 at 11:58 am

    भारतीय डेरी उद्योग को खत्म कर के विदेशी डेरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए माहौल बनाया जा रहा है असली मकसद यही है

    Loading...
    Reply
  • Avatar Pankaj Srivastava says:
    May 19, 2022 at 1:02 pm

    बहुत ही सार्थक प्रयास!

    Loading...
    Reply
  • Avatar Sushil Vatsa says:
    May 19, 2022 at 7:58 pm

    कभी ऐसे ही अभियान शिशुओं के लिए पाउडर दूध को पौष्टिक एवं बेहतर बताते हुए चलाए गये थे। जैसे पृथ्वी पर अनगिनत वनस्पति मौजूद हैं उनमें से सभी मनुष्य के लिए खाने लायक नहीं हैं। जो भी वनस्पति हमारे शरीर के अनुकूल एवं लाभदायक होती है वही हम ग्रहण करते हैं। इसी तरह हरेक स्तनधारियों में पाया जाने वाला दूध हमारे लिए लाभदायक हो यह आवश्यक नहीं। हम केवल मानव शरीर के लिए उपयोगी एवं लाभदायक दूध का ही प्रयोग कर सकते हैं सभी स्तनधारियों का नहीं। जहां वनस्पति उगाया जाना असंभव होता है वहां तो सदियों से मनुष्य केवल स्थानीय स्तनधारी के दूध व उससे तैयार उत्पादों के सहारे ही जीवित रहता आया है।

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